महज पांच रुपये फीस लेकर जीवन भर किया मरीजों का इलाज, स्नेह और प्रशंसा को ही माना संपत्ति
डॉ. चटर्जी का कहना है कि नगर निगम से मिलने वाली सैलरी उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त थी और उन्हे अपने मरीजों से कभी अधिक फीस लेने की लालसा नहीं रही।
जरूरतमंद और गरीब मरीजों की निस्वार्थ सेवा करना एक डॉक्टर का धर्म होता है और यह धर्म करीब पचास सालों तक डॉक्टर श्यामल चटर्जी ने बखूबी निभाया है। कोलकाता में डॉ. चटर्जी को ‘5 रुपये वाले डॉक्टर’ के रूप में ख्याति प्राप्त है, क्योंकि उन्होने अपने सेवाकाल में मरीजों से महज पाँच रुपये ही बतौर फीस लिए हैं।
दो साल पहले तक डॉ. चटर्जी के घर पर मरीजों का तांता लगा रहता था। नगर निगम अस्पताल में तैनात डॉ. चटर्जी ड्यूटी पर निकलने से पहले सुबह 8 बजे तक मरीजों को घर पर देखा करते थे और शाम पाँच बजे अस्पताल से लौटने के बाद वे फिर से मरीजों को देखना शुरू कर देते थे।
द बेटर इंडिया के अनुसार, डॉ. चटर्जी ने अपने मरीजों से कभी पाँच रुपये से अधिक फीस नहीं ली, जबकि जिन मरीजों के पास देने के लिए फीस नहीं होती थी, डॉक्टर उनका इलाज मुफ्त में ही कर देते थे।
हालांकि बीते दो सालों से खुद की सेहत में गिरावट आने के बाद उन्हे अपनी इस सेवा को बंद करना पड़ा। डॉ. चटर्जी का कहना है कि नगर निगम से मिलने वाली सैलरी उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त थी और उन्हे अपने मरीजों से कभी अधिक फीस लेने की लालसा नहीं रही।
1998 में रिटायर होने वाले डॉक्टर चटर्जी की एक बेटी खुद भी गायनोकोलॉजिस्ट है। उन्हे पूरी उम्मीद है कि उनकी बेटी भी उनकी इस परंपरा को आगे लेकर जाएगी।
डॉ. चटर्जी कहते हैं कि पैसा एक समय के बाद खत्म हो जाता है और स्नेह और प्रशंसा से जुड़ी यादें हमेशा जिंदा रहती हैं। कोलकाता में लोग उन्हे उसी स्नेह के साथ याद रखते हैं।