टॉप-50 विलफुल डिफॉल्टर्स पर 92 हजार करोड़ बकाया, लिस्ट में कई नाम ऐसे जो कभी नहीं सुने होंगे
अगर भारत के टॉप-50 विलफुल डिफॉल्टर्स की बात की जाए तो इन पर बैंकों का करीब 92, 570 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं 5 साल में बैंकों ने करीब 10 लाख करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले हैं.
एक कहावत है कि अगर बैंक से आपने 1000 रुपये उधार (Bank Loan) लिए हैं तो ये आपको दिक्कत है, लेकिन अगर बैंक ने आपको 100 करोड़ रुपये उधार दिए हैं तो ये बैंक की दिक्कत है. बैंक अक्सर अपने पैसों की रिकवरी (Bank Loan Recovery) के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं. अपने पैसे वापस लेने के लिए वह प्यार से भी बात करते हैं और थर्ड पार्टी की मदद से हथियार यानी डरा-धमका कर भी पैसे वापस मांगते हैं.
खैर, ये सब होता सिर्फ कार लोन (Car Loan), होम लोन (Home Loan) या फिर पर्सनल लोन (Personal Loan) के मामले में जो 2-4 लाख या ज्यादा से ज्यादा 50-60 लाख रुपये तक के होते हैं. बात अगर करोड़ों रुपये के कॉरपोरेट लोन (Corporate Loan) की आती है तो उस सूरत में बैंक अपने ये सारे हथकंडे भूल जाते हैं. कॉरपोरेट क्लाइंट्स के पास वकीलों की फौज होती है, जिनके सामने इन बैंकों की एक नहीं चलती. यही वजह है कि विजय माल्या (Vijay Mallya), नीरव मोदी (Nirav Modi), मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) जैसे लोग बैंकों को करोड़ों-अरबों रुपये का चूना लगा देते हैं और बैंक बेबस बने बस देखते रहते हैं.
टॉप-50 विलफुल डिफॉल्टर्स पर 92,570 करोड़ बकाया
अगर भारत के टॉप-50 विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) की बात की जाए तो इन पर बैंकों का करीब 92, 570 करोड़ रुपये बकाया है. बता दें कि विलफुल डिफॉल्टर वह लोग या कंपनियां होती हैं, जिनके पास पैसे होते हैं, लेकिन फिर भी वह अपना बैंक लोन नहीं चुकाते. वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने लोक सभा में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि कौन सी कंपनियां सबसे बड़ी डिफॉल्टर हैं.
- 7848 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट के साथ गीतांजलि जेम्स (मेहुल चोकसी) सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर है. बता दें कि मेहुल चोकसी हीरा कारोबारी नीरव मोदी के मामा हैं.
- इस लिस्ट में दूसरा नाम है Era Infra Engineering का, जिसने 5,879 करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्ट किया है.
- अगला नाम Rei Agro का है, जिसने बैंकों के 4803 करोड़ रुपये नहीं चुकाए हैं.
- वहीं इसके बाद नंबर आता है Concast Steel and Power का, जिस पर बैंकों का 4596 करोड़ रुपये बकाया.
- ABG Shipyard कंपनी पर 3708 करोड़ रुपये का बैंक लोन है, जो उसने अभी तक नहीं चुकाया है.
- Frost International पर भी 3311 करोड़ रुपये का लोन है, जिसे कंपनी ने डिफॉल्ट कर दिया है और वापस नहीं चुकाया है.
- इस लिस्ट में अगला नाम Winsome Diamonds and Jewellery का है, जिसने 2931 करोड़ रुपये का बैंक लोन नहीं चुकाया है.
- Rotomac Global ने अभी तक 2893 करोड़ रुपये का बैंक लोन नहीं लौटाया है और विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट में शामिल है.
- इनके अलावा Coastal Projects पर करीब 2311 करोड़ रुपये का लोन है, जिसे कंपनी ने अब तक नहीं लौटाया है.
- Zoom Developers पर भी 2147 करोड़ रुपये का बैंक लोन है, जो कंपनी ने अभी तक नहीं चुकाया है.
10 लाख करोड़ रुपये
पिछले 5 सालों में बैंकों ने कुल 10,9,511 करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाल दिया है. बता दें कि अगर किसी लोन के मिलने की संभावना नहीं रहती, तो बैंक उसे अपने बही खाते से निकाल देते हैं, जिससे उनकी बैलेंस शीट साफ दिखने लगती है. ऐसा नहीं करने पर बैंकों को ऐसे कर्जों को कवर करने के लिए कुछ पैसे प्रोविजंस के रूप में रखने होते हैं, जिससे उसके प्रॉफिट पर असर पड़ता है. वित्त मंत्री निर्मला सितारमण (Nirmala Sitharaman) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में इस बात की जानकारी दी है. आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 सालों में सरकारी बैंक ने माफ किए गए लोन में से महज 1.03 लाख करोड़ रुपये ही रिकवर किए हैं.
किसने कितना लोन किया माफ किया?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI)- 2 लाख करोड़ रुपये
पंजाब नेशनल बैंक (PNB)- 67,214 करोड़ रुपये
आईडीबीआई बैंक (IDBI)- 45,650 करोड़ रुपये
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI)- 50,514 करोड़ रुपये
एचडीएफसी बैंक (HDFC)- 34,782 करोड़ रुपये
बैंकों का लोन हुआ डिफॉल्ट तो किसका नुकसान?
हर किसी के मन में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर बैंकों के लोन डिफॉल्ट होने से किसे नुकसान होता है. दरअसल, ऐसा होने से सबसे पहले तो बैंक को ही नुकसान होता है, लेकिन उसकी वजह से ये नुकसान बैंक के शेयरहोल्डर्स और खाता धारकों को भी होता है. अगर ये नुकसान ना होता तो बैंक तगड़ा मुनाफा कमाते, जिसके चलते वह शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड दे सकते थे. इतना ही नहीं, इसके चलते वह अपने खाताधारकों को बेहतर ब्याज चुका सकते हैं या फिर कम ब्याज पर लोन दे सकते हैं.
वहीं अगर बैंक को भारी भरकम नुकसान होता है तो फिर वह अपने नुकसान को लेकर सरकार के पास पहुंचते हैं. अगर वह सरकारी बैंक है तब तो सारी जिम्मेदारी बनती ही सरकार की है. ऐसे में अक्सर सरकार की तरफ से बैंकों को कुछ फंड दिया जाता है, ताकि उसकी हालत बेहतर हो सके और एनपीए का बोझ कम हो सके. जब सरकार की तरफ से बैंकों के पैसे चुकाए जाते हैं तो इसका सीधा सा मतलब ये है कि सरकार वही पैसे बैंक को देती है, जो अगर उसे ना देती तो जनता की भलाई के लिए खर्च होते. यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि ये आपके ही पैसे होते हैं. यानी किसी भी बैंक के साथ अगर फ्रॉड की खबर आती है तो आपको भी इस बात की चिंता होनी चाहिए, क्योंकि मुमकिन है कि आपके ही पैसों से उस बैंक को इस मुसीबत से उबारा जाए.