मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी ठुकरा स्ट्रॉबेरी की खेती से की छह माह में 20 लाख की कमाई
यह जानकारी किसी अचरज से कम नहीं, लेकिन सच है कि मोहनलालगंज (यूपी) के गांव गोपालखेड़ा के सिद्धार्थ सिंह ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर मात्र एक एकड़ जमीन पर तीन-चार की लागत से स्ट्रॉबेरी की खेती से छह महीने में ही बीस लाख रुपए पक्के कर लिए। घर बैठे दो-ढाई लाख महीने की कमाई कुछ कम नहीं।
आजकल के ऐसे युवा, जो सुशिक्षित हैं, खेती-बाड़ी वाले हैं, आखिर क्यों पढ़ाई के समय से ही नौकरियों के पीछे भागते रहने का मन बना लेते हैं, जबकि भारत सरकार और बैंकों की मदद से नए तरह की किसानी में थोड़ा-बहुत पैसा लगाकर तमाम टैलेंटेड यंगस्टर्स घर बैठे स्टार्टअप में अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।
ट्रेडिशनल जॉब से आगे निकली खेती
अब ट्रेडिशनल जॉब के मिथक टूट रहे हैं, नित-नई-नई, बड़ी-बड़ी संभावनाएं दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं, लोग घर-आंगन-छत तक पर फल-फूल-सब्जियां उगाने लगे हैं, फिर सिर्फ कंपनियों की नौकरी में अपने भविष्य के ठिकाने क्यों ढूंढना! बस जरा सी हिम्मत और अक्ल भिड़ाने की जरूरत है, जैसे कि मोहनलालगंज (यूपी) के गांव गोपालखेड़ा के सिद्धार्थ सिंह ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर स्ट्राबेरी की खेती से छह महीने में ही बीस लाख रुपए कमा लिए। साल का चालीस लाख मान लें तो घर बैठे ऐसी दो-ढाई लाख की ठाट की कमाई भला और कहां!
पहले जुटाई जानकारी
नए तरह के रोजगार की यह पूरी दास्तान है दो मौसेरे भाइयों की। किसान राजेश सिंह और उनके मौसेरे भाई सिद्धार्थ सिंह की, जो दावा कर रहे हैं कि उन्होंने स्ट्राबेरी की खेती से दो सप्ताह में ही एक लाख रुपए कमा लिए। सिद्धार्थ मल्टीनेशनल कंपनी में मोटे पैकेज पर काम कर रहे थे। मन उचटने लगा तो घर लौटे। मौसेरे भाई से राय-विमर्श कर स्ट्राबेरी की खेती में हाथ डालने से पहले बाराबंकी, पुणे और हिमाचल ही नहीं, नाटिंघम तक जाकर स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पूरी जानकारियां हासिल कीं।
एक एकड़ से हुई शुरुआत
उसके बाद उन्होंने गत वर्ष सितंबर, 2019 में अपने एक एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी के पौधे रोप दिए। उसके अगले महीने पुणे से 25 हजार पौधे लाकर नर्सरी लगा दी। डेढ़ महीने में ही पौधे तैयार। गत माह दिसंबर के पहले सप्ताह में ही साढ़े तीन कुंतल स्ट्रॉबेरी की उपज ने उनकी कमाई के दरवाजे खोल दिए। इस साल अगले दो महीने में वह बीस लाख की स्ट्रॉबेरी और बेचने की तैयारी में हैं।
अपनाई बेहतर तकनीक
सिद्धार्थ बताते हैं कि ठंडी जलवायु की फसल स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए पॉली हाऊस तकनीक सबसे बेहतर है लेकिन कम संसाधनों में फसल सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने धूप-पाले से बचाने वाली पॉली टनल की विधि अपनाई, पौधों की बूंद-बूंद सेहत के लिए ड्रिप सिंचाई के इंतजाम कर लिए। खरपतवार से फसल बचाने के लिए खेत में पाली मल्चिंग करा दिए।
फसल तैयार होने तक चार लाख रुपए लग गए, लेकिन जब कमाई शुरू हुई तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने एक एकड़ खेत में कुल लगभग सत्तर क्यारियां बनाकर पचीस हजार पौधे रोपे थे। एक पौधे से कलम बांधकर पंद्रह-बीस पौधे तैयार हो गए। डेढ़ माह बाद एक सफ्ताह में ही ढाई कुंतल पैदावार हो गई।
अब किसान कर रहे संपर्क
प्रति किलो चार सौ रुपए में बेचकर एक लाख रुपए हाथ में आ गए। अब तो उनकी कमाई देखकर ट्रेडिशनल खेती करने वाले तमाम किसान उनकी राह पर चल पड़े हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि जानने में क्षेत्रीय कृषि वैज्ञानिकों से भी मदद मिल जाती है। खेती की शुरुआत में स्थानीय बैंक भी पैसे देने के लिए राजी हो जाते हैं।