नारायण मूर्ति बोले- 'मैं पूरी तरह गलत था', आखिर क्यों अफसोस जता रहे इंफोसिस के को-फाउंडर?
इंफोसिस में नारायण मूर्ति ने एक खास पॉलिसी बनाई थी. अब कंपनी के 40 साल पूरे होने पर उन्होंने स्वीकार किया है कि वह पूरी तरह गलत थे. तो क्या अब कंपनी की पॉलिसी में कोई बदलाव किया जाएगा?
राजनीति में परिवारवाद को बहुत ही गलत माना जाता रहा है. वहीं दूसरी ओर बिजनेस में परिवारवाद एक कल्चर जैसा है. तमाम बिजनेसमैन अपने बच्चों को कंपनी में बड़े पदों पर एंट्री दिलाते हैं. हालांकि, इंफोसिस (
) के को-फाउंडर एनआर नायारण मूर्ति (N R Narayana Murthy) इसके खिलाफ रहे हैं. उन्होंने तो अपनी कंपनी में पॉलिसी तक बनाई थी कि फाउंडर्स के परिवार वालों को कंपनी की लीडरशिप पोजीशन से दूर रखा जाना चाहिए. खैर, अब कंपनी की स्थापना के 40 साल पूरे (40 Years of Infosys) होने के बाद खुद नारायण मूर्ति को भी अपने फैसले पर अफसोस हो रहा है.नारायण मूर्ति ने माना कि उनसे गलती हुई
इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति वैसे तो अपने फैसलों से पीछे ना हटने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कदम पीछे खींचे हैं. कंपनी के 40 साल पूरे होने पर नारायण मूर्ति ने कहा है कि फाउंडर्स के परिवार वालों को लीडरशिप पोजीशन से दूर रखने की पॉलिसी के मामले में वह पूरी तरह गलत थे. मुमकिन है कि उनका ऐसा कहने की वजह उनके बेटे रोहन मुर्ति हों. रोहन मूर्ति ने 2013 में कंपनी के साथ एक छोटा सा कार्यकाल बिताया था. उन्होंने अपने पिता के एग्जिक्युटिव असिस्टेंट के रूप में कंपनी में काम किया था. 2014 में रोहन मूर्ति और उनके पिता दोनों ही कंपनी से अलग हो गए थे.
परिवार के लोगों को कंपनी में नहीं लाने की पॉलिसी को लेकर नारायण मूर्ति ने कहा- मैं पूरी तरह गलत था. मैं इसे स्वीकार करता हूं. आज मेरा मानना है कि अगर आपके पास किसी पोजीशन के लिए अच्छे लोग हैं तो इन बातों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है कि उनकी राष्ट्रीयता क्या है, विरासत कौन सी है या कौन किसका बेटा बेटी है.
तो क्या अब बदलेगी पॉलिसी?
नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कंपनी इस पॉलिसी को बदल सकती है. यानी हो सकता है कि अब फाउंडर्स के बच्चे भी कंपनी में लीडरशिप पोजीशन में आ सकें. उन्होंने एक सवाल पर जवाब देते हुए कहा- 'मुझे लगता है कि हर शख्स को समान मौके मिलने चाहिए, अगर उसे रोल के लिए सबसे बेहतर व्यक्ति माना जाता है.'
लेकिन ऐसी पॉलिसी क्यों बनाई थी नारायण मूर्ति ने?
एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर नारायण मूर्ति ने कंपनी के लिए ऐसी पॉलिसी क्यों बनाई थी? सारी दुनिया में तमाम बिजनेसमैन अपने बच्चों को बिजनेस में लाते ही हैं, तो फिर इंफोसिस में ऐसा करने में क्या दिक्कत थी? दरअसल, इसके पीछे उनका वही डर था, जो डर राजनीति में परिवारवाद होने पर रहता है. उन्हें डर था कि अगर फाउंडर्स के परिवार वालों को इंफोसिस में लीडरशिप पोजीशन में लाया जाता है तो कुछ लोग अयोग्य लोगों को ला सकते हैं. अयोग्य लोगों के लीडरशिप पोजीशन में पहुंचने की वजह से जिस तरह राजनीतिक पार्टी बिखर जाती है, वैसा ही कुछ इंफोसिस के साथ होने का डर था. नारायण मूर्ति कंपनी के भविष्य को बेहद मजबूत बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस सख्त पॉलिसी को बनाया था. वह चाहते हैं कि कंपनी 100 सालों तक फलती-फूलती रहे.
आने वाले सालों का क्या है कंपनी का प्लान?
नारायण मूर्ति के अलावा इंफोसिस के अन्य को फाउंडर नंदन निलेकणि, एस गोपालकृष्णन, एस डी शिबूलाल और के दिनेश हैं. कंपनी के 40 साल पूरे होने पर अगले 60 सालों की योजना पर भी बात की गई. कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एन नायारण मूर्ति ने नॉन- एग्जिक्युटिव चेयरमैन नंदन निलेकणि को यही टारगेट दिया है कि 100 सालों तक कंपनी फलते-फूलते रहनी चाहिए. नंदन निलेकणि ने कहा है कि वह जब भी कंपनी की कमान किसी दूसरे चेयरमैन को सौंपकर निकलेंगे तो वह एक गैर-फाउंडर होगा और इसका कोई प्लान-बी नहीं है. वह बोले कि विशाल सिक्का को जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन फिर उनके इस्तीफे के बाद कंपनी में वापस आना पड़ा. 67 साल के नंदल निलेकणि ने कहा कि 75 साल या अधिक की उम्र में वह बार-बार कंपनी में वापस नहीं आ पाएंगे, ऐसे में कोई दूसरा प्लान नहीं होगा.