कैसे यूपी में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को पैसे कमाने में मदद कर रही है सोशल सहेली
सोशल सहेली (Social Saheli) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो उत्तर प्रदेश में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHG) को स्किलिंग, मेंटरशिप, स्टोरीटेलिंग और मार्केटिंग में मदद करता है।
उत्तर प्रदेश में कई स्वयं सहायता समूहों (SHGs) ने सोशल सहेली के जरिए लाभ उठाया है। सोशल सहेली एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो महिलाओं को प्रशिक्षित करने, सामुदायिक चैंपियन की पहचान करने और सोशल मीडिया पर उनके प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग में सहायता करता है।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य में बतौर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सक्रिय, सोशल सहेली महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सामाजिक पूंजी तक समान पहुंच प्राप्त करने में मदद करने के लिए कौशल निर्माण, मेंटरशिप, स्टोरीटेलिंग और मार्केटिंग का एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करती है और उन्हें अपने उत्पादों को डिजिटल संचालित दुनिया में बेचने में सक्षम बनाती है।
सहेलियां अचार, मसाले, बैग, कपड़े, हस्तकला की वस्तुएं, उपहार देने वाली वस्तुओं, डेयरी उत्पाद, त्वचा की देखभाल वाले उत्पाद, सौंदर्य सहित कई उत्पाद बनाती हैं।
सोशल सहेली लखनऊ, गोरखपुर, लखीमपुर व कई अन्य जिलों में SHG समूहों के साथ काम करती है। अब तक, उन्होंने उत्तर प्रदेश के दो जिलों में 115 महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित किया है।
Pluc और socialsaheli.com के संस्थापक व सीईओ तमसील हुसैन कहते हैं, “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महिलाएँ प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। Socialsaheli.com एक प्रोजेक्ट है जो पीपल्स लाइक अस क्रिएट (प्लक या Pluc) द्वारा चलाया जा रहा है, जहाँ हम मोबाइल स्टोरीटेलिंग का इस्तेमाल करते हैं ताकि महिला SHG आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें। उनके वीडियो एपिसोड को 3.3 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। इसने उत्पाद पूछताछ, साथियों से समर्थन और मुख्यधारा के मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है।"
तीन सहेलियों ने YourStory को बताया कि कैसे उन्होंने खुद के अलावा दूसरों के जीवन को बदला।
विभा विनोद
विभा लखनऊ की लोलई ग्राम सभा से आती हैं और लीड इंडिया नामक एक स्वयं सहायता समूह की एक समूह सखी हैं। उन्होंने 12 महिलाओं के एक समूह के साथ शुरुआत की और उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिए मास्क बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। एक माँ के रूप में, विभा का पहला लक्ष्य आय का स्रोत खोजना था।
वे कहती हैं,
“लॉकडाउन के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि गांवों को मास्क बनाने के लिए मुफ्त में कच्चा माल मिलेगा और बदले में सब्सिडी मिलेगी। मैंने प्रत्येक 25 महिलाओं के तीन बैच बनाए और उन्हें मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया।"
अतिरिक्त कपड़े से, महिलाओं ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए स्कूल युनिफॉर्म बनाई और इस प्रकार महामारी के दौरान अपनी आजीविका सुनिश्चित की। वे लखनऊ के अमीनाबाद बाजार से खरीदे गए कपड़े के साथ पेटीकोट, ब्लाउज और सलवार बनाने का भी काम करते हैं।
वह कहती हैं,
“हमने हाल ही में इंडिया प्रेरणा महिला ग्राम संगठन नामक SHG की एक ग्राम संस्था की स्थापना की है और दो युनिट स्थापित कर रहे हैं - एक सूरजमुखी के बीज और मूंगफली से तेल निकालने के लिए, और दलिया, मसाले, मल्टी-ग्नेन आंटा बनाने के लिए SHG के साथ बातचीत कर रहे हैं।"
सिंगल, विधवाओं को उनके परिवारों के संपूर्ण वित्तीय भार को उठाने के लिए ये एसएचजी बड़ी संख्या में महिलाओं को एक उम्मीद दे रहे हैं।
वह कहती हैं,
"सोशल सहेली के साथ मैंने अपनी कहानी सुनाने और मौजूदा समुदाय से परे अपने उत्पादों को ले जाने के लिए मोबाइल स्टोरीटेलिंग और सोशल मीडिया के कौशल सीखे हैं।"
चेंजमेकर ने पहले ग्रामीण महिलाओं को बैंक खाते (जन धन खाते) खोलने, आधार कार्ड प्राप्त करने और स्थानीय गांवों में शौचालय स्थापित करने में भी मदद की है।
तृप्ता शर्मा
तृप्ता शर्मा उत्तर प्रदेश के लखनऊ में तृप्ता हिना क्षेत्रीय समिति चलाती हैं और उन्होंने इसके माध्यम से 55 स्वयं सहायता समूह बनाये हैं। तृप्ता मसाला, पापड़, अचार, और दलिया जैसे नियमित उत्पादों से परिचित थीं जो अन्य SHG बना रहे थे। जोखिम उठाने से न डरते हुए, उन्होंने एक नया उद्यम शुरू किया - ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने का। उनके प्रोडक्ट शुरुआत में ही सफल हो गए।
वे कहती हैं,
"मैंने अपना पहला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाने के लिए 11 महिलाओं को इकट्ठा किया और जब यह एक बार शुरू हो गया, तो हम एक पैकेजिंग युनिट बनाने के लिए ऋण प्राप्त करने में सक्षम थे।"
तृप्ता स्थानीय महिलाओं को ब्यूटी इंडस्ट्री में काम करने के लिए प्रशिक्षित करती हैं, स्थानीय ब्यूटी पार्लरों का समर्थन करती है, उन महिलाओं और उनके सैलून के माध्यम से अपने प्रोडक्ट्स को बेचती हैं।
महिलाएं नीम और चंदन, स्ट्रेच मार्क्स से निपटने के लिए प्रोडक्ट और शिकाकाई के साथ हर्बल मेंहदी का उपयोग करके कई तरह के ब्यूटी पैक बनाती हैं। अपने मार्केटिंग मॉडल में, तृप्ता ने कई चीजों के साथ प्रयोग किया है। अपने व्यवसाय की कहानी बताने और नए बाजारों तक पहुंचने के लिए, वह सोशल सहेली में शामिल हुईं। उनका पहला वीडियो उनके समुदाय और सामाजिक व्यवसाय के बीच हिट था।
वे कहती हैं,
"मैं अपने व्यवसाय का विस्तार करने और अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए सोशल सहेली के मेंटॉर ग्रुप के साथ जुड़ी हुई हूं।"
शबाना खान
COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद सिंगल महिला शबाना लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार का एकमात्र सहारा थीं। परिस्थितियों के विपरीत, उन्होंने अपने स्वयं के समुदाय की कुछ अन्य महिलाओं के साथ रिया स्वयं सहायता समूह नामक एक स्वयं सहायता समूह शुरू किया।
उन्होंने सॉफ्टवेयर प्रोग्राम सीखना शुरू किया और डिजिटल एजुकेशन के साथ अपनी यात्रा शुरू की। आज उनका उद्देश्य उनके जैसी अन्य महिलाओं के लिए क्षितिज का विस्तार करना है।
"मैंने समाज की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सिलाई में प्रशिक्षित करने के लिए जोड़ा, और अब हम पार्टी-परिधान और बच्चों के कपड़े बनाते हैं। हम अपने लखनवी घराने के लिए काफी मशहूर हैं।"
जब शबाना सोशल सहेली के मेंटॉर से मिलीं, तो वह अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग के लिए विभिन्न स्टेप्स पर मार्गदर्शन की तलाश कर रही थीं।
वह कहती हैं, "मैं महिलाओं को मेरी तरह उद्यमी बनने में मदद करना चाहती हूं।"
Edited by Ranjana Tripathi