टिक टॉक की पेरेंट कंपनी ByteDance भारत में करेगी एक अरब डॉलर का निवेश
टिक टॉक की मूल कंपनी बाइट डांस अगले तीन साल में एक अरब डॉलर (7000 करोड़ रुपए) से अधिक का निवेश करने जा रही है। बाइट डांस भारतीय बाजार से उत्साहित है। इतनी बड़ी धनराशि वह तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्थानीय साझेदारी और एनी सपोर्ट प्रोग्राम पर खर्च करने की योजना बना रही है। हाल में ही कंपनी ने सरकार के कौशल कार्यक्रम से खुद को जोड़ा है।
गौरतलब है कि बाइट डांस विश्व के मूल्यवान स्टार्टअप्स में से एक है। उसके बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर में सॉफ्ट बैंक, जनरल एटलांटिक, केकेआर जैसे इन्वेस्टर शामिल हैं। टिक टॉक के बारह करोड़ उपयोगकर्ताओं वाली कंपनी बाइट डांस की डाइरेक्टर हेलेना लर्श्च बताती हैं कि उनकी कंपनी भारत में एक अरब डॉलर निवेश करने के साथ ही अपना नेटवर्क सुदृढ़ करने के लिए अपने कर्मचारियों में भी इजाफा करते हुए इस साल के अंत तक उनकी संख्या एक हजार करने जा रही है। टिक टॉक की पेरेंट कंपनी बाइट डांस भारत में 100 मिलियन डॉलर का निवेश कर चुकी है। कंपनी लगातार अपनी कंटेंट मोडरेशन पॉलिसी मजबूत कर रही है। इस कंपनी के कुल बीस एप्स हैं जिनमें से तीन भारत में सक्रिय हैं।
भले ही मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद गूगल और एप्पल ने टिक टॉक को अपने स्टोर से हटा दिया हो, हेलेना लर्श्च का कहना है कि वह भारत की बढ़ती डिजिटल कम्युनिटी में मिल रहे अपार समर्थन का धन्यवाद करती हैं। उनकी कंपनी की लगातार ग्रोथ लोकल कम्युनिटी के समर्थन से संभव हो सकी है। उनका भारत सरकार को पूरा सहयोग रहेगा।
गौरतलब है कि चाइल्ड प्राइवेसी के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से हाल ही में इन दोनों चीनी कंपनियों (टिक टॉक और हेलो) को नोटिस भेजकर उनसे 21 सवालों के जवाब मांगे गए हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया साइट्स को 11 हजार मॉर्फ्ड राजनीतिक विज्ञापन देने के लिए भारी राशि खर्च करने संबंधी आरोपों का भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में कंपनी प्रवक्ता ने कहा था कि वह भारत में 69.3 अरब निवेश करेगी।
एक ओर भारत में सोशल मीडिया सेक्टर में सक्रिय विदेशी कंपनियां अपनी जड़े गहरी करने में जुटी हैं, दूसरी ओर केंद्र सरकार उनके कंटेंट को लेकर मिल रही अप्रिय सूचनाओं से लगातार अपडेट होने के साथ ही उन पर शिकंजा ढीला नहीं रखना चाहती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि उसके नियंत्रण में आने वाले करीब नौ सौ उच्च शिक्षण संस्थान सकारात्मक सोशल मीडिया प्रोफाइल तैयार करें।
सरकार की मंशा है कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे करीब तीन करोड़ छात्र अपने सोशल मीडिया खातों को अपने संस्थानों के प्रोफाइल से जोड़ें। उच्च शिक्षा संस्थानों को जारी पत्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव ने अनुशंसा की है कि प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान अपने कर्मचारियों में से एक को सोशल मीडिया प्रमुख के रूप में नियुक्त करे। यह व्यक्ति फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर संस्थान की प्रोफाइल की देखरेख करेगा। संबंधित व्यक्ति को यह दायित्व इसी माह 31 जुलाई तक सौंपा जाना है। संभव है कि छात्रों के ट्विटर, फेसबुक या इंस्टाग्राम खातों को बिना उनकी निजी जानकारी हासिल किए भी संस्थान के साथ जोड़ दिया जाए।