रिलायंस कैपिटल की नीलामी पर एनसीएलटी में भिड़ीं दो बड़ी कंपनियां, जानिए किसके पक्ष में आया फैसला
ई-नीलामी में टॉरेन्ट समूह 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरा जबकि हिंदुजा समूह की बोली 8,110 करोड़ रुपये रही. हालांकि, ई-नीलामी के अगले दिन हिंदुजा समूह ने अपनी पेशकश को संशोधित कर 9,000 करोड़ रुपये कर दिया.
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने टॉरेन्ट समूह की याचिका पर कर्ज में फंसी अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल लिमिटेड
की ऋण शोधन प्रक्रिया पर मंगलवार को रोक लगा दी.सूत्रों ने कहा कि गुजरात के टॉरेन्ट समूह
ने इस याचिका में हिंदुजा समूह की तरफ से संशोधित बोली लगाए जाने को चुनौती दी है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी मुंबई ने ऋणशोधन प्रक्रिया पर रोक लगा दी.टॉरेन्ट समूह सबसे बड़ी बोलीदाता
ई-नीलामी में टॉरेन्ट समूह 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरा जबकि हिंदुजा समूह की बोली 8,110 करोड़ रुपये रही. हालांकि ई-नीलामी के अगले दिन हिंदुजा समूह ने अपनी पेशकश को संशोधित कर 9,000 करोड़ रुपये कर दिया. इसके साथ ही, उसने कर्जदाताओं को 100 प्रतिशत अग्रिम नकद की पेशकश की.
टॉरेन्ट ने अपनी याचिका में दावा किया कि ई-नीलामी के बाद हिंदुजा समूह की तरफ से संशोधित पेशकश करना गलत और अवैध है. एनसीएलटी ने प्रशासक से टॉरेन्ट समूह के आवेदन पर जवाब देने को कहा है.
कर्जदाताओं की कमिटी (CoC) के वकील ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण में जाने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. हिंदुजा समूह का अदालत में प्रतिनिधित्व नहीं था.
प्रशासक के वकील ने कहा कि उधारदाताओं के लिए मूल्य अधिकतम करने के उद्देश्य से पूरी बोली प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से चलाया जाता है. अगली सुनवाई 12 जनवरी को होनी है.
LIC और EPFO की पहल पर नीलामी
रिलायंस कैपिटल के बड़े कर्जदाताओं एलआईसी (LIC) और ईपीएफओ (EPFO) की पहल पर यह ई-नीलामी की गई. इन दोनों की सीओसी में सम्मिलित हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है.
यह पहला मौका है जब दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत किसी एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) के लिए ई-नीलामी की गयी थी.
मंगलवार को हुई CoC की बैठक बेनतीजा
इस बीच, आरसीएल (RCL) के कर्जदाताओं की कमिटी (CoC) की मंगलवार को हुई बैठक में टॉरेन्ट समूह और हिंदुजा समूह दोनों की बोलियों पर चर्चा की गयी.
मुकदमे के कारण मंगलवार को हुई सीओसी की बैठक बेनतीजा रही. बैठक में, वित्तीय सलाहकारों - डेलॉइट और केपीएमजी ने देखा कि टोरेंट द्वारा ऋणदाताओं को अग्रिम नकद भुगतान 3,750 करोड़ रुपये था, जबकि हिंदुजा ने 9,000 करोड़ रुपये की अग्रिम पेशकश की थी.
ऋणदाता आमतौर पर मतदान के दौरान अग्रिम नकदी को अधिक तवज्जो देना पसंद करते हैं ताकि उनकी पूंजी को पहले हासिल किया जा सके.
15 फरवरी तक का समय चाहती है CoC
एनसीएलटी ने समाधान प्रक्रिया को महीने के अंत तक पूरा करने की आखिरी तारीख तय की है. हालांकि, सीओसी ने समाधान प्रक्रिया पूरी करने की समयसीमा को 15 फरवरी तक बढ़ाने के लिए एनसीएलटी के पास एक विस्तार आवेदन दाखिल करने का फैसला किया है.
...इसलिए एनसीएलटी में गया मामला
रिलायंस कैपिटल को नवंबर, 2021 में 24,000 करोड़ रुपये के अपने कर्ज में चूक के बाद एनसीएलटी अदालत में भेजा गया था.
डफ एंड फेल्प्स और आरबीएसए एडवाइजर्स की एल्यूएशन रिपोर्ट में रिलायंस कैपिटल की लिक्विडेशन वैल्यू क्रमशः 12,500 करोड़ रुपये और 13,200 करोड़ रुपये आंकी गई है. रिलायंस कैपिटल की लिक्विडेशन वैल्यू अभी भी दोनों पक्षों से प्राप्त बोलियों के मूल्य से कहीं अधिक है.
डफ एंड फेल्प्स के अनुसार अकेले रिलायंस जनरल इंश्योरेंस का लिक्विडेशन वैल्यू 7,000 करोड़ रुपये है, और रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस 4,000 करोड़ रुपये है. रिलायंस कैपिटल एसेट्स के पोर्टफोलियो में दोनों बीमा कंपनियां एकमात्र लाभ कमाने वाली कंपनी हैं.
Edited by Vishal Jaiswal