कॉलेज प्रोजेक्ट को स्टार्टअप में बदलकर बधिरों को सशक्त बना रही हैं ये दो 26 वर्षीय लड़कियां
पुणे स्थित बधिरों के स्कूल रेड क्रॉस सोसाइटी में कक्षा 6 के छात्र ग्यारह वर्षीय संकेत बिदकर अपनी सभी एक्टिविटी में मेहनती और दृढ़ हैं। हालाँकि, जब अंग्रेजी सीखने की बात आई, तो उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उच्चारण से लेकर व्याकरण और शब्दावली तक।
जब संकेत बिली टीवी लाइब्रेरी (Blee TV Library) में आए, तो वह काफी रोमांचित हो उठे। दरअसल बिली टीवी लाइब्रेरी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो सांकेतिक भाषा में कंटेंट प्रदान करता है। एक बार जब संकेत ने नियमित रूप से इस प्लेटफॉर्म के सभी फीचर्स का उपयोग करना शुरू कर दिया, तो उन्होंने महसूस किया कि उनके कम्युनिकेशन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
वह बताते हैं,
"बिली टीवी लाइब्रेरी का उपयोग करने के कुछ ही समय में मैं कई शब्दों से परिचित हो गया। पूर्ण वाक्य बनाने के लिए विभिन्न वाक्यांशों को एक साथ रखना भी आसान लगने लगा। सबसे महत्वपूर्ण बात, अंग्रेजी में मेरी ग्रेड बेहतर होती रही, इसके लिए मैं बिली द्वारा उपलब्ध कराए गए अच्छी तरह देखने योग्य कंटेंट के लिए शुक्रिया कहना चाहूंगा।"
संकेत की ही तरह, पुणे स्थित स्टार्टअप ब्लीटेक (Bleetech) इनोवेशन द्वारा होस्ट किए गए इस प्लेटफॉर्म से अब हजारों बधिर छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।
2015 में 26 वर्षीय औद्योगिक डिजाइनर नुपुरा किर्लोस्कर और जान्हवी जोशी द्वारा स्थापित, ब्लीटेक ने सुनने में सक्षम और बधिरों के बीच की दूरी को मिटाने का काम किया है। उनकी दो प्रमुख पेशकश हैं: BleeTV जोकि एक फ्री एंड्रॉइड मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल है जो भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) में महत्वपूर्ण कंटेंट उपलब्ध कराता है, और दूसरी पेशकश है BleeTV लाइब्रेरी, ये भी लगभग वैसा ही प्लेटफॉर्म है लेकिन इस पर विशेषकर बच्चों के लिए कंटेंट उपलब्ध कराया जाता है।
ब्लीटेक इनोवेशन की सह-संस्थापक, नूपुरा ने योरस्टोरी से बात करते हुए कहा कि बधिर समुदाय को दैनिक आधार पर कई अनूठी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
वे कहती हैं,
''लोगों के वर्ड प्ले और एक्सप्रेशन्स के साथ तालमेल बनाए रखते हुए, साइन लैंग्वेज के अभाव में लगातार लोगों के लिप्स को देखते रहना, उनके सीखने की अवस्था को सीमित करता है। हालांकि उनमें से कुछ ने इन पर काबू पा लिया लेकिन कई पिछड़ गए। इससे उनके करियर और भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ब्लीटेक इनोवेशन का लक्ष्य ऐसे परिदृश्यों को टालना है।”
डांस परफॉर्मेंस से खुला एक दरवाजा
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 29 लाख लोग विकलांग हैं। इस संख्या में से, लगभग 12.6 लाख ऐसे हैं जिन्हें किसी न किसी प्रकार की सुनने में बाधा का सामना करना पड़ता है। अपने अस्तित्व में आने चार वर्षों में, ब्लीटेक पहले ही अपने डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से 12,000 से अधिक बधिरों के जीवन को प्रभावित कर चुका है, और अब बधिर समुदाय के एक बड़े वर्ग तक पहुंचने की तलाश कर रहा है।
ब्लीटेक से शुरू होने के पीछे एक कहानी है। नुपुरा और जान्हवी पुणे के एमआईटी में औद्योगिक डिजाइन पाठ्यक्रम में क्लासमेट थीं। एक बार उन्होंने कॉलेज में बधिर छात्रों के एक समूह द्वारा डांस परफॉर्मेंस देखी।
नुपुरा कहती हैं,
“हम दोनों भौचक्के थे, क्योंकि ये छात्र म्यूजिक की एक बीट भी नही सुन सकते थे फिर भी उनकी सिंक्रनाइज मूव्स कमाल की थीं। बस यहीं से हमने श्रवण दोष वाले लोगों की जरूरतों को समझने में रुचि विकसित की। हमारे शोध के दौरान, हमने पाया कि बधिर आमतौर पर वायबरेट यानी कंपन के जरिए ध्वनि को समझते हैं। इसलिए, हमने इस तथ्य को स्मार्टवॉच में तब्दील करने के बारे में सोचा, जो बधिर लोगों को हर उस ध्वनि के बारे में सूचित कर सकती है जो वो सुनना चाहते हैं।”
प्रारंभ में, नुपुरा और जाह्नवी ने एक कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए पूरी तरह से एक घड़ी के लिए एक प्रोटोटाइप डिजाइन करके शुरुआत की। हालांकि, इस इनोवेशन को डेवलप करने की उनकी आवश्यकता अधिक दीर्घकालिक हो गई। दोनों महिलाओं ने बधिरों के सामने आने वाली बाधाओं के बारे में अच्छे से जाना, सांकेतिक भाषा सीखी और बधिर समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करके एक पायलट अध्ययन किया। कुछ महीनों के भीतर, उन्होंने एक कामकाजी मॉडल बनाया था और इसे 'Blee Watch' नाम दिया था।
इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं में किसी ध्वनि को सुनकर नोटिफिकेशन भेजना (जैसे कि दरवाजे की घंटी बजना, बच्चे का रोना और आग का अलार्म या अलार्म घड़ी का बजना), टाइप किए गए टेक्स्ट को स्पीच में बदलना, और लोकेशन शेयर करना, असुरक्षित स्थिति के मामले में पांच दिए गए आपातकालीन नंबर्स पर संपर्क करना आदि शामिल थीं।
नुपुरा कहती हैं,
“कभी एक कॉलेज प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ और बाद में स्टार्टअप बने इस काम के जरिए हम एक समावेशी समाज में योगदान करना चाहते थे। जब टाटा ट्रस्ट के सोशल अल्फा के बाद आईआईटी-बॉम्बे की सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप ने निवेशकों और इनक्यूबेटरों के रूप में कदम बढ़ाने पर सहमति जताई तो हालात बेहतर हो गए।”
सशक्तिकरण की भावना का प्रसार करना
चूंकि नुपुरा और जाह्नवी को Blee Watch व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं लगी, इसलिए उन्होंने एक और पेशकश बनाने का फैसला किया। 2018 में, उन्होंने बिली टीवी, एक फ्री मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल लॉन्च किया, जिस पर बधिर लोग सांकेतिक भाषा में वित्तीय साक्षरता, करंट अफेयर्स, अंग्रेजी भाषा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और स्वयं सहायता के लिए उपयोगी और सूचनात्मक कंटेंट तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।
ब्लीटेक इनोवेशन की सह-संस्थापक, जाह्नवी कहती हैं,
“जिन लोगों की सुनने की क्षमता कमजोर है, उन्हें अक्षरों या शब्दों को ध्वनियों से जोड़ना कठिन लगता है, उनकी पढ़ने की गति धीमी हो सकती है। इसके अलावा, भाषा विज्ञान और समझ पर उनकी पकड़ चिंता का विषय है। ब्ली टीवी इन बाधाओं को खत्म करता है। प्लेटफॉर्म पर मौजूद कंटेंट में मुख्य रूप से 7,000 वीडियो शामिल हैं, जो इन-हाउस और कंटेंट पार्टनर्स की सहायता से बनाए गए हैं, जहां अवधारणाओं को सांकेतिक भाषा में समझाया गया है। यह बधिर लोगों के लिए पूरी तरह से परेशानी मुक्त सीखने योग्य बनाता है।”
स्टार्टअप ने अंततः BleeTV लाइब्रेरी प्लेटफॉर्म का एक और वर्जन डेवलप किया है, जिस पर डिजाइन और कंटेंट दोनों को विशेष रूप से बच्चों के लिए क्यूरेट किया गया है। अधिक से अधिक युवा दिमागों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से, अब तक पुणे के सात स्कूलों के साथ ब्लीटेक इनोवेशन ने सहयोग किया है।
इस पहल के तहत, बच्चों को प्लेटफॉर्म पर वीडियो से सीखने के लिए स्कूलों को हर हफ्ते दो घंटे अलग से रखने के लिए कहा जाता है। BleeTV लाइब्रेरी के कंटेंट तक पहुंच के अलावा, स्टार्टअप इन स्कूलों में प्रत्येक दो छात्रों के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट भी प्रदान करता है। कंटेंट और टैबलेट को कवर करने के लिए सब्सक्रिप्शन कॉस्ट, प्रति वर्ष प्रति छात्र 1,800 रुपये है, जिसे या तो स्कूल खुद से देते हैं या व्यक्तियों और संगठनों द्वारा करके भी दिया जाता है।
समावेशिता की ओर एक कदम
स्टार्टअप के प्लेटफॉर्म ने पुणे के स्कूलों में काफी मात्रा में लोगों को आकर्षित किया है। उदाहरण के लिए, द रेड क्रॉस सोसाइटी स्कूल फॉर डेफ ने कुछ महीने पहले ही BleeTV लाइब्रेरी की सदस्यता ली थी, और कुछ समय में ही उन्होंने कई परिणाम देख चुके हैं।
द रेड क्रॉस सोसाइटी स्कूल फॉर डेफ की प्रिंसिपल मनीषा डोंगरे कहती हैं,
“हमारे छात्रों के लिए Blee की जानकारी बहुत उपयोगी रही है। कई बार, साइन लैंग्वेज में लेक्चर देने पर भी बच्चे आसानी से विचलित हो जाते हैं। BleeTV लाइब्रेरी के वीडियो फुल इंगेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए सरल और ज्ञानवर्धक हैं।”
ब्लीटेक इनोवेशन इस तरह की सामग्री को जारी रखने और एक समावेशी समाज के विकास में योगदान देने की योजना बना रहा है।
जाह्नवी संकेत देते हुए कहती हैं,
“हम महाराष्ट्र और गुजरात के स्कूलों में अपनी भागीदारी बढ़ाने के कगार पर हैं। साथ ही, मैं और नुपुराााा निकट भविष्य में अकादमिक पाठ्यक्रम को पूरक करने के लिए कंटेंट के निर्माण पर नजर गड़ाए हुए हैं।"