Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आज लड़कियों को बाल विवाह से बचा रही हैं पायल, 12 साल की उम्र में खुद के लिए लड़ी थी लड़ाई

आज लड़कियों को बाल विवाह से बचा रही हैं पायल, 12 साल की उम्र में खुद के लिए लड़ी थी लड़ाई

Tuesday February 08, 2022 , 3 min Read

देश के तमाम हिस्सों में आज भी बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, ऐसे में सरकारों के साथ ही तमाम समाजसेवी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं, ऐसी ही एक शख्स पायल जांगिड़ भी हैं। पायल लंबे समय से बाल विवाह की कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं।

पायल जब 12 साल की थीं तब उन्होने कम उम्र में लड़कियों की शादी कराये जाने के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। ये पायल के लगातार प्रयासों का ही नतीजा है कि वे अब तक राजस्थान के अपने गृह नगर अलवर में कई लड़कियों को बचाने में सफल रही हैं।

इसकी शुरुआत दरअसल तब हुई जब पायल कक्षा 5वीं की छात्रा थीं और एक दिन उन्होने बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ द्वारा इन कुप्रथाओं के बारे में जानकारी हासिल की। एनजीओ के कार्यकर्ताओं द्वारा तब इन कुप्रथाओं के खिलाफ पंचायतों को सलाह भी दी गई थी, इसी के साथ अलवर में एक बाल पंचायत का गठन भी किया गया था।

क

पायल के लिए यह रास्ता आसान नहीं रहा है, बल्कि उन्हें अपने ही परिवार के खिलाफ जाकर अपने हक़ की लड़ाई लड़नी पड़ी थी।

बाल पंचायत ने उठाई आवाज़

साल 2013 में पायल को उस बाल पंचायत का मुखिया चुना गया था और उसी के साथ पायल ने लोगों के बीच बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दिया था। इस बीच पायल ने नोबल पुरस्कार विजेता समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के ‘बचपन बचाओ’ आंदोलन का हिस्सा बनकर भी इस दिशा में काम किया।

मीडिया से बात करते हुए पायल ने बताया है कि बाल पंचायत के 11 सदस्यों के साथ उन्होने अपने आसपास के क्षेत्रों में बाल श्रम और बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी थी।

जब लड़ी अपनी लड़ाई

पायल के लिए यह रास्ता आसान नहीं रहा है, बल्कि उन्हें अपने ही परिवार के खिलाफ जाकर अपने हक़ की लड़ाई लड़नी पड़ी थी। पायल का परिवार चाहता था कि उनकी और उनकी और बड़ी बहन की शादी जल्द हो जाए। पायल तब महज 12 साल की थीं और परिवार के इस फैसले का विरोध करते हुए उन्होने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। तब कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रेन फाउंडेशन ने आगे आकर उनके परिवार को समझाने का काम किया था।

पायल के प्रयासों का सकारात्मक असर जल्द ही देखने को मिला और उनके परिवार के रवैये में बदलाव आया, इसके बाद से पायल ने अन्य लड़कियों के जीवन को भी बर्बाद होने से बचाने के लिए घर-घर जाकर जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय लिया था।

ओबामा ने की थी मुलाक़ात

आज पायल के लगातार प्रयासों के चलते अलवर में लगभग सभी बच्चे स्कूल जाकर अपनी शिक्षा को पूरा कर रहे हैं और क्षेत्र में बाल विवाह के मामलों में एक बड़ी कमी देखी गई है। मालूम हो कि राज्य सरकार ने पायल को अलवर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया है।

पायल को उनके प्रयासों के लिए साल 2019 में न्यूयॉर्क में बिल गेट्स फाउंडेशन के द्वारा प्रतिष्ठित चेंजमेकर अवार्ड से भी नवाजा गया था। साल 2015 में भारत दौरे पर आए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा ने भी दिल्ली में पायल से मुलाक़ात की थी।


Edited by Ranjana Tripathi