अगर कोरोना वायरस से जंग जीतनी है तो पहले हमें इसे खत्म करना होगा
कोरोना वायरस के चलते नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को सबसे पहले एक पूर्वाग्रह का शिकार होना पड़ा, जब उन्हें कोरोना वायरस बीमारी से जोड़कर संबोधित किया गया।
कोरोना वायरस ने इस समय लगभग पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। सभी देश उनके पास मौजूद संसाधनों का उपयोग कर इस महामारी से लड़ रहे हैं। विकसित देशों के पास विकासशील देशों की तुलना में अधिक संसाधन हैं, जबकि भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह लड़ाई मुश्किल साबित होती नज़र आ रही है।
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी जंग को सिर्फ मौजूद संसाधनों के बल पर ही जीता नहीं जा सकता है, बल्कि इसके लिए देश के हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है। देश का हर नागरिक अपने स्तर पर इस लड़ाई में सहयोग कर सकता है, सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन भी इसी सहयोगा का हिस्सा है।
भारत जैसे देश में जहां अधिकतर आबादी ग्रामीण आंचल में रहती हैं वहाँ कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर लोगों के पास जानकारी का अभाव है। आज सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप के दौर में कोरोना वायरस से जुड़ी फेक न्यूज़ और अधूरे तथ्यों के साथ बांटी गई जानकारी भी बेहद खतरनाक साबित हो रही है। इस तरह की जानकारी लोगों में एक खास तरह के पूर्वाग्रह को जन्म दे रही है, जिसके चलते कोरोना वायरस के खिलाफ जारी यह जंग कहीं न कहीं कमजोर हो रही है।
कोरोना वायरस के संबंध में लोगों के भीतर कई पूर्वाग्रह मौजूद हैं। इन पूर्वाग्रहों में महामारी को लेकर अधूरे तथ्य और समुदाय विशेष के प्रति एक खास सोच आदि शामिल हैं, जिनके चलते कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में हमारी कोशिश काफी कमजोर पड़ रही है।
जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, ऐसे में देश में बिना एकजुटता के ऐसी लड़ाई को जीता जाना संभव ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि देश में लोग इस समय मदद के लिए निकल कर आगे नहीं आए हैं, ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग हैं जो इस समय हालात के अनुरूप विचार करने के बजाय अपने धार्मिक अहंकार को तृप्त कर रहे हैं, जोकि मौजूदा समय में देश के लिए बेहद खतरनाक है।
कोरोना वायरस के चलते नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को सबसे पहले एक पूर्वाग्रह का शिकार होना पड़ा, जब उन्हे देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस बीमारी से जोड़कर संबोधित किया गया। सिलसिला यहीं नहीं रुका, लोगों ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के साथ भी बुरा बर्ताव किया। इन लोगों में अधिकांश उनके पड़ोसी ही थे, जिन्हे यह डर था कि उस डॉक्टर के जरिये कोरोना वायरस उनतक पहुँच जाएगा।
इस समय देश के विभिन्न कोनों में फसे गरीब मजदूरों ने जानकारी के अभाव में पलायन की कोशिश की, तब भी उनके प्रति एक विशेष राय को जन्म दिया गया। इस पूर्वाग्रह के चलते उन मजदूरों के आत्मविश्वास और सम्मान को भी ठेस पहुंची, क्योंकि ये वो समय है जब उनके लिए खड़ा रहने वाला कोई नज़र ही नहीं आ रहा है।
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी यह जंग सिर्फ एकजुटता के बल पर जीती जा सकती है। यह लड़ाई अगर हमें समय रहते जीतनी है तो इस लड़ाई में पूर्वाग्रह की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।