आज हम चिप मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी में 12 पीढ़ियां पीछे हैं: IT राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर
1960 के दशक के बाद के अप्रयुक्त अवसरों का उल्लेख करते हुए IT राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने इंगित किया कि पिछली सरकारें भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के महत्व को समझने में विफल रहीं.
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने 28 जुलाई से गुजरात के गांधीनगर में शुरू होने जा रहे सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन (SemiconIndia Conference) के दूसरे संस्करण से पहले मीडिया से बातचीत की.
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के पुनर्निर्माण और देश को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं में से एक बनने के लिए प्रेरित करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा की गई आश्चर्यजनक प्रगति पर बल दिया. उन्होंने वर्तमान में भारत के पास मौजूद सेमीकंडक्टर के महत्वपूर्ण अवसर को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार इसका उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है.
राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “हमें सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में शुरुआत किए 19 महीने हो चुके हैं. इस संबंध में दशकों से राजनीतिक दृष्टि और रणनीतियों का अभाव रहा है तथा अक्षमताएं और अप्रयुक्त अवसर रहे हैं. इनके कारण भारत सेमीकंडक्टर के मामले में पिछड़ गया. आज, आने वाले टेकडे में हम वह हासिल कर सकते हैं जिसे हासिल करने में कुछ पड़ोसी देशों को 30 साल और 200 अरब डॉलर खर्च करने पड़े और फिर भी वे उसे हासिल करने में विफल रहे."
इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल प्रोडक्ट्स और सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ चंद्रशेखर ने आज की तकनीक-संचालित दुनिया में सेमीकंडक्टरों की मुख्य भूमिका का उल्लेख किया. राजीव चन्द्रशेखर ने कहा कि भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण देश के रूप में उभर रहा है.
मंत्री चन्द्रशेखर ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल प्रोडक्ट्स और सेवाओं की मांग बढ़ती जा रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स आज हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है और सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स का महत्वपूर्ण भाग है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का पुनर्निर्माण किया है और हम दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं में से एक हैं. 2014 में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के क्षेत्र में हमारी स्थिति कुछ विशेष नहीं थी और आज हम इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला में तेजी से बड़ी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
1960 के दशक के बाद के अप्रयुक्त अवसरों का उल्लेख करते हुए राजीव चन्द्रशेखर ने इंगित किया कि पिछली सरकारें भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के महत्व को समझने में विफल रहीं.
मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर के मामले में भारत बार-बार चूक गया. यहां रणनीतिक और राजनीतिक दूरदर्शिता का अभाव था और बड़े पैमाने पर अक्षमता थी. इंटेल का पूर्ववर्ती फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर्स, 1957 में एक पैकेजिंग इकाई के लिए भारत आया और हमने उस अवसर को गवां दिया. वह पैकेजिंग इकाई मलेशिया में एशिया का सबसे बड़ा पैकेजिंग केंद्र बन गई. हमने सिलिकॉन और जर्मेनियम ट्रांजिस्टर के लिए फैब स्थापित किया जो बंद हो गया. भारत की प्रमुख VLSI सुविधा, सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (SCL), 1989 में रहस्यमय आग के कारण नष्ट हो गई, जिससे उत्पादन 1997 तक रुका रहा. 1987 में, भारत नवीनतम चिप निर्माण तकनीक से केवल दो साल पीछे था. आज, हम 12 पीढ़ियां पीछे हैं - सेमीकंडक्टरों के मामले में एक राष्ट्र के रूप में हम इस हद तक पीछे है.”
राजीव चन्द्रशेखर ने अप्रयुक्त अवसरों की चर्चा करते हुए कहा, “सेमीकंडक्टरों से संबंधित बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां दक्षिण भारत में परिचालन शुरू करना चाहती थीं. विशेषज्ञों को नियुक्त करने और क्लीनरूम स्थापित करने के बावजूद, उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. यह परियोजना अंततः चीन के पास चली गई, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सेमीकंडक्टर सुविधा और 4,000 नौकरियों से हाथ धोना पड़ा. सेमीकंडक्टर मेमोरी क्षेत्र में विश्व की अग्रणी कंपनी माइक्रोन की गुजरात में 2.75 अरब डॉलर की एटीएमपी परियोजना से कम से कम 5,000 नई प्रत्यक्ष और 15,000 सामुदायिक नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है.”
सरकार प्रतिभा को निखारने के लिए एक व्यापक पाठ्यक्रम बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में स्टार्टअप का सक्रिय रूप से समर्थन कर रही है. मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “हम 85,000 अत्यधिक प्रतिभाशाली, कुशल वैश्विक प्रतिभाओं को तैयार करने के लिए उद्योग के साथ लगातार साझेदारी कर रहे हैं. सेमीकॉनइंडिया फ्यूचर डिज़ाइन के तहत भारत में 30 से अधिक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्टअप स्थापित किए गए हैं, जिनमें सिलिकॉन वैली के कुछ सेमीकंडक्टर लीडर भी शामिल हैं. पांच स्टार्टअप को सरकारी वित्तीय सहायता पहले ही मिल चुकी है और अगली पीढ़ी के उत्पादों तथा उपकरणों के लिए अन्य 25 स्टार्टअप के प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन के दूसरे संस्करण का उद्घाटन करेंगे. इसमें सेमीकंडक्टर उद्योग से संबंधित माइक्रोन टेक्नोलॉजी, एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसी प्रमुख कंपनियां भाग लेंगी.