Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू किया मिल्क पार्लर, हर महीने होने लगी लाखों की कमाई

कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू किया मिल्क पार्लर, हर महीने होने लगी लाखों की कमाई

Monday November 04, 2019 , 3 min Read

"हरियाणा के प्रदीप श्योराण एमबीए करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनियों में लंबे समय तक नौकरी करते रहे। मन नहीं लगा। छोड़कर अपने गांव आ गए। रोहतक में 'बागड़ी मिल्क पार्लर' नाम से पांच स्थानों पर स्वादिष्ट दूध बेचने लगे। अच्छी कमाई से हौसला बढ़ा तो कई तरह के मिल्क प्रॉडक्ट बेच रहे हैं। अपने स्टार्टअप की सफलता से उन्होंने सबसे ज्यादा अपने पिता को चौंकाया है।"

k

बागड़ी मिल्क पार्लर, फोटो (सोशल मीडिया)

देश में चरखी दादरी से गुजरात तक फैले 'बागड़' (इसी से बना है बागड़ी शब्द) क्षेत्र में भारतीय नस्ल की चौबीस तरह की गायों की उत्पत्ति हुई है। हरियाणा के उसी चरखी दादरी के गांव मांढी पिरानु के रहने वाले प्रदीप श्योराण मल्टीनेशनल कंपनियों में लंबा वक्त बिताने के बाद 17 दिसंबर 2018 से रोहतक में 'बागड़ी मिल्क पार्लर' ने पांच स्थानों पर स्वादिष्ट दूध की बिक्री कर हर महीने लाखों रुपए कमा रहे हैं। वह हिसार की गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से एमबीए तक पढ़ाई कर चुके हैं। उनके पिता सरकारी शिक्षक रहे हैं, यह काम शुरू करते समय उनसे कहते थे कि दूध तो 10वीं पास आदमी भी बेच लेता है।


प्रदीप श्योराण ने जब दूध बेचना शुरू किया तो शुरुआत से अच्छी कमाई होने लगी। कामयाबी देखकर उनके पिता का संदेह जाता रहा। उन्होंने अपने काम की शुरुआत रोहतक से की। इसी साल 20 अप्रैल को प्रदीप को मसूरी के लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में बागड़ी मिल्क पार्लर के डेमो के लिए भी बुलाया गया था। 


प्रदीप कहते हैं कि दूध तो हरियाणा समेत पूरे भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है। पिछले डेढ़ दशक से युवाओं का ठंडे पेयों की तरफ रुझान बढ़ा है। उनकी कोशिश है कि युवाओं की फिर से दूध-दही में दिलचस्पी बढ़ाई जाए। इसलिए वह अपने स्टार्टअप को सिर्फ कारोबार नहीं, एक चैलेंजिंग बदलाव के रूप में भी ले रहे हैं। प्रदीप ने पढ़ाई के बाद हैवेल्स, बर्जर पेंट जैसी कई मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब किए लेकिन मन नहीं लगा। वह खुद का कोई काम शुरू करने के बारे में सोचने लगे। वह कहते हैं कि खेती और पशुपालन ही दो ऐसे काम-धंधे हैं, जिनमें कमाई की पूरी गुंजायश हर वक़्त रहती है। वैसे भी वह बचपन से गांव की आबोहवा में रहे हैं।


इसी उधेड़-बुन में प्रदीप एक दिन अचानक अपने गांव लौट आए और स्टार्टअप की तरह देसी गायों के दूध का काम शुरु किया। कुछ ही महीनों में इस कारोबार में उनके पांव जम गए। लोगों को उनका दूध पसंद आने लगा। अब वह फूड स्टाल के साथ ट्राइसाइकिल से अपने उत्पाद बेचने के साथ ही गुड़ की कुल्फी भी बेचने की तैयारी में हैं। 





प्रदीप बताते हैं कि अभी तक किसान अपनी फसलें, दूध-दही-घी थोक में मंडियों, व्यापारियों को बहुत कम कीमत पर बेचते आ रहे हैं। कारोबारी उससे तरह-तरह के प्रॉडक्ट बनाकर दस-बीस गुने ज्यादा मुनाफे पर उल्टे उन्ही किसानों को बेच लेते हैं। उन्होंने जब अपना दूध का कारोबार शुरू किया तो ठीक इसके विपरीत टैक्टिस अपनाई। वह अपने उत्पाद फुटकर में बेचने और बाजार से थोक में खरीदने लगे।


प्रदीप का उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचने लगा, जिससे मुनाफे में भारी फर्क आ गया। इससे ग्राहक भी लाभ में रहे तो उनका रुझान तेजी से उनके मिल्क पार्लर की ओर बढ़ता गया। उसे एक तो शुद्ध और फ्रेश, दूसरे सस्ता और स्वादिष्ट दूध मिलने लगा। इस समय वह दूध के साथ देसी गायों का घी और कई अन्य दुग्ध उत्पाद भी बेच रहे हैं।


प्रदीप रोहतक में पांच स्थानों पर मिट्टी के कुल्हड़ में दूध के अलावा बादाम मिल्क, हरियाणवी रबड़ी, ठंडी लस्सी, केसर वाली खीर खिला रहे हैं। फिलहाल, उनके साथ सात और लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार से जुड़े हैं।