शुरु करना चाहते हैं अपना NGO, जानिए क्या है प्रॉसेस?
एनजीओ भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882, सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1862 और कंपनीज अधिनियम, 2013 के तहत दर्ज होते हैं. हालांकि, इनके तहत रजिस्ट्रेशन कराने से पहले आपको निम्न प्रक्रियाओं का पालन करना होता है.
दुनियाभर में सामाजिक कार्यों को बहुत ही सम्मान के तरीके से देखा जाता है. सामाजिक कार्य करने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सामाजिक क्षेत्र में काम करने का महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है.
अलग-अलग एनजीओ विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्य करते हैं. एनजीओ खासतौर पर समाज के ऐसे आर्थिक तौर पर कमजोर तबकों के लिए काम करते हैं जो सरकारी कार्यक्रमों से छूट गए होते हैं. उनके कार्य चैरिटी के रूप में होते हैं और वे समाज के अमीर लोगों और चंदे की आर्थिक सहायता से संचालित होते हैं.
एनजीओ रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया:
एनजीओ भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882, सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1862 और कंपनीज अधिनियम, 2013 के तहत दर्ज होते हैं. हालांकि, इनके तहत रजिस्ट्रेशन कराने से पहले आपको निम्न प्रक्रियाओं का पालन करना होता है.
एक एनजीओ शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको अपना मिशन और विजन तैयार करना होता है. इसके साथ ही आपको इसकी गवर्निंग बॉडी तैयार करनी होती है.
गवर्निंग बॉडी में समाज के कुछ प्रतिष्ठित लोगों को रखा जाता है. यह देखती है कि कोई एनजीओ कैसे संचालित होगा और वह क्या काम करेगा. इसके लिए वे एनजीओ की योजन, उसमें काम करने वाले लोग और आर्थिक प्रबंधन के बारे में पड़ताल करते हैं. गवर्निंग बॉडी ही संस्था के मैनेजमेंट और फंड जुटाने के तरीकों को लेकर फैसले करते हैं.
एनजीओ के रजिस्ट्रेशन से पहले गवर्निंग बॉडी को अपना बाईलॉज (संस्था को चलाने का नियम), मेमोरंडम ऑफ असोसिएशन या ट्रस्ट डीड का मसौदा तैयार करना होता है. इन दस्तावेजों में एनजीओ का नाम और पता, उसके सदस्यों, नियम-कानूनों की जानकारी और ऐसे प्रशासनिक कानूनों की जानकारी देने होती है जिनके आधार पर वह संचालित होगी.
एक बार जब तय हो जाता है कि एनजीओ किस तरह से काम करेगा तब उसके आधार पर उपरोक्त तीन कानूनों में से किसी एक के तहत उसका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है. तीनों कानूनों के अलग-अलग नियम कानून हैं जो कि किसी एनजीओ के प्रबंधन एवं संचालन को आसान बनाते हैं.
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882:
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत एनजीओ रजिस्टर कराने के लिए कम से कम दो सदस्यों की आवश्यकता होती है जबकि अधिकतम सदस्यों की संख्या कितनी भी हो सकती है.
सामान्य तौर पर इसके तहत कोई एनजीओ तब रजिस्टर कराया जाता है जब स्कूल, अस्पताल या अन्य चीजें बनाने के लिए संपत्ति शामिल होती है. इसके साथ ही ट्रस्ट के वित्तीय प्रबंधन और फंड जुटाने को लेकर सारी जानकारी देनी होती है.
इसके तहत एनजीओ रजिस्टर करने के लिए एक रजिस्ट्रेशन एप्लिकेशन के साथ कोर्ट फीस का स्टाम्प, रजिस्ट्रेशन की कीमत जमा करानी होती है.
सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1862
एक एनजीओ रजिस्टर कराने के लिए सबसे अधिक प्रभावी माध्यम सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1862 है जिसके के तहत एनजीओ रजिस्टर कराने के लिए मैनेजमेंट कमिटी के कम से कम सात सदस्यों की आवश्यकता होती है. इन सदस्यों को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, ट्रेजरर, निदेशक और अन्य को सदस्य के रूप में पद दिया जाता है.
सोसायटीज एक्ट के तहत एनजीओ को राज्य या जिला स्तर पर रजिस्ट्र कराया जा सकता है. हर राज्य में इसे रजिस्टर कराने के अलग-अलग नियम होते हैं. हालांकि, सामान्य तौर पर संस्था के अध्यक्ष का एफिडेविट, मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन, नियम एवं विनियम और सभी सदस्यों के पहचान पत्र के साथ मंजूरी पत्र की आवश्यकता होती है.
कंपनीज अधिनियम, 2013
कंपनीज अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी वाणिज्य, कला, विज्ञान, धर्म, चैरिटी या कोई अन्य उपयोगी ऑब्जेक्ट को प्रमोट करने के लिए रजिस्टर की जाती है.
हालांकि, गैर-लाभकारी होने के कारण ऐसे संगठनों का लाभ उसके सदस्यों में नहीं बांटा जा सकता है और उन्हें संगठन के विकास में लगाया जाता है.
चैरिटेबल कंपनी को संचालित करने के बारे में विस्तृत मेमोरंडम ऑफ असोसिएशन के साथ इसके लिए कम से कम तीन सदस्यों की आवश्यकता होती है जबकि अधिकतम सदस्यों की संख्या निर्धारित नहीं है.
विशेष लाइसेंस:
तीनों में से किसी एक कानून के तहत रजिस्टर होने के बाद भी एनजीओ को विशेष लाइसेंस हासिल करना होता है. दफ्तर खोलने के लिए शॉप्स एड एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत लाइसेंस हासिल करना होता है जबकि आदिवासी और प्रतिबंधित इलाकों में दफ्तर खोलने के लिए एक इनर-लाइ परमिट की आवश्यकता होती है. विदेशी चंदा हासिल करने के लिए एफसीआरए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है.