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‘वैक्सीन प्रिंस’ अदार पूनावाला, जिनकी वैक्सीन के चलते आज देश कोरोना के सामने डटकर खड़ा हुआ है

अदार पूनावाला को भारत के ‘वैक्सीन प्रिंस’ नाम से भी जाना जाता है। आज जब भारत में दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव का संचालन किया जा रहा है ऐसे में इस समय अदार पूनावाला के कंधों पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, जिसे वह बखूबी निभा भी रहे हैं।

‘वैक्सीन प्रिंस’ अदार पूनावाला, जिनकी वैक्सीन के चलते आज देश कोरोना के सामने डटकर खड़ा हुआ है

Wednesday May 26, 2021 , 4 min Read

देश भर में इस समय वैक्सीनेशन का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है और इस विशाल वैक्सीनेशन ड्राइव के साथ एक शख्स जो सभी के बीच चर्चा में हैं वो हैं अदार पूनावाला। अदार पूनावाला सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख हैं। मालूम हो कि देश में बन रहीं दो कोरोना वैक्सीन में से एक कोवीशील्ड का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ही कर रहा है।

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अदार पूनावाला को भारत के ‘वैक्सीन प्रिंस’ नाम से भी जाना जाता है। आज जब भारत में दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव का संचालन किया जा रहा है ऐसे में इस समय अदार पूनावाला के कंधों पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, जिसे वह बखूबी निभा भी रहे हैं।


14 जनवरी 1981 में जन्मे अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला ने ही सीरम इंस्टीट्यूट की नींव रखी थी। पुणे में रहते हुए अपनी शिक्षा की शुरुआत करने के साथ महज 10 साल की उम्र में अदार अपनी आगे की शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए।


अदार ने इंग्लैंड की वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय से बिजनेस स्टडीज़ में स्नातक की डिग्री पूरी की और 20 साल की उम्र में ही अदार अपने पारिवारिक व्यापार से जुड़ गए।

घोड़े के व्यापार से वैक्सीन निर्माण तक

ऐसा माना जाता है कि पूनावाला का परिवार ब्रिटिश राज में पुणे शिफ्ट हुआ था। परिवार शुरुआत में कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़ा, लेकिन इसके बाद परिवार ने घोड़ों का व्यापार करना शुरू कर दिया। घोड़ों के व्यापार की शुरुआत अदार के दादा सोली पूनावाला ने की थी।


भारत में आमतौर पर घोड़े लग्जरी का प्रतीक रहे हैं और इस कारण ही पूनावाला परिवार के संबंध कई पहुँच वाले लोगों से भी बन गए। अदार के पिता साइरस वाइक्सीन निर्माण करने वाले मुंबई के हाफकिन इंस्टीट्यूट को घोड़े सप्लाई किया करते थे। मालूम हो कि घोड़े के खून में मौजूद सीरम का इस्तेमाल वैक्सीन निर्माण में एंटीबॉडी के लिए किया जाता है।


बढ़ती दिलचस्पी के साथ साइरस ने वैक्सीन निर्माण को लेकर जरूरी जानकारी जुटाई और 1966 में उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना कर डाली।

165 देशों तक बढ़ा कारोबार

उस समय भारत के साथ ही लगभग सभी देशों में टीकाकरण का काम तेजी पकड़ रहा था। सीरम इंस्टीट्यूट ने इस मौके का फायदा उठाते हुए कई बीमारियों के लिए वैक्सीन का निर्माण करना शुरू कर दिया।


सीरम इंस्टीट्यूट ने WHO के कहने पर पोलियो की खुराक का भी निर्माण करना शुरू कर दिया, इसी के साथ सीरम इंस्टीट्यूट ने अमेरिकी और यूरोपी तकनीक को भारत लाकर वैक्सीन निर्माण की लागत को भी काफी कम कर दिया।


साल 2001 में इंग्लैंड से वापस आकर अदार सीरम इंस्टीट्यूट से जुड़ गए थे। अदार के आने से पहले सीरम का व्यवसाय मूल तौर पर भारत तक ही सीमित था लेकिन अदार के आने के बाद कंपनी ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही दुनिया के अधिक से अधिक देशों तक अपनी बनाई वैक्सीन की पहुँच को बढ़ाने का काम किया। आज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की बनी वैक्सीन 165 से अधिक देशों तक पहुँच रही हैं।

लग्जरी के शौकीन अदार पूनावाला

साल 2011 में अदार ने बतौर सीईओ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ज़िम्मेदारी संभाल ली। 5 लाख रुपये के निवेश के साथ शुरू हुए सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूना वाला आज फोर्ब्स के अनुसार दुनिया के 165वें सबसे अमीर शख्स हैं, इसी के साथ वे छठे सबसे अमीर भारतीय भी हैं।


अदार पूनावाला लग्जरी के बड़े शौकीन हैं। उनके पास रॉस रॉयल्स समेत 30 से अधिक लग्जरी कारों का बेड़ा है। अदार कलाकृतियों के भी शौकीन हैं, इसी के साथ रफ्तार के दीवाने अदार ने अपने घर पर ही फाइटर जेट और फॉर्मूला वन के मॉडल भी लगाए हुए हैं।

कोरोना वैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना वैक्सीन के निर्माण के लिए एक्स्ट्राज़ेनेका के साथ अनुबंध किया है जिसके तहत देश में कोविशील्ड का निर्माण किया जा रहा है। कोविशील्ड आज भारत में सबसे अधिक संख्या में नागरिकों को लगाई जा रही है, जबकि दूसरे नंबर पर अन्य कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन है।


देश में वैक्सीन की मांग इस समय ज़ोरों पर है और इसी के साथ अदार के ऊपर मांग के अनुसार आपूर्ति को लेकर इस समय दबाव भी है। देश में दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के बीच हाल ही में लंदन चले जाने को लेकर अदार को आलोचना का सामना भी करना पड़ा था।


यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि आज इन कठिन परिस्थितियों में अगर देश मजबूती से कोरोना का मुक़ाबला कर रहा है तो उसमें इस 40 साल के अरबपति का भी बड़ा हाथ है।