यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह का आदेश, अदालत परिसर में आने वाली महिलाओं की जांच के लिए होगी महिला पुलिस की तैनाती
उत्तर प्रदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि अदालत परिसर में प्रवेश करने वाली महिलाओं की जांच के लिए महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाये।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने जिला अदालत परिसरों की सुरक्षा, पुलिस विभाग से सम्बन्धित निर्माण कार्यो तथा एफएसएल लैब के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की।
अधिकारियों को मिले आदेश
उन्होंने जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों से उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालयों में सुरक्षा उपकरण, सुदृढ़ व्यवस्था, चाहरदीवारी, जनशक्ति ट्रैनिंग, अदालत परिसर में अलग-अलग द्वारों की संख्या, वादकारी व अन्य के लिए पास हेतु चिन्हित स्थल, अनाधिकृत निर्माण एवं अदालत परिसर में वेन्डर्स आदि की वस्तुस्थिति की जानकारी ली।
उन्होंने प्रदेश के जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को आगामी 10 जनवरी तक उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ अदालतों में की जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था सम्बन्धी कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
अवस्थी ने जिलों के अदालतों में सीसीटीवी कैमरे तथा चाहरदीवारी की स्थिति और अदालत परिसर में आगमन तथा प्रस्थान के गेटों के जानकारी ली।
उन्होंने पुलिस एवं प्रशासन से कहा कि जिला अदालत के जजों, वकीलों तथा बार काउसिंल के साथ बैठक कर अदालत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए किये जाने वाले प्रबन्धों से अवगत करा दिया जाये।
साथ ही उन्होंने अदालत परिसर में प्रवेश करने वाली महिलाओं की जांच के लिए महिला पुलिस कर्मियों को तैनात करने पर जोर दिया।
माफियाओं पर कसेगी नकेल
उन्होंने प्रदेश में माफियाओं पर और अधिक नकेल कसने के निर्देश पुलिस एवं प्रशासन को दिये। उन्होंने कहा कि माफियाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय। इसके साथ गुंडा एक्ट के तहत माफिया प्रकृति वाले व्यक्तियों को जिला बदर करने की कार्रवाई भी की जाये।
बीते कुछ समय में कई घटनाएँ ऐसी भी सामने आई हैं जब अपराधियों ने न्यायालय परिसर में ही आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया है। इन घटनाओं के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और सूबे की पुलिस कि कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश गृह विभाग द्वारा जारी किए गए इस आदेश के बाद न्यायालय परिसर में इस तरह की घटनाओं में कमी आने या कहें कि लगाम लगने की संभावना है।