वॉरियर की पहली च्वॉइस टेक्नोलॉजी में महारत, उसके बाद ड्रेस और फैशन की बातें
टेक्नोलॉजी की दुनिया की बादशाह येलिपेड्डी पद्मश्री वारियर ने कारपोरेट घरानों में बड़े पदों पर रहते हुए आधुनिक स्त्रियों के बारे एक अलग तरह के पेशेवर अनुभव हासिल किए हैं। वह कहती हैं, "विश्व प्रौद्योगिकी में महिलाओं की संख्या दुखद रूप से कम है, फैशनेबल रुझान से पहले उनकी पेशेवर बारीकियों में महारत होनी चाहिए।"
उबर की सीनियर डायरेक्टर कोमल मंगतानी, कोंफ्लूएंट की को-फाउंडर और चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर नेहा नारखेड़े, आइडेंटिफाई मैनेजमेंट ड्रॉब्रिज कंपनी की सीईओ और फाउंडर कामाक्षी शिवरामकृष्णन की तरह ही टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व की चुनिंदा महिलाओं में एक हैं भारतीय मूल विजयवाड़ा (आंध्रप्रदेश) की रहने वाली टेक्नोलॉजी की दुनिया के बादशाह येलिपेड्डी पद्मश्री वॉरियर। आईआईटी दिल्ली से 1982 में केमिल इंजिनियरिंग में स्नातक करने के बाद 2015 से माइक्रोसॉफ्ट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा बनीं 58 वर्षीय वारियर मोटोरोला की चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर और नियो इंक की सीईओ भी रह चुकी हैं।
अमेरिका की 'फॉर्च्यून' पत्रिका वारियर 'इलेक्ट्रिक कार बिज़ की रानी' का ख़िताब दे जा चुकी है। उन्होंने अमेरिका के कार्नेल विश्वविद्यालय से 1984 में केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट किया था। न्यूयॉर्क की पोलिटेकनीक यूनिवर्सिटी ने 2007 में उन्हें डॉक्टर ऑफ इजीनियरिंग की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। पिछले विगत दिसंबर में उन्होंने चीन की कार कंपनी नियो के यूएस हेड पद से इस्तीफा दे दिया था।
वर्ष 2007 में भारतवंशी अमेरिकी नागरिक पद्मश्री वारियर को नेटवर्किंग उपकरणों की आपूर्ति बनाने वाली विश्व की अग्रणी कंपनी सिस्को सिस्टम का मुख्य तकनीकी अधिकारी (सीटीओ) नियुक्त किया गया था। उससे पहले वह मोटोरोला में कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य तकनीकी अधिकारी रहीं। वारियर अपनी स्ट्युडेंट लॉइफ से ही हमेशा बड़े चैलेंज लेने की आदती रही हैं।
वह कहती हैं, उनको ऐसी विश्व स्तरीय कंपनियों में शामिल होने से खुशी होती है, जो आज इंटरनेट युग में अपने बिजनेस प्लेटफॉर्म पर बड़े-से-बड़े चैलेंज पीछे छोड़ती हुई टेन्कनोलॉजी की सफलताओं के नए-नए मानदंड रच रही हैं।
सिस्को के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉन चैम्बर्स ने कभी कहा था,
पद्मश्री से भावी तकनीकी नेतृत्व को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। वह टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दूरदर्शी और व्यावसायिक कुशलता के साथ एक सफल लीडर की तरह हैं।
पद्मश्री वॉरियर स्त्रियों को लेकर कारपोरेट जगत के पूर्वग्रहों को किंचित रेखांकित करती हुईं कहती हैं कि अगर कोई औरत हाई हील्स में कोड डालना चाहती है, तो उसको ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए। वैसे भी अभी विश्व प्रौद्योगिकी में महिलाओं की संख्या दुखद रूप से बहुत ही कम है। शीर्ष पदों पर रहती हुई वह कारपोरेट घरानों में पचास फीसदी महिलाओं को अवसर देना तो चाहती रही हैं लेकिन वही सवाल आड़े आ जाता है कि योग्य और कुशल ऐसी तेज टेक्नीशियंस की उपलब्धता तो हो। मैंने सेमीकंडक्टर पायदान पर पहला कदम रखा था। न तो उस समय, न अब उनका कभी ड्रेसिंग की चकाचौंध पर ध्यान गया।
वॉरियर कहती हैं कि हमे अपने ड्रेस कोड के फैशनेबल रुझान में फंसने की बजाय अपनी पेशेवर बारीकियों में महारत की प्राथमिकता लेकर चलना चाहिए। ठीक है, पोशाक स्त्री की एक अलग संस्कृति हो सकती है लेकिन उससे न व्यक्तिगत जीवन चलता है, न कारपोरेट कारोबार। हम अपने पेशे में जितनी सक्षम होती हैं, उसी हद तक विश्व कारपोरेट हमे अहमियत देने के लिए विवश होता है। वह स्वयं एक औरत हैं, उन्हे भी फैशन करना अच्छा लगता है लेकिन उससे पहले उनके लिए प्राथमिक वह योग्यता है, जिसे हासिल करने में उनको कॉलेज लॉइफ का बहुत लंबा वक़्त खर्च करना पड़ा है। कपड़ों की बात तो उनको स्टीरियोटाइप लगती है कि यदि कोई औरत तकनीकी है तो उसे अच्छी तरह से कपड़े नहीं पहनना चाहिए, अथवा अच्छे कपड़े पहनने की शौकीन कोई औरत अच्छी तकनीशियन नहीं हो सकती है।
विजयवाड़ा में वर्ष 1961 में पैदा हुईं वॉरियर को विश्व की सबसे बेहतर टेक्निकल स्ट्रेटजी प्लानर में शुमार किया जाता है। वह कहती हैं कि आज न्यू एनर्जी व्हिकल दुनिया का सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ता बाजार है। कॉर्पोरेट प्रौद्योगिकी रणनीतिकार वॉरियर के नेतृत्व में ही मोटोरोला को वर्ष 2004 में यूएस नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी से सम्मानित किया गया। वह दुनिया की 100 सबसे पॉवरफुल वुमन में शुमार होने के साथ ही वर्ष 2013 में इंटरनेशनल एलायंस फॉर वुमन की ओर से वर्ल्ड ऑफ डिफरेंस अवार्ड से नवाजी जा चुकी हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल उनको '50 वीमेन टू वॉच' का तमगा दे चुका है। वॉरियर सरकारी और कारपोरेट सलाहकार बोर्डों में सहभागिता के साथ ही धर्मार्थ और सामुदायिक संगठनों की गतिविधियों में भी भाग लेती रहती हैं।