नासा के पूर्व पृथ्वी वैज्ञानिकों द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप 'निरुथी' देश में किसानी के पूर्वानुमान में कर रहा है मदद
नासा के पूर्व वैज्ञानिकों द्वारा शुरू किया गया यह स्टार्टअप डाटा एकत्रित करके फसल और मौसम का पूर्वानुमान लगा रहा है, जिससे बीमा कंपनियों के साथ ही सरकारों को भी ख़ासी मदद पहुँच रही है।
शीत युद्ध के युग के बाद, अंतरिक्ष अमेरिका, रूस और चीन जैसे विकसित देशों के लिए एक फोकस क्षेत्र बन गया है। 60 के दशक के बाद से, ये देश अपनी शक्ति और क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए उपग्रह और मानव मिशन पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं।
मौसम संबंधी जानकारी के साथ किसानों की मदद के उद्देश्य जलवायु संबंधी डेटा इकट्ठा करने के लिए भारत भी उपग्रहों को भेजकर और अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों का उपयोग करके इस लीग में शामिल हो गया है। इसी क्रम में वाला हैदराबाद स्थित एग्रीटेक स्टार्टअप निरुथी पूरे भारत में स्थान-विशेष के लिए मौसम के पूर्वानुमान, फसल स्वास्थ्य और फसल की स्थिति की निगरानी के लिए समाधान प्रदान करता है।
नासा में पृथ्वी के पूर्व वैज्ञानिक रामकृष्ण नेमानी और क्रिस्टीना माइलेसी ने साल 2011 में निरूथी की स्थापना की थी। यह स्टार्टअप किसानों द्वारा अपनी फसलों का बेहतर प्रबंधन करने के लिए आवश्यक क्षेत्र-स्तरीय जानकारी प्रदान कर रहा है।
स्टार्टअप ने भारत के साथ-साथ वियतनाम में भी फसल बीमा उद्योग को समर्थन देने के लिए अपनी तकनीक विकसित की है, जिसमें सोयाबीन, चावल, बाजरा, ज्वार, चना, कपास, और गेहूं विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए जलवायु परिस्थितियों को शामिल किया गया है। यह स्टार्टअप 2 करोड़ हेक्टेयर जमीन और करीब 10 लाख किसानों को अपनी सेवाएँ दे रहा है।
शुरुआती दौर
यह सब तब शुरू हुआ जब यह जोड़ी नासा में पृथ्वी वैज्ञानिकों के रूप में काम कर रही थी, वहाँ काम करते हुए उन्होंने कृषि, वानिकी और शहरी प्रणालियों पर ध्यान देने के साथ ग्लोबल इकोसिस्टम प्रणालियों की निगरानी और भविष्यवाणी करने के लिए सेटेलाइट डेटा का उपयोग किया था।
पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्रों का अध्ययन करने के लिए स्थलीय अवलोकन और भविष्यवाणी प्रणाली (TOPS) जैसे उपकरणों का निर्माण करते हुए, दोनों ने महसूस किया कि कुछ बदलावों के साथ भारत जैसे देशों में किसानों की बहुत सी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
2010 में, भारत सरकार बुनियादी जोखिम का आकलन करने और क्षेत्र से संबंधित उचित नीतियों को लाने के लिए कृषि से संबंधित विभिन्न डेटा बिंदुओं जैसे स्थान-विशिष्ट मौसम और फसल की पैदावार के संबंध में काम कर रही थी। फसल बीमा उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए इस स्टार्टअप की सेवाएँ आदर्शा थीं।
ग्लोबल री-इंश्योरेंस कंपनी स्विसआर से शुरुआती फंडिंग के साथ, 2011 में, पूर्व वैज्ञानिकों ने TOPS के अनुसार भारतीय कृषि बाजार के लिए स्थानीय समाधान डिजाइन करने के उद्देश्य से निरुथी की शुरुआत की।
क्रिस्टीना कहती हैं,
"नासा में काम करते हुए जलवायु परिवर्तन में हमारे शोध और कृषि पर इसके प्रभाव ने हमें यह विश्वास दिलाया कि जलवायु परिवर्तन से खेती के जोखिम को कम करने में हम मदद कर सकते हैं।“
निरूथी कई स्रोतों से डेटा एकत्र करता है, जिसमें उपग्रह, ड्रोन, मौसम केंद्र, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि शामिल हैं। इनसे एकत्रित हुए हुए डाटा को विज़ुअलाइज़ेशन डैशबोर्ड पर दर्शाया जाता है, जिससे खेती संबंधी पूर्वानुमान लगाने में आसानी होती है।
इसका डेटा विश्लेषणात्मक उपकरण बीमा उद्योगों को व्यवसाय में मदद करने के लिए डेटा उपलब्ध कराते हैं।
निरुथी के सीईओ मल्लिकार्जुन कुकुनुरी ने कहते हैं,
"फसल बीमा में वृद्धि के साथ-साथ फसल उत्पादकता में सुधार के लिए प्रमुख आवश्यकताओं में से एक स्थानीय मौसम की स्थिति और पूर्वानुमान के बारे में जानकारी है, जो बीमाकर्ताओं को मूल जोखिम का आकलन करने और किसानों को मौसम की स्थिति के बारे में जानकारी उपलब्ध करता है।"
यह स्टार्टअप उपग्रहों से प्राप्त होने वाले सौर विकिरण, वर्षा, और आर्द्रता के आंकड़ों का अवलोकन करके स्थानीय मौसम जानकारी प्रदान करता है। निरूथी ने चार उपग्रहों और 300 मौसम केंद्रों की जानकारी का उपयोग करके महाराष्ट्र के 40,000 से अधिकसूखा ग्रस्त गांवों जानकारी उपलब्ध कराई है।
टीम के अनुसार, स्टार्टअप के पास लैंडसैट, सेंटिनल-2, टेरा और एक्वा सहित अन्य सभी ओपन-सोर्स उपग्रह डेटा तक पहुंच है। इस बारे में क्रिस्टीना कहती हैं,
"जब हमारे ग्राहकों को फसल के नुकसान के बारे में हाइपरलोकल जानकारी चाहिए होती है, तब हम प्लैनेट लैब्स जैसे प्लेटफ़ॉर्म से व्यावसायिक डेटा का उपयोग करते हैं।“
प्रति दिन निरुथी 10टीबी सैटेलाइट डेटा, 500जीबी जलवायु डेटा आर 100टीबी से अधिक फसलों के चित्रों का डेटा को प्रोसेस करता है।
किसानों की समस्या के संबंध में
विभिन्न सरकारें और एजेंसियां उपग्रहों के डेटा का उपयोग फसल वर्गीकरण, फसल की निगरानी और फसल उपज के आकलन के लिए करती हैं। निरूथी के डेटा का उपयोग बीमा दावों के लिए और सरकारों द्वारा एमएसपी तय किए जाने के संबंध में होता है।
पहले फसल कटाई प्रयोगों का उपयोग करके फसल की पैदावार का अनुमान लगाया जाता था, जो कि आज के समय में अत्यधिक अविश्वसनीय हैं।
इन चिंताओं को दूर करने के लिए, निरूथी दो तरीकों से अपनी तकनीक का उपयोग करता है। यह अपनी इंटेलिजेंस सैंपलिंग विधि का उपयोग करता है जहां यह उपग्रह डेटा और स्थानीय मौसम की जानकारी से फसल-उपज मॉडलिंग के विश्लेषण के माध्यम से फसल काटने के प्रयोगों की संख्या और स्थानों को चुनता है। इसी के साथ निरुथी बीमा कंपनियों को पूर्वानुमान लगाने में भी मदद करता है।
क्रिस्टीना कहती हैं,
“मुख्य समस्या जिसका हम सामना करते हैं वह है विश्वसनीय डेटा की कमी। हमें डेटा एकत्र करने और फसल की पैदावार का अनुमान लगाने वाले उपयुक्त मॉडल बनाने में कई साल लग गए।”
अपनी डेटा इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए निरूथी बीमाकर्ताओं को अपने क्षेत्र के सर्वेक्षणों का मज़बूती से संचालन करने के लिए भू-पूर्वानुमानों, उपज अनुमान और स्मार्ट सैंपल स्कीमों को उपलब्ध करता है।
क्रिस्टीना आगे कहती हैं,
"जब वे स्थानीय कृषि स्थितियों और मौसम डेटा के आधार पर कीटनाशकों को खाद, सिंचाई और लागू करते हैं तब हम उन्हे हम कृषि विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर कृषि जोखिम प्रबंधन के लिए कृषि और मौसम की जानकारी भी प्रदान करते हैं।"
भविष्य का बाज़ार
2011 के बाद से फसल बीमा प्रीमियम बाजार 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया हूँ।
“खेती पर प्रधानमंत्री के फोकस और 2022 तक किसान की आय को दोगुना करने में उनकी रुचि के चलते संबंधित सेवाओं के लिए एक जबरदस्त संभावना है। उदाहरण के लिए, वर्तमान में, फसल बीमा भारत में केवल 20 प्रतिशत फसली क्षेत्र को कवर करता है। सरकार 2022 तक इस संख्या को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहती है।”
इस एग्रीटेक स्टार्टअप को अपनी तकनीक के लिए विश्व बैंक से पुरस्कार मिला है। इसे जुलाई 2019 में 21 देशों की 105 कंपनियों के बीच बेस्ट डेटा एनालिटिक्स कंपनी से भी सम्मानित किया गया है।
वर्तमान में, निरूथी के पास वरिष्ठ सलाहकारों की एक टीम है, जिसमें नासा के वैज्ञानिक राम नेमानी, आईसीएआर के पूर्व डायरेक्टर वाईएस रामा और आईएमडी हैदराबाद के पूर्व डायरेक्टर एम सत्या कुमार शामिल हैं।
क्रिस्टीना कहती है,
“हम सभी हितधारकों को एक छत के नीचे लाना चाहते हैं और डेटा में तालमेल बनाए रखना चाहते हैं ताकि इससे अंतिम छोर तक फायदा हो। वर्तमान में निरूथी के ग्राहक फसल बीमा कंपनियां, फसल वस्तु कंपनियां, सरकारें और वित्तीय संस्थान हैं।"
(Edited By प्रियांशु द्विवेदी)