4 साल की उम्र में पहली बार थामा था कैमरा, अब जीता प्रतिष्ठित 'यूथ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर' का खिताब
पुबरुन ने हाल ही में ‘यूथ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर’ का खिताब जीता है और मालूम हो कि पुबरुन ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। पुबरुन को उनकी जिस तस्वीर के लिए यह अवार्ड मिला है उसका नाम ‘नो एस्केप फ्रॉम रिएलिटी’ है।
"पुबरुन ने हाल ही में ‘यूथ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर’ का खिताब जीता है और मालूम हो कि पुबरुन ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। पुबरुन को उनकी जिस तस्वीर के लिए यह अवार्ड मिला है उसका नाम ‘नो एस्केप फ्रॉम रिएलिटी’ है।"
बीते कुछ दिनों से एक युवा फोटोग्राफर पुबरुन हर ओर चर्चा में हैं क्योंकि उन्होने अपनी एक बेहद खास कलाकृति के लिए प्रतिष्ठित अवार्ड जीता है। 20 साल के पुबरुन बसु कोलकाता से आते हैं। पुबरुन के पिता प्रणब बसु भी एक फोटोग्राफर हैं और यही सबसे बड़ा कारण रहा है कि पुबरुन बेहद कम उम्र में ही फोटोग्राफी की तरफ आकर्षित हो गए।
पुबरुन बसु जब महज 4 साल के थे तब उन्होने पहली बार DSLR कैमरा अपने हाथों में लिया था। बसु के द्वारा ली गई पहली फोटो एक लोक कलाकार की थी और यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में ली गई थी।
पुबरुन ने हाल ही में ‘यूथ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर’ का खिताब जीता है और मालूम हो कि पुबरुन ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। पुबरुन को उनकी जिस तस्वीर के लिए यह अवार्ड मिला है उसका नाम ‘नो एस्केप फ्रॉम रिएलिटी’ है। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता के लिए दुनिया भर से 3 लाख से अधिक एंट्री आई थीं।
ऐसे ली ये चर्चित तस्वीर
पुबरुन को उनकी जिस खास तस्वीर के लिए इस खिताब से नवाजा गया है उसके साथ एक दिलचस्प कहानी भी जुड़ी है। एक मीडिया चैनल से बात करते हुए पुबरुन ने बताया कि वह एक दिन अपने माता-पिता के कमरे के पास से गुजर रहे थे तभी उन्हे एक पर्दे में कुछ परछाइयाँ नज़र आईं, जिन्होने रेखाओं का रूप लिया हुआ था।
पुबरुन के अनुसार उस डिजाइन ने उनके भीतर एक प्रभाव छोड़ा और पुबरुन को इससे अपनी फोटो के लिए प्रेरणा मिली।
पुबरुन ने अपनी माँ से पर्दे के पीछे जाने का आग्रह किया और उनके हाथों पर पर्दे पर कुछ इस तरह रखा जैसे कोई ‘पिंजड़े’ से बाहर जाने की कोशिश कर रहा हो। पुबरुन के अनुसार उनकी माँ से इसे बखूबी निभाया और उन्होने तभी यह फोटो खींची।
लॉकडाउन में स्किल्स पर काम
इस खास फोटो को पुबरुन ने जुलाई 2020 में प्रस्तुत किया था और मार्च 2021 में उन्हे उनकी जीत के संबंध में सूचित कर दिया गया था, हालांकि उन्हे इस बात को अप्रैल 2021 में हुई आधिकारिक घोषणा तक उन्हे गुप्त ही रखना था।
गौरतलब है कि इस पुरस्कार के संबंध में लंदन में हर साल एक खास प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार ऐसा संभव नहीं हो सका है। पुबरुन इस प्रतियोगिता में साल 2019 में भी हिस्सा ले चुके हैं, हालांकि तब उन्हे कोई अवार्ड हासिल नहीं हुआ था।
कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान पुबरुन ने अपनी फोटोग्राफी से जुड़ी स्किल्स पर काम करना शुरू किया। इस समय के दौरान पुबरुन अपनी गलतियों से लगातार सीखते रहे। पुबरुन के अनुसार वह अपनी फोटोग्राफी में धैर्य को बड़ा हथियार मानते हैं। तस्वीर लेते समय भी वह एक बार में कई तस्वीरें एक साथ नहीं लेते हैं, बल्कि इस दौरान वे आराम से तस्वीर खींचने में विश्वास रखते हैं।
पुबरुन के अनुसार ऐसा करके वह तस्वीरों के जरिये अपनी बात अधिक प्रभावी तौर पर कह पाते हैं।
संगीतकार भी हैं पुबरुन
पुबरुन के अनुसार उन्होने अपने पिता की फोटो की किताब और सोशल मीडिया के जरिये भी फोटोग्राफी को सीखने का प्रयास करते रहते हैं।
अवार्ड विनिंग फोटोग्राफर होने के साथ ही पुबरुन संगीतकार भी हैं। पुबरुन जब महज 13 साल के थे तब से वह तबला बजा रहे हैं। पुबरुन अब संगीत और फोटोग्राफी दोनों ही कलाओं में पूरी तरह पारंगत होना चाहते हैं। पुबरुन भविष्य में फिल्ममेकिंग में भी हाथ आजमाना चाहते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi