यूनेस्को ने 50 प्रतिष्ठित भारतीय विरासत वस्त्रों की सूची जारी की
भारत रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत भारत अपने वस्त्र क्षेत्र के माध्यम से तकीनीकी वस्त्रों की लिस्ट में छठे नम्बर पर है और इस क्षेत्र में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 6% है. भारतीय वस्त्र शिल्प में हथकरघा व मशीनरी दोनों मौजूद होते हैं. यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है. और यदि रोज़गार के मामले में बात की जाए की जाए तो कृषि के बाद भारत में सबसे अधिक रोज़गार इसी क्षेत्र में हैं. भारत के 45 मिलियन लोगों को वस्त्र एवं परिधान उद्योग के द्वारा रोज़गार प्राप्त होता है.
भारत के वस्त्र उद्योग को ध्यान में रखते हुए UNESCO ने 50 ऐसे टेक्सटाइल की लिस्ट जारी की है जो भारत की सांस्कृतिक विरसत और रवायतों का वर्णन करते हैं.
इस सूची में भारत के विभिन्न राज्य और वहां के पारंपरिक हस्त उद्योग, जैसे तमिलनाडु से टोडा कढ़ाई और सुंगड़ी, हैदराबाद से हिमरू बुनाई; को उनके निर्माण की जटिल प्रक्रिया के साथ दर्शाया गया है और उनके संरक्षण की सिफारिशें भी शामिल की गई हैं.
UNESCO के अनुसार इस सूची को ज़ारी करने के पीछे का मकसद है इन हेरिटेज टेक्सटाइल्स की एक उचित सूची और प्रलेखन की कमी होना. इसी कारण यह सूची जारी की गयी है ताकि इस कमी को पूरा किया जा सकें. इस सूची के अंतर्गत 50 वस्त्रों को चयनित किया गया जिनपर शोध करके एक साथ प्रकाशित किया गया है. UNESCO की इस सूची में इन वस्त्र शिल्प के संरक्षण को लेकर ज़मीनी स्तर पर आधारित सूक्ष्म हस्तक्षेप के व्यापक रूप को भी कवर किया गया है.
यूनेस्को ने व्यापक शोध करके 50 वस्त्रों को भारत के विशिष्ट और प्रतिष्ठित विरासत वस्त्र शिल्प के रूप में सूचीबद्ध किया है जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
हिमरू बुनाई - हैदराबाद
बंधा टाई और डाई बुनाई - ओडिशा
कुनबी बुनाई - गोवा
मशरू बुनाई व पटोला - गुजरात
गरद कोरियाल - पश्चिम बंगाल
खेस - हरियाणा
ऊन की टाई और डाई - लद्दाख
चम्बा के रुमाल - हिमाचल प्रदेश
अवध जामदानी - वाराणसी
इलकल - कर्नाटक
डंका कढ़ाई – उदयपुर.
Edited by Prerna Bhardwaj