54वीं रैंक हासिल कर विधु बने IAS, परीक्षा की तैयारी के लिए छोड़ दी थी लाखों की नौकरी
‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’, यह कथन यूपीएससी के परीक्षार्थियों के लिए एकदम सटीक बैठता है। संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है और इस बार भी तमाम परीक्षार्थियों ने अपनी पुरानी असफलताओं को पीछे छोड़ कर सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर दिये हैं। परिणाम घोषित होने के बाद अब आईएएस में चयनित हो चुके लखनऊ के विधु शेखर भी एक ऐसे ही शख्स हैं।
अपने बीते कुछ प्रयासों में आईएएस बनने के सपने से जरा सा चूक जाने वाले विधु शेखर ने इस बार अपने इस सपने को निरंतर लगन और अथक मेहनत के बल पर हासिल कर लिया है। आईएएस बनने की जिद लेकर हमेशा आगे बढ़े विधु ने इस साल ऑल इंडिया रैंक 54 हासिल की है और इसी के साथ अब वे जल्द ही ट्रेनिंग के बाद बतौर आईएएस देश को अपनी सेवाएँ देनी शुरू कर देंगे।
असफलता से नहीं लगा डर
आईएएस बनने के लिए विधु ने इसके पहले भी कुछ प्रयास किए हैं लेकिन तब वे महज कुछ अंकों से ही चूक जाते थे। विधु ने साल 2018 में सिविल सेवा परीक्षा में 173वीं रैंक हासिल की थी, जबकि साल 2019 में उन्होने यूपीएससी परीक्षा में 191वीं रैंक हासिल की थी। हालांकि दोनों ही बार वे सफल हुए पर आईएएस (IAS) की बजाय आईआऱएस (IRS) चुने गए और उन्होने भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी जॉइन कर ली थी। मालूम हो कि विधु फिलहाल नेशनल एकेडमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस, नागपुर में अपनी ट्रेनिंग कर रहे हैं।
बीते साल जारी हुए यूपीएससी के रिजल्ट में जब विधु ने 191वीं रैंक हासिल की थी तब भी उन्होने आईएएस के अलावा किसी और सेवा में जाने से साफ मना कर दिया था। आईआरएस की ट्रेनिंग कर रहे विधु के सामने तब भी आईपीएस बनने का विकल्प था, लेकिन विधु ने साफ कर दिया था कि उन्हें आईएएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
योरस्टोरी से बात करते हुए विधु कहते हैं,
“आईएएस से आपको एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिलता है जहां आप आमजन के साथ सीधे जुड़कर उन्हें अधिक से अधिक लाभ पहुंचा सकते हैं। यही कारण था कि मैंने आईएएस को प्राथमिकता दी। अब बतौर आईएएस मैं टेक्नोलजी की भी मदद लेते हुए आमजन को विकास और अन्य लाभ से बड़े स्तर पर जोड़ सकूँगा। इसी के साथ आम लोगों तक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच मेरी प्राथमिकता में हैं।”
पिता से मिला पूरा समर्थन
विधु ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलजी, इलाहाबाद से आईटी (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलजी) में बीटेक किया था, जिसके बाद उन्होने एक साल तक पेटीएम में बड़े पद पर नौकरी भी की।
विधु के मन में हमेशा से आईएएस बनने का एक जुनून था और वे कॉलेज की पढ़ाई के बाद से ही अपने इस सपने को पूरा करने का प्रयास करना चाहते थे। विधु के पिता डॉक्टर निशीथ राय प्रोफेसर, पूर्व कुलपति और विचारक होने के साथ ही लखनऊ से निकलने वाले एक अखबार के मालिक भी हैं।
अपने पिता के बारे में बात करते हुए विधु कहते हैं,
“पिता ने मुझे हमेशा राह दिखाई है इसी के साथ मैंने उनसे लोगों की सेवा के प्रति समर्पण का भाव सीखा है। वे खुद भी लोगों की सेवा में लंबे समय तक लगे रहे हैं।”
अपने इसी इरादे के साथ विधु ने पेटीएम की लाखों रुपये सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गए। विधु के इस निर्णय को उनके पिता डॉक्टर निशीथ का भरपूर समर्थन मिला और इसी का नतीजा था कि विधु ने लगातार तीनों साल 2018, 2019 और 2020 में अपनी रैंक सिक्योर की और इस बार उन्हें आईएएस के जरिये देश सेवा के अपने सपने को पूरा करने का मौका मिल ही गया।
विधु के अनुसार यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों को लेकर हार नहीं माननी चाहिए, परीक्षार्थी सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ ही दे सकते हैं बाकी चीजें किस्मत पर छोड़ देनी चाहिए।
आईएएस बनने की चाह रखने वाले युवाओं को टिप्स देते हुए विधु कहते हैं,
“सिविल सेवा परीक्षा के सिलेबस को देखते हुए स्ट्रेटजी बनाना बेहद जरूरी है और उसी के अनुसार किसी को भी यह तय करना चाहिए कि उन्हे क्या पढ़ना है क्योंकि इस परीक्षा के लिए सिलेबस का कोई अंत नहीं है। इसी के साथ आपकी लगन, कड़ी मेहनत और थोड़ा सा भाग्य का साथ आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा देगा।”
Edited by Ranjana Tripathi