How to win friends & influence people: कामयाब होने के बेहद अनोखे गुर सीखाती ये किताब
डेल कार्नेगी की 1936 में प्रकाशित होने वाली यह किताब एक सेल्फ हेल्प बुक है. इसे 2011 टाइम मैगजीन की 100 सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में भी जगह मिली. इस किताब की अब तक 3 करोड़ से ऊपर प्रतियां बिक चुकी हैं.
हर शख्स आपस में एक दूसरे के लिए क्या नजरिया रखता है, उसके साथ कैसे व्यवहार करता है, दूसरे शख्स पर किस तरह का प्रभाव डालता है जैसे तमाम कई सामाजिक व्यवहार हैं जिन्हें समझना काफी जटिल माना जाता रहा है. मगर डेल कॉर्नेगी अपनी किताब ‘हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इंफ्लुएंस पीपल’ में इसे बड़े आसान और सरल तरीके से समझाते हैं. आइए आज के बुक रिव्यू में जानते हैं ये किताब किनके लिए है और क्या आपको इसे पढ़ना चाहिए?
सेल्फ इंप्रेवमेंट पर जोर देने वाली यह किताब बताती है कि कैसे आप बातचीत के जरिए पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों रिश्तों को और बेहतर बना सकते हैं. किताब में बताया गया है कि कैसे अपने आप को लोगों से पसंद करवा सकते हैं. सुनने में थोड़ा अटपटा भी लग सकता है. खासकर तब जब हमें ये सीखाया जाता रहा हो कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.
दरअसल ये किताब आपको दूसरों के माइंडसेट को समझने के लिए प्रेरित करती है और एक इंसान होने के नाते ये हुनर हर किसी में होना चाहिए. जिसके अंदर ये हुनर आ गया उससे लोग खुद ब खुद पसंद करने लगते हैं. अगर आप प्रोफेशनल हैं, तो भी ये किताब आपके लिए उतने ही काम की है. ये किताब आपको एक महान लीडर बनने में मदद करती है.
1936 में पहली बार प्रकाशित हुई इस किताब की दुनिया भर में 3 करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. प्रकाशित होने के 75 सालों बाद 2011 में इसने टाइम मैगजीन की 100 सबसे प्रभावशाली पुस्तकों की सूची में 19 वें नंबर पर जगह हासिल की. इस किताब को छपे हुए आठ दशक से ऊपर का समय हो चुका है मगर आज भी इस किताब की अहमियत उतनी ही है.
सालों बाद भी इस किताब को पढ़कर आपके अंदर पॉजिटिविटी जरूर आएगी. शायद इसकी सबसे बड़ी वजह लेखक डेल कारनेगी खुद हैं, जो बदलती दुनिया की बदलती ज़रूरतों को लेकर हमेशा बहुत संवेदनशील रहे और इसी के हिसाब से किताब में लगातार बदलाव करते रहे.
क्यों पढ़ें इस किताब को?
किताब को एक लाइन में समेटने की कोशिश जाए तो कहा जा सकता है कि हमें चीजें हमेशा दूसरों के नजरिए से देखनी चाहिए. कौन सी चीज उन्हें कंफर्टेबल बना रही है. इससे आप उनका भरोसा जी सकते हैं बदले में आपको उनकी जब भी जरूरत होगी वो आपकी हेल्प के लिए तैयार मिलेंगे.
दोस्तों का दिल जीतना और लोगों पर प्रभाव डालना बड़ी कला होती है और ये आपके अंदर तभी आ सकता है जब आप अंदर से दयालु हों औऱ दूसरों के चश्मे से स्थिति को देख सकें. लेकिन अगर किसी के अंदर सेल्फ-लव और सेल्फ अश्योरेंस न हो तो उस स्थिति में क्या? आपके दिमाग में उस समय एक सवाल उठेगाः मुझे ये काम क्यों करना चाहिए? दूसरे लोग भी तो मेरे लिए कुछ कर सकते हैं, मैं हीं क्यों करूं?
ऐसे में आपके में ये सवाल उठ सकता है कि जब मैं अपनी जरूरत ही नहीं पूर कर पा रहा तो दूसरों के बारे में क्यों सोचूं? दूसरे भी तो मेरी जरूरत पूरी कर सकते हैं, मैं ही क्यों महान बनूं. खुद से इस तरह की बातें करना बिल्कुल जायज है. यह आपके दिमाग का सेल्फ डिफेंस मेकैनिज्म है.
यह बिल्कुल वैसा है जब आपके ग्लास खुद आधा भरा हो और आप दूसरे का आधा ग्लास पूरा भरने की कोशिश कर रहे हों. ऐसे में आपके में ये सवाल उठ सकता है कि जब मैं अपनी जरूरत ही नहीं पूर कर पा रहा तो दूसरों के बारे में क्यों सोचूं? दूसरे भी तो मेरी जरूरत पूरी कर सकते हैं, मैं ही क्यों महान बनूं.
अगर आपको ऐसा लगता है कि आप दूसरे का ग्लास पूरा भरने के लिए अपना आधा ग्लास भी कुर्बान करने को तैयार हैं तो ये आपको एक सेल्फलेस पर्सन बनाता है. अब सेल्फिश हों या सेल्फलेस दोनों ही चीजें न हमारे लिए सही होती हैं और न हमारे रिश्तों के लिए. इसलिए कहा जाता है खुद पर फोकस करना चाहिए. जब हम अपनी जरूरतों को समझ लेते हैं और सेल्फ लव में पारंगत हो जाते हैं उसके बाद दूसरों को समझना, उनकी जरूरतों समझना बहुत आसान हो जाता है.
क्या ऐसा सोचना आपको सेल्फिश बनाता है? बिल्कुल भी नहीं. सेल्फिश वो लोग होते हैं जिनके पास पर्याप्त मात्रा में संसाधन हो फिर भी वो दूसरों से लेने की तरकीबें निकालते रहते हों.
सेल्फ लव में पारंगत होने के बाद आप इस किताब को अगर पढ़ते हैं तब ये आपके ज्यादा काम आ सकती है. ये किताब आपको एक अच्छा लिसनर बनना सीखाती है. आप दूसरों को और अच्छे से समझ सकते हैं और नतीजतन दूसरे आपको अपने आप पसंद करने लगेंगे. किताब छोटे-छोटे चैप्टर्स में बंटी हुई है.
आइए जानते हैं कि आप ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग आपको पसंद करें:-
- दूसरे लोगों में दिलचस्पी लेना शुरू करें
- चेहरे पर एक मुस्कुराहट के साथ लोगों से बात करें
- किसी भी व्यक्ति के लिए उसका नाम इस दुनिया का सबसे अच्छा शब्द होता है इसीलिए लोगों के नाम को याद रखें और बात करते वक्त उनके नाम का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें.
- एक अच्छे श्रोता बनें और लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे आपसे अपने बारे में बात करें.
- सामने वाले व्यक्ति को महत्वपूर्ण महसूस कराएं.
किताब में और क्या अच्छा है?
काफी छोटी किताब है. कम समय में बड़े आराम से खत्म कर सकते हैं. किताब में बड़ी सरल भाषा का इस्तेमाल हुआ है. इसके अलावा इस किताब में दिए टिप्स को आप अपने दोस्तों, परिवार वालों के साथ भी शेयर कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात किताब में दिए हुए सुझावों को अपनाने के लिए आपको खुद में बहुत ज्यादा बदलाव करने की जरूरत नहीं.
निष्कर्ष
आखिर में हम इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि हम सभी बेहतर बनना चाहते हैं, क्योंकि हमें पता है कि सेल्फ इंप्रूवमेंट की मदद से जिंदगी आसान हो जाती है. हमें बस कोई चाहिए होती है जो हमें बता सके कि हमें कहां बदलाव की ज़रूरत है और किन चीजों को सुधारना है. हम समझ पाते हैं कि कहां खुद को सुधारना है और कौन सी ऐसी चीजें हैं जो आप हमेशा से गलत करते आए हैं.