बिना ब्लैकबोर्ड और किताबों के 21 सालों से युवाओं के सपने साकार कर रहे चेन्नई के सीए विजय कुमार
अक्सर कई ऐसे लोगों से हमारा सामना होता रहता है, जो अपने पैशन या जुनून को दिशा न दे पाने के लिए उम्र के साथ बढ़ती जिम्मेदारियों और विपरीत हालातों का बहाना बनाते हैं, लेकिन कई ऐसी शख़्सियतें ऐसी भी होती हैं, जो बिल्कुल ही अलहदा होती हैं और हमारा समाज उन्हें एक मिसाल के रूप में लेकर आगे बढ़ता है। ऐसी ही एक शख़्सियत हैं, चेन्नई के 49 वर्षीय विजय कुमार।
विजय कुमार का परिचय देते हुए आपको बता दें कि वह सिफ़ी टेक्नॉलजीज़ में चीफ़ फ़ाइनैंशल ऑफ़िसर हैं, इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टड अकाउंटेन्ट्स ऑफ़ इंडिया के काउंसिल मेंबर हैं और अकाउंटिंग के डिस्क्लोज़र्स के लिए बनी सेबी (एसईबीआई) कमिटी के सदस्य भी हैं। इन तमाम बड़ी भूमिकाओं के बावजूद वह पूरी जिम्मेदारी के साथ पढ़ाने के अपने पैशन के साथ किसी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं।
यह परिचय तो विजय कुमार की क़ाबिलियत के लिए है लेकिन उनकी ख़ासियतों से आपको रूबरू कराने के लिए योर स्टोरी विजय के एक पूर्व विद्यार्थी नंदित वाईके का कथन आपके लिए लेकर आया है, जिसमें वह कहते हैं, "चेन्नई में लोकप्रिय माइलोपोर टैंक के नज़दीक एक जगह पर रोज़ाना चार्टड अकाउंटेन्ट्स बनने की इच्छा रखने वाले हज़ारों अभ्यर्थी इकट्ठा होते हैं और उन्हें इंतज़ार रहता है अपने शिक्षक विजय कुमार का। मौसम कोई भी हो, न तो कभी विजय अपनी उपस्थिति देने से चूकते हैं और न ही उनके स्टूडेंट्स। एक बार का वाक़या सुनाते हुए वह कहते हैं कि चेन्नई में भारी बारिश के चलते सड़कों पर पानी भरा हुआ था, इसके बावजूद विजय कुमार निर्धारित जगह पर अपने तय समय पर पहुंच गए और उन्होंने अपनी क्लास शुरू कर दी।"
विजय मानते हैं कि सीए बनने के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया और अपने प्रोफ़ेशन के प्रति अपना हक़ अदा करने के लिए उन्होंने युवा विद्यार्थियों को अकाउंटिंग और फ़ाइनैंस लॉ पढ़ाने का फ़ैसला लिया। इन विषयों को पढ़ने के साथ-साथ विद्यार्थी विजय कुमार की क्लास में कुछ बिल्कुल अलग सिद्धांत भी सीखते हैं। उदाहरण के तौर पर पेन रुकना नहीं चाहिए और न ही आपको पड़ोस में बैठे स्टूडेंट की कॉपी में झांकना है क्योंकि आपको हमेशा यह सोचना है कि आप बेहतर हैं। इसके अलावा और भी बहुत कुछ।
विजय कुमार का टीचिंग करियर 21 साल लंबा हो चुका है और इस यात्रा के दौरान उन्होंने अभी तक 75,000 युवाओं के सपनों को पूरा किया गया है और यह आंकड़ा वक़्त के साथ-साथ लगातार बढ़ता जा रहा है। विजय कुमार की दिनचर्या सुबह 4 बजे से शुरू होती है। मॉर्निंग वॉक के बाद वह थोड़ी देर कसरत करते हैं। इसके बाद वह सुबह 5.45 तक प्राइम ऐकेडमी पहुंच जाते हैं और वहां पढ़ाने के बाद वह सुबह 9 बजे तक ऑफ़िस चले जाते हैं।
विजय कुमार ने योर स्टोरी से हुई बातचीत में कहा, "मैं मानता हूं कि स्टूडेंट्स उनकी क्लास में सिर्फ़ अपने सब्जेक्ट की पढ़ाई करने के लिए ही नहीं बल्कि अनुशासन सीखने के लिए भी आते हैं। वे न सिर्फ़ हमारे लेक्चर से सीखते हैं बल्कि हमारे व्यवहार से भी वे बहुत कुछ सीखते हैं।"
विजय कुमार ने 1992 में सीए की परीक्षा पास की थी और इसके बाद उन्होंने सुंदरम फ़ाइनैंस कंपनी के साथ अपना करियर शुरू किया था। दो सालों बाद उन्होंने सीए स्टूडेंट्स को पढ़ाना शुरू कर दिया। विजय बताते हैं कि उन्होंने अपने दोस्तों के कहने पर स्टूडेंट्स को पढ़ाना शुरू किया था।
स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए विजय कुमार का लगाव ऐसा था कि 1999 में उन्होंने सुंदरम फ़ाइनैंस में अपनी नौकरी छोड़ दी और सीए की प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद उन्होंने चेन्नई की प्राइम ऐकेडमी जॉइन की, जहां वह रोज़ सुबह 800-1000 स्टूडेंट्स को पढ़ाने लगे।
विजय कुमार के साथ-साथ उनके स्टूडेंट्स का जुनून और अनुशासन भी काबिल-ए-तारीफ़ है। आपको बता दें कि अरक्कोनम की एक स्टूडेंट चेन्नई से 70 किमी दूर एक कस्बे से आती थी। इतना ही नहीं, भारत के अलावा नेपाल के कुछ स्टूडेंट्स भी प्राइम ऐकेडमी में सीए बनने की चाह लेकर आते हैं।
विजय कुमार के पढ़ाने के तरीक़े की ख़ास बात यह है कि वह टेक्स्टबुक के आधार पर नहीं पढ़ाते बल्कि अपने वर्क एक्सपीरिएंस और रियल केस स्टडीज़ के आधार पर स्टूडेंट्स को तैयार करते हैं। यहां तक कि पढ़ाने के लिए विजय ने कभी ब्लैकबोर्ड का भी इस्तेमाल नहीं किया।
चार्टड अकाउंटेन्सी के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विजय को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। 2015 में, उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अकाउंटेन्ट्स (सीआईएसए) के द्वारा भारत के सबसे प्रभावशाली 100 चीफ़ फ़ाइनैंशल ऑफ़िशर्स में से एक चुना गया।
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