फायरिंग के दौर में लगातार हायरिंग कर रही उत्कर्ष क्लासेज, जल्द खोलेगी 100 ऑफलाइन सेंटर
योर स्टोरी ने उत्कर्ष क्लासेज एंड एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक निर्मल गहलोत से बात की और उनसे उत्कर्ष क्लासेज को अफोर्डेबल बनाने और उसके भविष्य की योजनाओं के बारे में जाना.
तेजी से आगे बढ़ रहे एजुकेशन-टेक्नोलॉजी (एडटेक) मार्केट में गुणवत्तापूर्ण और अफोर्डेबल ऑनलाइन लर्निंग मुहैया कराने वाली उत्कर्ष क्लासेज ने अपनी अलग पहचान बनाने में सफलता हासिल की है और वह देश के उन गिने-चुने स्टार्टअप्स में से एक है, जो कि लाभकारी हैं.
साल 2002 में शुरू हुआ उत्कर्ष क्लासेज ने नवंबर, 2018 में अपने लर्निंग ऐप की शुरुआत कर दी थी और वह आज बेहद लोकप्रिय एडटेक मार्केट की शुरुआती कंपनियों में से एक है.
योर स्टोरी ने उत्कर्ष क्लासेज एंड एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक निर्मल गहलोत से बात की और उनसे उत्कर्ष क्लासेज को अफोर्डेबल बनाने और उसके भविष्य की योजनाओं के बारे में जाना.
आपके इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? आपको कोचिंग क्लासेज शुरू करने का विचार कहां से आया?
मैंने हिंदी साहित्य, राजनीति शास्त्र और इतिहास विषयों में प्राइवेट से ग्रेजुएशन किया है और फिर हिंदी साहित्य से ही एमए किया है. मैं क्लास 9 से ही पढ़ा रहा हूं. मैंने इसकी शुरुआत बच्चों को घर पर पढ़ाने और सहपाठियों को पढ़ाने से की थी. 12वीं के बाद तो मैंने शिशु विद्या मंदिर से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था. इसके बाद शाम को मैं कोचिंग में रिजनिंग पढ़ाता था.
आप कक्षा 6 से लेकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं. आपके यहां किस कोर्स के बच्चे अधिक आते हैं?
हमारे यहां सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले बच्चे अधिक आते हैं. सबसे अधिक राजस्थान के स्टेट लेवल एक्जाम के बच्चे पढ़ते हैं. क्लास-6 से लेकर IIT-JEE, NEET, नर्सिंग आदि की तैयारी हमने करीब दो साल पहले शुरू की है.
कोविड-19 महामारी के दौरान एडटेक प्लेटफॉर्म्स में काफी उछाल देखने को मिला. आपकी कंपनी के ऊपर उसका क्या प्रभाव रहा?
हम शुरू से ही ऑफलाइन और ऑनलाइन मौजूद थे. कोविड-19 के दौरान हम लगातार आगे बढ़े हैं. सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन टेस्ट प्रिपरेशन वरदान बन गई. कमजोर आर्थिक स्थिति वाले ऐसे बच्चे जो ऑफलाइन फीस अफोर्ड नहीं कर सकते हैं, वे घर बैठे पढ़ सकते हैं.
उदाहरण के तौर, राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की परीक्षा के लिए प्रीलिम्स का 6-7 महीन के कोर्स का फीस 25 हजार रुपये है. इसके बाद करीब 6 हजार रुपये प्रति माह हॉस्टल की फीस लग जाती है. अब वही कोर्स हमने उत्कर्ष के ऐप में सीधे क्लासरूम से लाइव 8 हजार रुपये में दे रखा है. इसलिए आर्थिक स्थिति से कमजोर छात्रों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन ही अफोर्डेबल जरिया है.
वहीं, कुछ ऐसे पैसे वाले लोग भी हैं जो ऑफलाइन क्लास नहीं ज्वाइन कर सकते हैं. कोई कॉन्स्टेबल है और वह सब-इंस्पेक्टर बनना चाहता है. कोई सब-इंस्पेक्टर है और यूपी-पीसीएस (UPPCS) निकालना चाहता है. ऐसे वर्किंग पर्सन के लिए भी यह सुविधाजनक है.
इसके साथ ही टियर-2 और टियर-3 जैसे इलाकों की उन महिलाओं के लिए भी यह सुविधाजनक है जो बाहर नहीं निकल सकती हैं.
ऑनलाइन क्लासेज में हम वही कंटेंट मुहैया कराते हैं जो ऑफलाइन क्लासेज में पढ़ाई जाती हैं. हमारे क्लासेज हाईटेक हैं और हम क्लासेज रियल टाइम लाइव स्ट्रीम करते हैं जबकि बाकी के कंटेंट अपलोड कर दिए जाते हैं. कैमरे क्लासरूम के बच्चों को भी दिखाते हैं.
हम ऑनलाइन बच्चों के लिए नोट्स उपलब्ध कराते हैं और उनके लिए टेस्ट भी होते हैं जिसमें वे अपनी रैंक पता कर सकते हैं. इसके साथ ही कमेंट्स का ऐसा सिस्टम है जिसमें उनके कमेंट्स बाकी बच्चों को नहीं दिखाई देते और इससे वे किसी अन्य के कमेंट्स से प्रभावित नहीं होते हैं.
आपके ऑफलाइन क्लासेज की फीस अफोर्डेबल के दायरे में क्यों नहीं आती है?
ऑफलाइन क्लासेज में इंफ्रास्ट्रक्टर लगता है, अच्छे टीचर्स से पढ़ाना पड़ता है. इसलिए ऑफलाइन कोर्सेज की फीस हम बहुत ज्यादा कम नहीं रख सकते हैं. ऑनलाइन में बच्चा अपने इंटरनेट से पढ़ रहा है. न तो हमारा टॉयलेट यूज कर रहा है, न हमारे यहां पानी पी रहा, न हमारी बिजली इस्तेमाल कर रहा है. इसलिए उसको हम अफोर्डेबल दाम पर कोर्सेज करा सकते हैं. मैं तो यही पूछना चाहता हूं कि ऑनलाइन कोर्सेज कराकर भी कुछ लोग 60-70 हजार रुपये क्यों ले रहे हैं?
बाकी बड़े एडटेक प्लेटफॉर्म्स की तुलना में आप कितना अफोर्डेबल पैकेज मुहैया करा रहे हैं?
उनकी तुलना में तो रात और दिन का अंतर है. नीट का हमारा पूरा कोर्स 5 हजार रुपये का है जबकि बाकी कोई भी दूसरा एकटेक प्लेटफॉर्म 40 हजार से कम में नहीं दे रहा है और वे 40-80 हजार रुपये ले रहे हैं.
हमने स्केल पर भी बहुत फोकस किया है. हमारे पेड यूजर्स इन सबसे ज्यादा हैं. हमारे पास डेली एक्टिव यूजर्स भी ज्यादा हैं. हमारा ऐप यूजेज टाइम भी औसतन 1.15 घंटे से ज्यादा है.
स्टूडेंट्स का बैकग्राउंड क्या है? उनमें से अधिकतर छात्रों की आर्थिक स्थिति क्या है? वे किस तरह की पृष्ठभूमि से आते हैं?
हमारे अधिकतर छात्र ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जिसे रियल इंडिया कहा जाता है. वे गांव-कस्बों और छोटे शहरों से आते हैं.
आपके ऑफलाइन क्लासेज कहां-कहां हैं?
हमारे ऑफलाइन क्लासेज जोधपुर और जयपुर में हैं. जयपुर में भी हमने सितंबर, 2019 में शुरू किया. जयपुर में पहले ही साल में हम 18 हजार छात्रों को जोड़ चुके हैं. पिछले वित्त वर्ष में हमारे कुल ऑफलाइन छात्रों की संख्या 30 हजार से अधिक थी. वहीं, पिछले वित्त वर्ष में ऑनलाइन छात्रों की कुल संख्या 7 लाख से अधिक हो गई थी.
उत्कर्ष क्लासेज के भविष्य को लेकर आपकी क्या योजना है और आप इसे कैसे आगे बढ़ाना चाहते हैं?
सबसे पहले तो हम सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. कॉन्स्टेबल से लेकर कलेक्टर तक की तैयारी केवल हम ही करा रहे हैं. केंद्रीय स्तर के रेलवे, बैंक, एसएससी, एयरफोर्स, एनडीए आदि तो शुरू कर ही दिया है. राजस्थान के स्टेट प्रिपरेशन एक्जाम कॉ पूरा करने के बाद अब यूपी के भी सभी कोर्सेज उपलब्ध हैं. इसी तरह, बिहार, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों में भी इसे आगे बढ़ाने की तैयारी चल रही है. हमारी आगे की योजना हिंदी भाषी राज्यों में 100 ऑफलाइन सेंटर खोलने की है.
आप बाकी बड़े एडटेक प्लेटफॉर्म्स की तुलना में उत्कर्ष क्लासेज को कहां खड़ा पाते हैं?
सच बताऊं तो हमने किसी और को देखा ही नहीं है. मैं किसी को नकार नहीं रहा हूं लेकिन हमने यही देखा है कि हमें कैसे आगे बढ़ना है.
आपके कुल कर्मचारियों और टीचिंग स्टाफ की संख्या कितनी है? आप टीचर्स को कैसे हायर करते हैं?
हमारे पास अभी 1200 से अधिक कर्मचारियों की संख्या है और उसमें से 170 टीचिंग स्टाफ है. मैंने 2002 में इंस्टीट्यूट की शुरुआत की लेकिन मैं 1996 से ही पढ़ा रहा हूं. मुझे पता है कि बच्चा टीचर्स से क्या चाहता है. हमने बिल्कुल ही नए लोगों को भी ग्रूम करके उन्हें टीचर बनाया है.
हमने उनके लिए एक प्रक्रिया तैयार की है और अपने स्टूडियोज के माध्यम से भी हम उन्हें टेस्ट करते हैं. हम उनका क्वालीफिकेशन देखते हैं, लिखित टेस्ट लेते हैं, इंटरव्यू करते हैं और फिर ऑफलाइन क्लासेज के माध्यम से हम बच्चों की प्रतिक्रिया भी जान लेते हैं. इसके बाद हम उनकी रिकॉर्डिंग ऑनलाइन भी डाल देते हैं और इससे ऑनलाइन बच्चों की भी प्रतिक्रिया पता चल जाती है.
आप क्या देखते हैं टेक्नोलॉजी ने कितना बड़ा बदलाव लाया है?
मोबाइल और इंटरनेट ने बहुत बड़ा बदलाव लाया है. हमने अपना पहला स्टूडियो 2017 में बनाया था और पहला वीडियो डाला था. वीडियो के साथ ही हम ऑडियो फॉर्मेट उपलब्ध कराते हैं जिससे कम डेटा खत्म होता है और स्टूडेंट्स गाने सुनने की जगह रिविजन कर सकते हैं.
पहले हमारे नोट्स पीडीएफ में रहते थे लेकिन अब उन्हें हमने स्मार्ट ई-नोट्स में बदल दिया है जहां स्टूडेंट्स गूगल सर्च भी कर सकता है. वहीं, स्टूडेंट्स अपनी सुविधानुसार अपना टेस्ट भी क्रिएट कर सकते हैं.
आप पारंपरिक ऑफलाइन क्लासेज का कैसा भविष्य देखते हैं?
ऑफलाइन क्लासेज अगर अफोर्डेबल बने रहे तो वे आगे बढ़ते रहेंगे. हालांकि, इसके लिए उन्हें कुछ बदलाव भी करने होंगे. हमने अपने क्लासेज में 4K इंटरेक्टिव पैनल लगाया है. हम टीचर्स का लिखा पीडीएफ बच्चों को देते हैं और उन्हें ऑफलाइन क्लासेज के वीडियोज भी देते हैं.
ऑफलाइन क्लासेज के साथ-साथ स्टूडेंट्स हमारे ऐप पर ऑनलाइन टेस्ट देकर भी सभी बच्चों में अपनी रैंक पता कर सकते हैं. ऑफलाइन को ऑनलाइन से मिक्स करने पर यह भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
मौजूदा वित्त वर्ष में हमारा कुल राजस्व 150 करोड़ रुपये का है. ऐप पर रोजाना एक्टिव यूजर्स 3.5 लाख से अधिक हैं. हमारे मेन यूट्यूब चैनल के 93 लाख सब्सक्राइबर्स हैं और 93 लाख ही हमारा ऐप डाउनलोड हो चुका है.
बहुत सारी कंपनियां कोविड-19 के बाद कर्मचारियों को निकाल रही हैं जबकि हम उन्हें हायर कर रहे हैं. अगले कुछ महीनों में हमारी 400-500 कर्मचारियों को हायर करने की योजना है. लॉकडाउन से पहले हमारी कुल संख्या 70 थी और अब हम 1200 हैं.
लॉकडाउन के दौरान हमने बहुत ही आक्रामक तरीके से हायरिंग की है. सभी टीचर्स हमारे एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट में हैं. हम टीचर्स टैलेंट हंट शो लाने जा रहे हैं. इसमें टीचर्स यूट्यूब पर ऑनलाइन पढ़ाएंगे और हमारी ज्यूरी उनको मार्क्स देगी.