दिवाली पर कैसे लड्डू, इमरती की बजाय चॉकलेट से मुंह मीठा कराना बनता जा रहा ट्रेंड
चॉकलेट के टुकड़े से मुंह मीठा कराना 'क्लासी थिंग' समझा जाता है, वहीं लड्डू, बर्फी, इमरती, कब दोयम दर्जे में शुमार हो गए, उन्हें भी नहीं पता.
हाल ही में खबर आई थी कि रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) ने भारत भर के 50 से अधिक पारंपरिक, क्षेत्रीय मिठाई (मिठाई) निर्माताओं के साथ डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनरशिप्स की हैं. इसके तहत लड्डू, बर्फी और पेड़ा जैसी पैकेज्ड मिठाई रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म JioMart के अलावा सभी रिलायंस किराना स्टोरों जैसे स्मार्ट बाजार, स्मार्ट और अन्य किराना स्टोर्स पर रखी जा रही हैं. मकसद है कैडबरी और किटकैट जैसे चॉकलेट ब्रांड्स के साथ पारंपरिक मिठाइयों की प्रतिस्पर्धा को मजबूत करना.
बात भी सही है, चॉकलेट की चमक में परंपरागत मिठाइयों की चमक और मिठास कहीं खो सी गई है. भारत के प्रमुख त्योहारों में गिनी जाने वाली दिवाली पर भी मिठाई से ज्यादा आकर्षित आजकल चॉकलेट करती है. दिवाली की मिठाई के नाम पर चॉकलेट्स के पैक का आदान-प्रदान होने लगा है. चॉकलेट के टुकड़े से मुंह मीठा कराना 'क्लासी थिंग' समझा जाता है, वहीं लड्डू, बर्फी, इमरती, कब दोयम दर्जे में शुमार हो गए, उन्हें भी नहीं पता. हां, काजू कतली आज भी मिठाइयों में टॉप पर है.
क्यों परंपरागत मिठाई खोती जा रही चमक
चॉकलेट के मुकाबले परंपरागत मिठाई के पिछड़ते जाने की कई वजह हैं. पहली वजह चॉकलेट के पैक, मिठाई के मुकाबले सस्ते पड़ते हैं. मिठाई चाहे जो हो, भले ही कितनी ही महंगी हो, आप एक तय मात्रा से कम मिठाई गिफ्ट नहीं कर पाते. आखिरकार रिश्तेदारों, दोस्तों के सामने 'इमेज' भी कोई चीज है. लेकिन चॉकलेट का सबसे छोटा पैक भी अगर आप गिफ्ट कर दें तो आपकी इमेज को कोई नुकसान नहीं होता. चॉकलेट की पैकेजिंग भी विभिन्न तरह की रहती है, जो आकर्षित करती है.
दूसरी वजह कोई तामझाम, टेंशन नहीं. एक वक्त था, जब लोग दिवाली-भाई दूज पर अलग-अलग मिठाइयों को मिलाकर एक गिफ्ट हैंपर बनवाते थे. गांव-देहात में इसे डिब्बे तैयार करना भी कहा जाता है. लेकिन चॉकलेट्स के एकदम तैयार गिफ्ट हैंपर मार्केट में मौजूद हैं. ग्राहक को न यह सोचना है कि कौन-कौन सी मिठाई लेनी है, न यह कि एक डिब्बे में किस मिठाई के कितने पीस रखे जाएंगे. बस चॉकलेट के तैयार पैक मार्केट से खरीदे और टेंशन मुक्त गिफ्टिंग शुरू.
परंपरागत मिठाई से चॉकलेट पर शिफ्टिंग की एक अहम वजह मिठाइयों में होने वाली मिलावट भी है. बर्फी, पेड़ा, रसमलाई, गुलाब जामुन, मिल्क केक आदि जैसी मिठाइयों में खोया/मावा या दूध इस्तेमाल होता है. इनकी क्वालिटी अच्छी होगी या नहीं, दूध वास्तव में दूध होगा या कुछ और...ये सारे सवाल त्योहारों पर और गहरा जाते हैं. और ऐसा हो भी क्यों न, त्योहारों पर शॉपिंग के साथ-साथ मिलावट भी चरम पर होती है. अक्सर हमें त्योहारों के आसपास ऐसी खबरें देखने-सुनने-पढ़ने को मिल जाती हैं कि 'भारी मात्रा में मिलावटी खोया सीज किया गया...', 'सिंथेटिक दूध बनाते 4 पकड़े...'
विज्ञापनों का भी अहम रोल
त्योहारों पर चॉकलेट की छटा बिखेरने में विज्ञापनों का भी अहम योगदान है. सबसे अच्छा उदाहरण कैडबरी सेलिब्रेशंस का है. कैडबरी, ब्रिटेन की Mondelez International के स्वामित्व वाला चॉकलेट ब्रांड है. लगभग हर दिवाली के आसपास इसका नया विज्ञापन आता है, या फिर साल भर न दिखने वाला पुराना दिवाली सेलिब्रेशंस एड फिर से दिखाया जाने लगता है. कैडबरी सेलिब्रेशंस के हर दिवाली विज्ञापन में लोग एक-दूसरे का मुंह चॉकलेट से मीठा कराते या फिर चॉकलेट गिफ्ट करके एक दूसरे की दिवाली हैप्पी बनाते दिखाए जाते हैं. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक कैडबरी सेलिब्रेशंस के विज्ञापनों में दिख चुके हैं तो फिर यह कैसे न लुभाए.
लेकिन ऐसा नहीं है कि विज्ञापनों में लड्डू, गुलाब जामुन, गुझिया जैसी परंपरागत मिठाइयों का दौर पूरी तरह खत्म हो गया है. कुछ घी या ऑयल/रिफाइंड ब्रांड, चॉकलेट के विज्ञापनों से टक्कर ले रहे हैं और परंपरागत मिठाइयों के रिवाज को जीवित रखने की पूरी कोशिश में हैं. हाल ही में धारा का एक नया विज्ञापन आया है, जिसमें घर के बने गुलाब जामुन और कचौड़ी को 'बढ़िया वाला करार' दिया गया है. 2021 की दिवाली पर भी धारा ने जलेबी को दर्शाते हुए अपने हाथ के बने पर जोर देते हुए एक विज्ञापन उतारा था.
भारत में चॉकलेट का बाजार
रिसर्च फर्म IMARC ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय चॉकलेट बाजार साल 2021 में 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर के की वैल्यू पर पहुंच गया. भारत, चॉकलेट के लिए दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है. शोधकर्ता ने 2027 तक भारतीय चॉकलेट बाजार के 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया है. भारत में चॉकलेट बाजार में बड़े नाम मॉन्डेलेज, नेस्ले, मार्स रिगली, फेरेरो हैं. इसके विपरीत पारंपरिक मिठाइयों का बाजार काफी हद तक असंगठित है, जिसमें सैकड़ों विशिष्ट स्थानीय खिलाड़ी हैं.
पेट में ही नहीं, दिल में भी हमेशा रहती है मिठाई की जगह
लेकिन हम बात भारत की कर रहे हैं और यहां परंपरागत मिठाई को रिप्लेस कर पाना, अभी चॉकलेट के लिए बहुत, बहुत दूर की कौड़ी हैं. वजह है, भले ही रक्षाबंधन और दिवाली पर चॉकलेट लुभाती हो लेकिन फेस्टिव सीजन के बाद आता है शादी का सीजन और शादियां बिना परंपरागत मिठाई के भारत में होना तो नामुमकिन ही है. इसके अलावा भारतीयों को जलेबी, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, इमरती, लड्डू, रबड़ी, बर्फी, घेवर इत्यादि से इतना प्यार है कि बिना किसी अवसर के भी यूं ही खरीद कर खा लिए जाते हैं. किसी त्योहार या शादी की जरूरत भी नहीं पड़ती. बस दिल मिठाई खाने का करना चाहिए, मौका अपने आप क्रिएट हो जाता है. तो ऐसे में भारतीयों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बनाना तो आसान है लेकिन परंपरागत मिठाइयों को उनके दिलों से निकालना 'असंभव' है. तो अपनी पसंद की मिठाई खाइए और परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ दिवाली मनाइए...Happy Diwali!!
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