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मोर के पंखों के रहस्य को सुलझाने की कोशिश: IISER-भोपाल के शोधकर्ताओं ने भारतीय राष्ट्रीय पक्षी के आनुवांशिक रहस्यों को किया उजागर

इस शोध में शोधकर्ताओं ने यह पाया कि दोनों पक्षियों में तंत्रिका प्रणाली के विकास, प्रतिरक्षा और कंकाल की मांसपेशियों के विकास से संबंधित जीनों का अनुकूली विकास हुआ है.

हाइलाइट्स

  • भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के खूबसूरत पंखों के पीछे छुपे आनुवांशिक रहस्यों को समझने के लिए IISER-भोपाल के शोधकर्ताओं ने एक उच्च-गुणवत्ता युक्त जीनोम असेंबली का किया निर्माण
  • तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि नीले और हरे मोर में तंत्रिका प्रणाली, प्रतिरक्षा तंत्र, और कंकाल की मांसपेशी जीनों के अनुरूप विकास हुआ है
  • नीले मोर में उच्च आनुवांशिक अनुकूलन क्षमता देखी गयी है जो एशियाई मोर प्रजातियों की विषम जनसंख्या के आकार पर प्रकाश डालता है

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल (IISER भोपाल) के मेटाबायोसिस समूह के शोधकर्ताओं ने पहली बार भारत के राष्ट्रीय पक्षी के आनुवांशिक रहस्यों को सुलझाने के लिए एक उच्च-गुणवत्ता वाली जीनोम असेंबली का निर्माण किया है. पहले के एक अध्ययन में शोध टीम ने इस पक्षी प्रजाति की पहली ड्राफ्ट असेंबली का निर्माण किया था ताकि एक व्यापक जीनोम-स्तरीय विश्लेषण किया जा सके जिसमें मोर के जीनोम को पांच अन्य पक्षियों के जीनोमों के साथ तुलना किया गया था.

इस शोध के परिणामों को हेलियन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस लेख को IISER भोपाल के जीव विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विनीत शर्मा और उनके शोध छात्र मिस्टर अभिषेक चक्रवर्ती, मिस्टर समुएल मोंडल, और मिसेज श्रुति महाजन हैंके सहयोग से तैयार किया गया है.

मोर के पंखों पर अंकित सुन्दर आकृतियाँ हमेशा ही वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती रही हैं. चार्ल्स डार्विन के अनुसार नर मोर के शानदार नृत्य प्रदर्शन के कारण यह शिकारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बन गया है. डार्विन ने यौन चयन के सिद्धांत के साथ इस पहेली को हल करते हुए यह सुझाव दिया है कि ऐसे सजावटी लक्षण साथियों को आकर्षित करने और प्रजनन सफलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसी समझ के बावजूद इन शानदार पक्षियों का अंतर्निहित आनुवंशिक आधार हमेशा एक रहस्य बना हुआ है.

IISER भोपाल की टीम ने हाल ही के एक अध्ययन में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले नीले मोर जिसको भारतीय मोर के रूप में भी जाना जाता है और दक्षिणपूर्व एशिया में पाए जाने वाले हरे मोर पर ध्यान केंद्रित किया. इन दो पक्षियों को इसलिए चुना गया है क्योंकि पैवो गिनस की केवल दो प्रजातियां होती हैं, जिनमें नीले मोर को "कम चिंता" की प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जबकि हरे मोर को उसकी आबादी में गिरावट के कारण खतरे की श्रेणी रखा गया है. उन्होंने नीले मोर को हरे मोर से कम खतरे में रहने के लिए उसकी विभिन्न अनुकूलता के जैव और जीनेटिक कारणों को समझने का प्रयास किया. वे दोनों प्रजातियों के वैज्ञानिक कारणों को समझकर यह समझना चाहते थे कि नीले मोर हरे मोर से ज्यादा क्यों है.

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इस शोध में शोधकर्ताओं ने यह पाया कि दोनों पक्षियों में तंत्रिका प्रणाली के विकास, प्रतिरक्षा और कंकाल की मांसपेशियों के विकास से संबंधित जीनों का अनुकूली विकास हुआ है. इसके अलावा, नीले मोर में अधिक अनुकूलन देखा गया है, जिससे वह अधिक संख्या में विस्तृत जीन परिवार, खंडीय रूप से दोहराए गए जीन, प्रजाति-विशिष्ट जीन समूह, और जीन क्लस्टर के साथ रहते हैं.

इस सम्बन्ध में IISER भोपाल के जीवविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीत के. शर्मा ने कहा, "हमारे द्वारा किये गए शोध के परिणाम दो एशियाई मोर प्रजातियों के बीच विशेष जीनोमिक भिन्नता को प्रकट करते हैं और उनकी विपरीत जनसंख्या केआकार को समझने के लिए मूल्यवान जीनोमिक संकेत प्रदान करते हैं."

इसके अलावा डॉ. विनीत के. शर्मा ने कहा, “हरे मोर की आबादी निवास स्थान, भोजन और व्यावसायिक उपयोग के लिए मानवीय शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील प्रतीत होती है. इन गतिविधियों का असर उनकी संख्या पर पड़ा है, क्योंकि वे मानवीय हस्तक्षेप के प्रति बहुत कम सहनशील हैं. उनकी आबादी में कमी के परिणामस्वरूप उनके के जीन के प्रवाह में कमी आई है जिस कारण अंतःप्रजनन में वृद्धि हुई है और आनुवंशिक विविधता में कमी आई है, जिससे इस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है."

रस्किन बॉन्ड के अनुसार, "मुझे विश्वास नहीं है कि कोई भी मोर दूसरे मोर के पंखों से ईर्ष्या करता है, क्योंकि हर मोर को ऐसा लगता है कि उसके पंख दुनिया में सबसे आकर्षक है,"

मोर के असाधारण आकर्षण के कारण हम उसके प्रति आकर्षित होते हैं. IISER भोपाल के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन हमें मोर की रहस्यमयी विशेषताओं के आनुवांशिक आधार को समझने में एक कदम आगे ले गया है. यह शोध न केवल मोर के सजावटी आकर्षण के प्रति हमारी सराहना को गहरा करता है, बल्कि विकासवादी जीव विज्ञान और प्रकृति के चमत्कारों के जीनोमिक आधारों के बारे में हमारे ज्ञान को भी व्यापक बनाता है.

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