कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए गुरुग्राम का यह स्टार्टअप सरकार को दे रहा है मुफ्त समाधान
गुरुग्राम का यह स्टार्टअप लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने और इससे बचाव करने में तकनीक के स्तर पर मदद कर रहा है।
जैसे ही नोवल कोरोनोवायरस के पहले मामले चीन के वुहान से सामने आए, WHO ने COVID-19 बीमारी को महामारी घोषित कर दिया। इस महामारी से लड़ने के लिए मानव जाति ने भी हर तरीके से हाथ मिलाये।
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भारत में भी लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर 14 अप्रैल से 3 मई तक कर दिया गया है।
गुरुग्राम स्थित स्टार्टअप टैगबिन के सह-संस्थापक और सीईओ सौरव भैक कहते हैं,
“हालांकि, कुछ नागरिक लॉकडाउन को अनदेखा कर रहे हैं और यदि यह बीमारी बड़े स्तर पर फैलती है, तो हमारे पास संक्रमित लोगों का पता लगाने का कोई तरीका नहीं होगा। कुछ लोग घबरा रहे हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि उन्हें कोरोनोवायरस है या साधारण फ्लू। वे नहीं जानते कि कैसे या कब परीक्षण किया जाना है?”
यह स्टार्टअप एंड-टू-एंड एक्सपीरिएंसियल टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस की मदद से वातावरण को डिजिटल और इंटरएक्टिव बनाने में मदद करता है।
सौरव ने अपनी टीम के साथ मिलकर टैगबिन के संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने का फैसला किया। उन्होने इस गंभीर स्थिति में मदद करने के लिए CoCare नाम की एक ऐप विकसित की है। टैगबिन की CoCare ऐप एक इंटीग्रेटेड और फ़र्स्ट आईटी समाधान है, जिसकी मदद से सरकार और नागरिक COVID-19 से एक साथ लड़ सकते हैं। सौरव कहते हैं कि राज्य सरकारें स्टार्टअप के समाधान को मुफ्त में लागू कर सकती हैं।
Community Spread से बचाव
COVID-19 रोगियों के संपर्क में आने वाले नागरिकों का पता लगाने में मदद करने के लिए टैगबिन का CoCare ऐप ब्लूटूथ और जीपीएस ट्रैकिंग का उपयोग करता है।
आगे यह बताते हुए कि ऐप कैसे काम करता है, सौरव कहते हैं, “एक कस्टम-ट्रैक और ट्रेस एल्गोरिथ्म का उपयोग community spread के मामलों में नागरिकों की स्थिति और निकटता को चिह्नित करने के लिए किया जाता है। यह डेटा एन्क्रिप्ट होने के साथ ही जीपीएस की मदद से उपयोगकर्ता पहचान के साथ टैग किया जाता है, ताकि उसके संपर्क में आने वाले लोगों के लिए पहले से ही चेतावनी जारी की जा सके।”
CoCare ऐप नागरिकों से सवाल जवाब के माध्यम से यह भी बताता है कि उन्हे जांच की आवश्यकता है या नहीं। इसी के साथ ऐप लोगों को अन्य उपायों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराता है।
इसके अलावा CoCare ऐप को सरकार द्वारा नागरिकों को ज़रूरत के हिसाब से लॉकडाउन पास जारी करने में मदद करने के लिए विकसित किया गया है, इसके जरिये उपयोगकर्ता आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए पास पा सकता है।
सौरव के अनुसार इस ऐप के माध्यम से इकट्ठा किए जाने वाले सभी डेटा को राष्ट्रीय डेटा सुरक्षा नीतियों के अनुरूप यूजर की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्ट किया जा रहा है।
इससे पहले अप्रैल में, भारत सरकार ने स्थान आधारित कोरोनवायरस ट्रैकिंग ऐप आरोग्य सेतु लॉन्च किया था, जो CoCare ऐप के समान है। यह बताते हुए कि टैगबिन का CoCare ऐप Aarogya Setu ऐप से कैसे अलग है, सौरव का कहना है कि ऐप किसी भी डेटा को सर्वर पर अपलोड नहीं करता है और संपर्क डेटा मोबाइल ऐप डेटाबेस में संग्रहीत होता है।"
CoCare ऐप में यूजर को सर्वर के साथ ऐप को केवल तभी सिंक करना होता है, जब कोरोना वायरस पॉज़िटिव पाया जाता है। इसके अलावा, CoCare पास के उपकरणों का पता लगाने के लिए स्पीकर से ब्लूटूथ, जीपीएस ट्रैकिंग, वाई-फाई या अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग करता है, जबकि आरोग्य सेतु केवल ब्लूटूथ और जीपीएस ट्रैकिंग का उपयोग करता है।
यह ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। वर्तमान में टैगबीन राज्य सरकारों से संपर्क कर रहे हैं क्योंकि वे इस समाधान को मुफ्त में लागू कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले हरी झंडी दे दी थी, और अब समाधान को लागू करने की प्रक्रिया में है।
स्मार्टसिटी के लिए है स्टार्टअप
आईआईटी-रुड़की में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग छात्र के रूप में इनोवेशन और प्रौद्योगिकी ने हमेशा 23 वर्षीय सौरव को आकर्षित किया। रोबोकॉन 2012 के एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के रोबोटिक्स प्रतियोगिता के आयोजन सदस्य के रूप में सौरव ने कैडबरी ओरियो के लिए एक विज्ञापन अभियान की योजना बनाई थी। उन्होंने और उनकी टीम ने विजिटरों को सैकड़ों RFID टैग वितरित किए। ऐसे में हर बार जब वे सोशल मीडिया पर इवेंट से एक तस्वीर या एक पोस्ट करते हैं, तो कैडबरी का हैशटैग स्वतः टैग में पॉप-अप हो जाता था।
उसी इवेंट में सौरव की मुलाकात अंकित सिन्हा (वो अब टैगिन के सह-संस्थापक और सीटीओ हैं।) से हुई, जो आईआईटीएम नई दिल्ली स्नातक हैं और उन्होने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम का अनुभव हासिल है। दोनों ने कई परियोजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया, और जून 2013 में आधिकारिक तौर पर टैगबिन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को लॉन्च किया।
अपनी स्थापना के बाद से टैगबिन, साकेत, नई दिल्ली में एक बेसमेंट में कुछ लोगों के साथ इवेंट टेक्नोलॉजी के लिए एक छोटे से कार्यालय से विकसित हुआ है। आज गुरुग्राम, मुंबई, दुबई और सिंगापुर में 83 लोगों के साथ एक कार्यालय है, जो कई मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट को पूरा करता है। भारत सरकार, कॉरपोरेट्स के साथ-साथ टोक्यो जैसे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों और अन्य लोगों के लिए यह स्टार्टअप अपनी सेवाएँ दे रहा है।
वर्तमान में स्टार्टअप में संस्कृति मंत्रालय, एएसआई, कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय, मेटकाफ हॉल, भारत के राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार, गेल, भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, कोका कोला, वोडाफोन, बीपीसीएल, ओएनजीसी, लेविस सहित 100 से अधिक ग्राहक सम्मिलित हैं। इसी के साथ इंडिया टुडे, मर्सिडीज बेंज, ऑडी, म्यनट्रा, यूसीबी, एडिडास, उबर, हीरो, हुआवेई, कोहलर, किंगफिशर, डबिजली, एचडीएफसी लाइफ, रे-बैन व कई अन्य कंपनियाँ इससे जुड़ी हैं।