यह है नेपाल का पहला पक्षी अभयारण्य, भारतीय पर्यटकों के लिए नया आकर्षण
नेपाल में सबसे अधिक भारतीय पर्यटक जाते हैं और नेपाल की कोशिश उन पर्यटकों को इस इलाके की सुंदरता से लुभाने की है.
भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित घोड़ाघोड़ी वेटलैंड की पहचान एक रामसर स्थल के रूप में होती है. यह स्थान नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत (सुदूरपश्चिम प्रदेश) में है. सुदूरपश्चिम नेपाल के 7 प्रांतों में से एक है जिसे 2015 में लागू संविधान के आधार पर बनाया गया था. पक्षियों की बहुलता वाला यह वेटलैंड नेपाल और भारत के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. अब इस वेटलैंड के साथ एक और विशेषण जुड़ गया है. इसे अब बर्ड सेंचुरी या पक्षी अभयारण्य के रूप में मान्यता मिली है. इसका मतलब यह हुआ कि यहां पक्षियों के संरक्षण की कोशिशें और तेज होंगी.
नेपाल के इस फैसला का संरक्षणवादियों ने स्वागत किया है. उनका मानना है कि इससे बड़ी संख्या में पक्षियों को संरक्षण मिलेगा.
घोड़घोड़ी नगर पालिका की जद में आने वाले इस वेटलैंड परिसर में 360 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज की गई है. इसमे कई स्थानीय प्रजाति के पक्षी हैं तो कुछ प्रवासी प्रजाति भी. यह 2,563 हेक्टेयर (6330 एकड़) क्षेत्र में फैला हुआ है.
सुदूरपश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट कहते हैं, “क्षेत्र को सिर्फ पक्षी सेंचुरी घोषित कर देना काफी नहीं है, इस जगह का प्राकृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का संरक्षण करना सभी का कर्तव्य है.”
इस घोषणा से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने का उम्मीद है. विशेष रूप से भारत की सीमा से नजदीक होने के कारण यहां भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. नेपाल में सबसे अधिक भारतीय पर्यटक जाते हैं और नेपाल की कोशिश उन पर्यटकों को इस इलाके की सुंदरता से लुभाने की है.
न सिर्फ विदेशी पर्यटक बल्कि इस वेटलैंड परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खतरा झेल रहे पक्षियों को भी आसरा मिल रहा है. इनमें ग्रेट हॉर्नबिल, सारस और भारतीय चिततीदार चील जैसे पक्षी भी शामिल हैं.
पक्षी विज्ञानी हेम सागर बराल मोंगाबे इंडिया को बताते हैं, “देश का पहला पक्षी सेंचुरी की घोषणा से स्थानीय सरकार की जैव-विविधता संरक्षित करने की प्रतिबद्धता दिखती है.”
बराल लंदन की जूलॉजिकल सोसाइटी में नेपाल का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होने आगे बताया “यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब यह कहा जा रहा है कि संरक्षण क्षेत्र का संरक्षण संघीय सरकार यानी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. इस वजह से यह डर प्रबल हो रहा है कि कि स्थानीय सरकार या राज्य सरकार संरक्षण के प्रयासों में हिस्सेदारी नहीं निभाएगी.”
राज्य सरकार के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था. नेपाल के संघीय कानून में किसी क्षेत्र को पक्षी सेंचूरी घोषित करने का प्रावधान नहीं है. लेकिन सुदूरपश्चिम की राज्य सरकार ने घोड़ाघोड़ी को पक्षी सेंचुरी घोषित करने के लिए अलग से कानून बनाया है.
बराल कहते हैं, “इस जगह के प्रबंधन को लेकर नियम-कानून बनना अभी बाकी है.”
रामसर कन्वेंशन के तहत विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि की सूची में शामिल घोड़ाघोड़ी परिसर में झीलों, दलदल और जंगल की एक श्रृंखला शामिल है. यह हिमालय क्षेत्र की सबसे छोटी पहाड़ी शिवालिक के निचले ढलानों पर स्थित है. यह परिसर दक्षिणी मैदानों और शिवालिक पहाड़ियों के बीच एक महत्वपूर्ण वन्यजीव कॉरीडोर या गलियारा प्रदान करता है. यहां बंगाल टाइगर (पैंथर टाइग्रिस), लाल-मुकुट वाले कछुए (बटागुर कचुगा) और एराइड्स गंधा ऑर्किड जैसी खतरनाक प्रजातियों का आवास है. धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय कमल (नेलुम्बो न्यूसीफेरा) और दुर्लभ जंगली चावल (हाइग्रोहिजा अरिस्टाटा) भी इस क्षेत्र में पाए गए हैं.
रामसर साइट इन्फोर्मेशन के अनुसार इस सेंचुरी में पारंपरिक मछ्ली पकड़ने का काम और खेती, दक्षिण किनारे में ट्रेफ़िक, अनियोजित तरीका से नये मंदिरों का निर्माण, मवेशियों के अधिक चरने, अवैध शिकार, अवैध पेड़ कटाई के कारण खतरा है.
बराल ने कहा, “उम्मीद करते हैं इस पहल से इन खतरों से निपटने में मदद मिलेगी और इस महत्वपूर्ण स्थल का संरक्षण होगा.” बराल मानते हैं कि यह जगह भारतीय सीमा से नजदीक होने के कारण ज्यादा संख्या में भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करेगी. ये पर्यटक पहले से यहांआते रहे हैं.
(यह लेख मुलत: Mongabay पर प्रकाशित हुआ है.)
बैनर तस्वीर : नेपाल के पहले पक्षी अभयारण्य में ग्रेट हॉर्नबिल, सारस और भारतीय चिततीदार चील जैसे पक्षियों को आसरा मिल रहा है. तस्वीर - प्रताप गुरुंग/विकिमीडिया कॉमन्स