कुछ भी अपने पेट में डालने से पहले देख तो लीजिए कि कहीं वो कचरा तो नहीं
टफ्ट्स के फ्रीडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रीशन साइंस एंड पॉलिसी सेंटर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के फूड की एक रैंकिंग जारी की है.
फर्ज करिए आपको एक मोबाइल फोन खरीदना है. आप क्या करेंगे? आप शॉपिंग एप पर जाएंगे और ढेर सारे मोबाइल के विकल्प देखेंगे. फिर आप सबकी रेटिंग और रिव्यूज चेक करेंगे. आप देखेंगे कि क्वालिटी और परफॉर्मेंस में उस मोबाइल की रैंकिंग क्या है. फिर ढेर सारी रिसर्च के बाद आप इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि आपको कौन सा मोबाइल खरीदना है.
मोबाइल ही क्यों, एक मामूली सा डोरमैट और बाल झाड़ने वाली कंघी भी खरीदने से पहले भी आप उसकी रेटिंग और रैंकिंग चेक करते हैं. आप हर उस चीज को लेकर ढेरों सावधानियां बरतते हैं, जिस पर अपना पैसा लगा रहे हैं.
बस एक ही चीज को लेकर आप लापरवाह हैं. जिसकी क्वालिटी रेटिंग, रैंकिंग किसी चीज की आपको परवाह नहीं. और वो है वो फूड, जो आप अपने पेट में डाल रहे हैं, जो खा रहे हैं.
टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के मेडिसिन स्कूल की फूड रैंकिंग आ गई है.
यह दो साल में दूसरी बार है, जब टफ्ट्स यूनिवर्सिटी मेडिसिन स्कूल ने दुनिया भर में खाए जाने वाली चीजों को उसकी गुणवत्ता के आधार पर उसे एक रैंकिंग दी है. टफ्ट्स के फ्रीडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रीशन साइंस एंड पॉलिसी सेंटर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने दो साल पहले भी ऐसी एक फूड रैंकिंग लिस्ट जारी की थी.
चलिए, अब हम आपको बताते हैं कि आप जो खा रहे हैं, वो इस रैंकिंग में कहां ठहरता है.
फर्ज करिए कि आप भारत देश में रहते हैं और आप समोसा खा रहे हैं. या ब्रेड पकौड़ा, फ्रेंच फ्राइज, जलेबी, रसमलाई, पिज्जा, बर्गर, मोमोज, ब्रेड, नूडल्स, पास्ता, आलू का पराठा, पूड़ी, कचौड़ी, बिरयानी, केक, पेस्ट्री तो आपको पता है कि आप क्या खा रहे हैं.
आप वो चीजें खा रहे हैं, जो टफ्ट्स फूड रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है यानी सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक. यह चीजें शरीर में इंफ्लेमेशन पैदा करती हैं, हॉर्मोन्स का संतुलन खराब करती हैं, इंसुलिन की गतिविधि में बाधा डालती हैं, मोटापा बढ़ाती हैं, कोशिकाओं, धमनियों और शिराओं में फैट जमा करती हैं और हार्ट, लिवर, किडनी की एक्टिविटी को नुकसान पहुंचाती हैं.
शुगर, रिफाइंड कार्ब्स, वेजीटेबल ऑयल, आर्टिफिशियल स्वीटनर, कॉर्न सीरप, फ्रुक्टोज, ट्रांस फैट, हाइड्रोजेनेटेड फैट, प्रॉसेस्ड मीट, प्रॉसेस्ड चीज और एल्कोहल, ये सारी चीजें इस फूड रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर हैं यानी खतरे के निशान से नीचे.
आप बस यूं समझ लीजिए कि ये वो वाला मोबाइल है, जिसे सबसे खराब रेटिंग मिली है. तो क्या आप अब भी अपने 20 हजार खर्च करके ये वाला मोबाइल खरीदेंगे.
लेकिन खराब रेटिंग के बावजूद आप अपने पैसे खर्च करके ये खराब वाला खाना खा रहे हैं, जो आपके पेट में जाकर आपके शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है.
अब बात करते हैं, उस मोबाइल की यानी उस फूड की, जिसे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने सबसे अच्छी रेटिंग दी है.
इस रेटिंग में हरी सब्जियां, पालक, टमाटर, गाजर, शलजम, चुकंदर, मशरूम, खीरा, जुकिनी, अवाकाडो, केल, लेटस, ऑलिव ऑयल, ब्रॉकली, फूलगोभी, पत्ता गोभी, भिंडी, लौकी, नारियल, सहजन, पीनट, फ्लैक्स सीड्स जैसी चीजें हैं.
फ्रीडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रीशन साइंस एंड पॉलिसी सेंटर के डॉक्टरों ने बहुत रोचक ढंग से फूड को ठीक वैसे ही रैंकिंग दी है, जैसी हमारे समय तक तकरीबन हरेक चीज को दी जा रही है. ये रैंकिंग और रेटिंग ही हमारे लिए आधार होता है ये तय करने का कि हम बेहतर गुणवत्ता वाली चीज खरीद रहे हैं. इस फूड रैंकिंग रिसर्च से जुड़े डॉक्टर कहते हैं कि हमारा मकसद लोगों को सचेत और जागरूक करना है कि वो उन चीजों को बहुत सावधानी से चुनें, जो चीजें वो अपने पेट में डालने का फैसला करते हैं.
डॉक्टर्स कहते हैं कि जैसे हम जीवन में बाकी फैसलों में, कामों में सावधानी बरतते हैं, वैसे ही इस काम में भी सावधानी बरतने की जरूरत है. जब हमारे सामने कोई स्वादिष्ट भोजन होता है तो हम ज्यादा सोचते नहीं. एक टेस्टी चिप्स का पैकेट, डोनट या कुकीज की तरफ हाथ बढ़ाते हुए एक भी बार हमारे मन में ये सवाल नहीं पैदा होता कि हम जिस चीज को अपने शरीर में डालने जा रहे हैं, वो शरीर के साथ कैसा व्यवहार करने वाली है. शरीर उस चीज के साथ कैसा व्यवहार करेगा. क्या वो दोनों एक-दूसरे के लिए मुफीद हैं. क्या वो फूड शरीर को पोषण देगा या शरीर को नुकसान पहुंचाएगा.
इस स्टडी से जुड़े रिसर्चर कहते हैं कि हम इस बारे में ज्यादा सोचते ही नहीं. बस जो हमारे मुंह के स्वाद को भाता है, वो हम खा लेते हैं. और वो चीजें लंबे समय में शरीर में विकार, बीमारी और कमजोरी पैदा करती है.
डॉ. मार्क हाइम कहते हैं, “हर वो चीज, जो प्रकृति में पैदा होने के बाद सीधे आप तक नहीं पहुंची और ढेर सारी जगहों, मशीनों, प्रक्रियाओं और फैक्टरियों की प्रॉसेसिंग से होकर आप तक आई है, वो शरीर के लिए नुकसानदायक है.”
वो कहते हैं, “आपको सेहतमंद खाने के नाम पर अपने गांव, अपने शहर से लाखों मील दूर किसी देश में पैदा हो रही चीज खाने की भी जरूरत नहीं. आपके लिए वही सबसे सेहतमंद है, जो आपके आसपास पैदा हो रहा है. जो आपके बगल की धरती में उग रहा है.”
वो कहते है, “प्रकृति में गजब का संतुलन है. उसने हर वो चीज बनाई है, जो आपके शरीर को स्वस्थ और मजबूत रहने के लिए चाहिए और यकीन मानिए, प्रकृति ने वो चीज आपके जीवन से हजारों मील दूर नहीं उगाई. वो वृक्ष, वो पौधे, वो अन्न आपके आसपास ही है.”
अगली बार जब आप भूख लगने पर खाना ऑर्डर करें, किसी डिपार्टमेंट स्टोर में किसी पैकेट की तरफ आपका हाथ बढ़े या किसी स्वादिष्ट भोजन को देखकर आप उसकी तरफ लपकें तो एक बार ठहरकर ये जरूर सोचिएगा कि ये चीज आपकी सेहत के लिए अच्छी है या बुरी. दोस्त है या दुश्मन. और टफ्ट्स मेडिकल स्कूल की इस फूड रैंकिंग को जेहन में रखिएगा.
Edited by Manisha Pandey