बजट 2021: जानिए क्या है भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की उम्मीदें
1 फरवरी को पेश किए जाने वाले इस साल के केंद्रीय बजट से पहले, यहां भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के बिजनेस लीडर्स, आंत्रप्रेन्योर्स, इनवेस्टर्स और दूसरे स्टैकहोल्डर्स भारत सरकार से क्या उम्मीद करते हैं, इसको लेकर एक नजर...
साल 2020, आजीविका और देश की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियों से भरा था, जो कि COVID-19 महामारी के चलते सामने आई थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, भारत की जीडीपी वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 7.7 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर को छू सकती है, क्योंकि महामारी ने प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय धीमी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अतिरिक्त उपाय करने के लिए तैयार है, मई 2020 में घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के COVID-19 राहत पैकेज के बाद।
इस साल, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, आम बजट कागज रहित (paperless) होगा। यह उम्मीद की जाती है कि आम बजट और आर्थिक सर्वेक्षण सहित बजट पत्रों को मुद्रित (print) नहीं किया जाएगा, और सरकार इन दस्तावेजों के लिए सॉफ्ट कॉपी प्रदान करेगी।
आम बजट को लेकर हर क्षेत्र, जिसमें भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम - दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम, भी शामिल है, आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले वार्षिक बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
आम बजट से इंडियन बिजनेस लीडर्स ,आंत्रप्रेन्योर्स, इन्वेस्टर्स और दूसरे स्टैकहोल्डर्स समेत भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम क्या उम्मीद रखता है, इसके बारे में यहां एक नजर डालते हैं।
भारत का सर्विस सेक्टर बन सकता है विश्व का ऑफिस - अभिनव यादव, फाउंडर, WAVEL AI
WAVEL AI के फाउंडर अभिनव यादव आम बजट को लेकर अपनी अपेक्षाएं बताते हुए कहते हैं, "मेरी उम्मीदें सर्विस सेक्टर को लेकर है, क्योंकि हमारा स्टार्टअप इसी सेक्टर से है। दूसरे देशों की तुलना में अगर देखा जाए तो हाल में भारत में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश हुआ है। रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश जुटाया है। आने वाले वर्षों में यह विदेशी निवेश और बढ़ेगा और यह छोटे व्यवसायों तक भी पहूँचेगा, जिसमें स्टार्टअप बहुत बड़ा सेक्टर है। मैं इस आम बजट को नए व्यवसायिक युग की नींव कहूँगा।"
अभिनव ने कहा, "कोविड की वजह से बहुत सी समस्याएं सामने आईं है, लेकिन इसके साथ बहुत सारे अवसर भी आए हैं और आगे और भी आएंगे। इन संभावनाओं के मद्देनजर सरकार को पॉलिसीज़ बनानी चाहिए और इनवेस्टमेंट के लिये इनसेंटिव देने चाहिए। यह इनसेंटिव सिर्फ फॉरेन इनवेस्टमेंट्स के लिये ही नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि लोकल इनवेस्टर्स के लिये और भी ज्यादा फोकस्ड होने चाहिए, उन्हें और भी ज्यादा एक्सेस मिलना चाहिए। स्टार्टअप्स के लिये बहुत सा इनवेस्टमेंट फॉरेन से ही आता है। हालांकि, लोकल इनवेस्टमेंट का भी इसमें बहुत बड़ा हिस्सा है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह बहुत अच्छा मौका है, लोकल इनवेस्टर्स को फायनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को इनसेंटीवाइज करने का, उन्हें जागरुक करने का। ऐंजल टैक्स को कम किया जाना चाहिए, उसके पेपर-वर्क को भी कम किया जाना चाहिए। लोकल इनवेस्टर्स को थोड़े और लाभ देने चाहिए।"
अभिनव ने आगे कहा, "आने वाले समय में ग्लोबल लेवल पर कोरोना महामारी और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के चलते बहुत सी मुश्किलें आएंगी और साथ ही अवसर भी आएंगे, हमारे देश के लिए। इससे मैन्युफैक्चरिंग और दूसरे सेक्टर्स को काफी फायदा होने वाला है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार स्टार्टअप्स को इस तरह से सपोर्ट करे कि हम ग्लाबलाइजेशन का अपना शेयर न केवल बचा पाएं, बल्कि इसे बढ़ा भी पाएं। इसके लिये एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट पॉलिसीज़ में ढील दी जा सकती है, टैक्स रिबेट कम किया जा सकता है, स्टार्टअप्स के लिये कुछ अलग प्रोविजन्स किए जा सकते हैं।"
सर्विस सेक्टर को लेकर बजट से अपनी उम्मीदें बताते हुए अभिनव कहते हैं, "कोरोना महामारी के चलते यह सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। सर्विस सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा रहा है। भारत सरकार इस सेक्टर को लेकर काफी सजग और सतर्क रही है। हमारा सर्विस सेक्टर बहुत ही मैच्योर रहा है।"
वह आगे कहते हैं, "भारत का एडटेक स्टार्टअप सेक्टर बहुत ही मैच्योर है। आने वाले समय में हमारा एजुकेशन सेक्टर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के दुसरे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को फायदा पहुँचा सकता है। एक तरह से यह भी एक सर्विस सेक्टर है। इस समय यह सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित सेक्टर है, इसको लेकर खास प्रावधान होने चाहिए।"
अभिनव कहते हैं, "हमारे देश में डीप-टेक, बायोटेक्नोलॉजी इन सबको और अधिक प्रमोट करने का यह अच्छा समय है। नई संभावनाएं बनी है, नई के टेक्नोलॉजी आने के साथ नए बाजार भी खुले हैं। सिर्फ इनसेंटिव ही नहीं, इज ऑफ डूइंग बिजनेस के नज़रिए से चीजों का प्रावधान होना चाहिए। इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस पर जो टैक्स लगते हैं, सरकार उनको सेक्टर-टू-सेक्टर प्रमोट कर सकती है।"
WAVEL AI एक deep-tech, वॉइस-टू-टेक्सट एआई सर्विस-सेक्टर कंपनी है जिसकी स्थापना 2018 में हुई और इसका मुख्यालय सिंगापुर में है।
पंचायत स्तर पर वेंचर फंड क्रिएट किया जाए - अमित कुमार चौबे, फाउंडर, SANMAT, Bihar Social Entrepreneurs Association (BSEA)
सोशल स्टार्टअप्स के लिए आम बजट से अपनी अपेक्षाएं जाहिर करते हुए SANMAT, और Bihar Social Entrepreneurs Association (BSEA) के फाउंडर अमित कुमार चौबे कहते हैं, "कोविड महामारी ने छोटे, बड़े सभी तरह के स्टार्टअप्स को प्रभावित किया है। सोशल स्टार्टअप्स के साथ दिक्कत यह हुई कि, ये पब्लिक से जुड़े हुए थे, ज्यादातर बंद हो गए। बिहार और झारखंड के स्टार्टअप्स रोज नए चैलेंज फेस कर रहे हैं, चाहें वह एग्रीटेक, एडटेक, फिनटेक या फिर सोशल स्टार्टअप हो, कोई भी अछुता नहीं रहा है। 20+ स्टार्टअप्स अपने कोर ऑब्जेक्टिव को छोड़कर डिजिटल की तरफ रूख कर चुके हैं। मैं कह सकता हूँ कि स्टार्टअप इकोसिस्टम को बहुत बड़ा खतरा हुआ है। यहां मैं ये भी बताना चाहूँगा कि टेक्नोलॉजी और डिजिटाइजेशन को लेकर जो ग्रोथ हम आने वाले 10 वर्षों में देखते, वो हमने लगभग इस एक वर्ष में हासिल कर ली। ये काफी सकारात्मक चीज हुई है।"
अमित आगे कहते हैं, "महामारी काल में स्टार्टअप्स को लेकर सरकार का ध्यान थोड़ा कम रहा है, रेंट को लेकर कोई प्रोविजन नहीं बनाया गया, जीएसटी में कोई राहत नहीं मिली, कोविड सब्सिडाइज्ड लोन नहीं दिया गया, जिससे बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप्स बहुत बुरी स्थिति में आ गए।"
अमित ने कहा, "स्टार्टअप्स के लिये जो जीएसटी क्रेडिट्स हैं, वो क्रेडिट्स उनके बैंक अकाउंट में इनकैश करने की फैसिलिटी दी जानी चाहिए। इंटरनेशनल फंडिंग, ऐंजल इनवेस्टर्स, इक्विटी फंडिंग में थोड़ी ढील दी जानी चाहिए। लीगल पैनल्टीज, टैक्सेज, ESIC, PF इन सब में भी स्टार्टअप्स के लिये छूट दी जानी चाहिए। एम्पलोयज़ को सैलरी देने में, ऑफिस रेंट पे करने में एडिशनल सपोर्ट मिलना चाहिए। इंटरेस्ट फ्री सब्सिडाइज्ड लोन दिया जाना चाहिए, ताकि स्टार्टअप्स फिर से चल सकें। जो भी माइग्रेंट लेबर्स (स्किल्ड/अनस्किल्ड) हैं, उन्हें स्टार्टअप्स से जोड़ना चाहिए, उन्हें भी ग्रांट या लोन दिया जाए, जिससे वे एक नया इकोसिस्टम या इकोसिस्टम ऑफ इकोसिस्टम क्रिएट कर सकें। मेंटरिंग, ट्रेनिंग, फायनेंशियल सपोर्ट मिलना चाहिए।"
अमित कहते हैं, "स्टार्टअप्स की मैपिंग की जानी चाहिए। केवल DIPP (Department of Industrial Policy & Promotion), जिसे अब Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT) कहा जाता है, के साथ रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स ही स्टार्टअप नहीं होते हैं। जितने भी सोशल स्टार्टअप्स हैं, विलेज लेवल स्टार्टअप्स/आंत्रप्रेन्योर्स हैं, रुरल एरिया वाले स्टार्टअप्स हैं, ये सब DIPP (DPIIT) नहीं पहुँच पाते हैं। ये स्टेट स्टार्टअप इकोसिस्टम के भी पार्ट नहीं बन पाते हैं, ऐसे में यही सही समय है कि इन सभी स्टार्टअप्स को मैप किया जाना चाहिए और उन्हें क्लस्टर के हिसाब से डिवाइड करना चाहिए, जिससे इस पूरे सेक्टर को मजबूती मिलेगी।"
उन्होंने आगे बताया, "सरकार की जितनी भी बीडिंग होती है, EMD की डिमांड, एक्सपीरियंस की डिमांड, नॉन-रिफंडेबल फी... स्टार्टअप्स में इन सब के लिए छुट दी जानी चाहिए। सरकार को मेरा सुझाव है कि भारत में जितने भी बड़े बिजनेस ग्रुप है, जैसे रिलायंस, अडानी, टाटा और महिंद्रा... इन सबको टारगेट दिया जाना चाहिए कि वे कुछ स्टार्टअप्स को अपने साथ एंगेज करें - वेंडर, स्मॉल सप्लायर, सर्विस प्रोवाइडर आदि के रूप में।"
अमित कहते हैं, "पंचायत स्तर पर वेंचर फंड क्रिएट करना बेहद जरूरी है, ताकि सोशल स्टार्टअप्स जिंदा रह पाएं। इसके साथ ही स्टार्टअप फाउंडर्स के हेल्थ इंश्योरेंस का भी प्रोविजन होना चाहिए। लॉकडाउन खुलने के बाद अभी भी रॉ मैटेरियल के सप्लायर, मैनपावर, क्रेडिट देने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं, इस दिशा में भी कुछ काम किया जाना चाहिए।"
महिला आंत्रप्रेन्योर्स को मिले बढ़ावा, सीमा सिंह, फाउंडर-डायरेक्टर, Roots Tale
दिल्ली स्थित Roots Tale की फाउंडर-डायरेक्टर सीमा सिंह बजट को लेकर अपनी उम्मीदें बताते हुए कहती हैं, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मेरी गुजारिश है कि आम बजट में कुछ प्रावधान किए जाएं जिससे महिला आंत्रप्रेन्योर्स को बढ़ावा मिल सके। हमारे जैसे छोटे उद्यमी जीएसटी में फंस के रह जाते हैं, इसको लेकर कुछ छुट दी जानी चाहिए। कोई लिमिट फिक्स कर देनी चाहिए, जैसे कि 5/10/20 लाख तक जीएसटी नहीं लगाया जाए। ताकि हम लोग काम कर सके। वर्किंग कैपिटल लोन्स के जरिये महिलाओं को सपोर्ट दिया जाना चाहिए। बैंकों द्वारा छोटे कर्जों को लेकर कागजी कार्यवाही कम की जानी चाहिए।"
सीमा आगे बताती हैं, "बड़े या ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स छोटे उद्यमों से बगैर जीएसटी के नहीं जुड़ना चाहते। अगर छोटे उद्यम जीएसटी लेते हैं तो उनकी इतनी लायबिलिटी नहीं होती कि वे जीएसटी पे कर सकें। और इस कारण से वे कभी आगे नहीं बढ़ पाते। घर से काम करने वाली महिलाओं के लिये नियमों में ढील दी जानी चाहिए। महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए सरकार को व्यवहारिक प्रावधान करने चाहिए। सहजता के साथ वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।"
स्टार्टअप के लिए आसान हो पूंजी की पहुंच, राहुल गोयल, डायरेक्टर, Trendyfrog
दिल्ली स्थित फैशन लिस्टिंग ब्रांड ट्रेंडीफ्रॉग (Trendyfrog) के डायरेक्टर राहुल गोयल, आम बजट को लेकर अपनी अपेक्षाएं बताते हुए कहते हैं, "दुनिया में सबसे अधिक स्टार्टअप्स वाले देशों में भारत तीसरे स्थान पर है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी स्टार्टअप के पास पर्याप्त देखभाल हो, उनके पास रोजगार पैदा करने की क्षमता हो, एफडीआई के रूप में सकारात्मक आमदनी हो। हम सभी जानते हैं कि वर्ष 2020 हम सभी के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है। इसलिए, हम 2021 के लिए एक रोमांचक बजट की तलाश कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "कई स्टार्टअप अब सार्वजनिक बाजारों में सूची बनाना चाहते हैं। आईपीओ दिशानिर्देश उन स्टार्टअप्स को नए निवेश चैनल खोलने में मदद करेंगे। स्टार्टअप आमतौर पर विदेशी निवेशकों पर निर्भर होते हैं। सरकार को कुछ प्रोत्साहन के साथ भारतीय निवेशकों को बैक-अप स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अनुपालन (Compliance) आवश्यकताएं हमेशा बहुत सारी कागजी कार्रवाई के कारण बहुत समय और प्रयास लेती हैं। इसमें ढील दिये जाने से स्टार्टअप्स पर बोझ कम होगा। घाटे में चल रहे स्टार्टअप को कंपनियों को किए गए भुगतानों पर रोक लगाने से बहुत जरूरी राहत मिलेगी। वर्तमान में, स्टार्टअप के लिये वार्षिक टर्नओवर कैप 100 करोड़ रुपये तक के भुगतान का है। यदि इसे बढ़ाया जाता है, तो यह ’पात्र स्टार्टअप’ की स्थिति को खोए बिना आगे के विस्तार के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा।"
राहुल कहते हैं, "हालांकि सरकार ने ऐंजल टैक्स में छूट का दावा करने के लिए स्टार्टअप्स के लिए नियमों में ढील दी है, फिर भी ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। सभी स्टार्टअप पूंजी की पहुंच को आसान बनाने, व्यापार को बढ़ाने, घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने और उन पर कम्पलायंस के बोझ को कम करने के लिए सरकार के समर्थन की तलाश कर रहे हैं।"
(डिस्क्लेमर: यह रोलिंग स्टोरी है और इसे भारतीय स्टार्टअप्स, आंत्रप्रेन्योर्स और इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से अधिक जानकारी प्राप्त होने पर अपडेट किया जाएगा।)