ELSS क्या है, टैक्स सेविंग में कैसे मददगार
ELSS म्यूचुअल फंड स्कीम्स में SIP के जरिए या फिर एकमुश्त निवेश किया जा सकता है.
टैक्स सेविंग (Tax Saving) के लिए कम लॉक-इन पीरियड वाले विकल्प की तलाश करने वालों के लिए ELSS बेस्ट विकल्प है. ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (Equity Linked Saving Scheme), जिसे आमतौर पर टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम के नाम से जाना जाता है. ELSS फंड इक्विटी फंड होते हैं, जो अपने कॉरपस का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी या इक्विटी संबंधित इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. ELSS फंड्स का लॉक इन पीरियड 3 साल होता है और इस लॉक इन लॉक-इन पीरियड के दौरान आप स्कीम से पैसा नहीं निकाल सकते हैं. ELSS में निवेश कर आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
ज्यादातर फंड हाउस लोगों को मिनिमम 500 रुपये की रकम से ELSS में निवेश शुरू करने की इजाजत देते हैं. ELSS म्यूचुअल फंड स्कीम्स में SIP के जरिए या फिर एकमुश्त निवेश किया जा सकता है. ELSS का प्रदर्शन बाजार से जुड़ा होता है.
कैसे शुरू करें ELSS में निवेश?
ELSS में निवेश के लिए केवाईसी जरूरी है. फंड हाउस के ब्रांच ऑफिस या रजिस्ट्रार ऑफिस में चेक के साथ एक फॉर्म भरना होता है. फंड हाउस की वेबसाइट या एग्रीगेटर्स के माध्यम से ऑनलाइन भी ELSS में निवेश कर सकते हैं. ELSS में निवेश शुरू होने पर आपको फोलियो नंबर मिलता है. यही फोलियो नंबर देकर भविष्य में ELSS स्कीम में निवेश कर सकते हैं.
निवेशक के पास रहते हैं कुछ विकल्प
ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश के वक्त निवेशकों के पास कुछ विकल्प रहते हैं. इनमें ग्रोथ ऑप्शन, डिविडेंड ऑप्शन और डिविडेंड रीइंवेस्टमेंट ऑप्शन शामिल हैं. ग्रोथ ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड नहीं मिलता है. गेन्स/लॉस, स्कीम को भुनाते या इससे स्विच करते समय ही मिलता है. डिविडेंड ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड दिया जाता है, हालांकि, डिविडेंड का डिक्लेरेशन पूरी तरह फंड हाउस पर निर्भर करता है. डिविडेंड टैक्सेबल होता है. डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट ऑप्शन में फंड हाउस द्वारा घोषित डिविडेंड को दोबारा स्कीम में लगा दिया जाता है. डिविडेंड के रीइन्वेस्टमेंट का भी लॉक-इन पीरियड होता है.
मैच्योरिटी पर पैसा निकालने पर टैक्स नियम
ELSS फंड्स में निवेश पर आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट है. लॉक-इन पीरियड खत्म होने के बाद स्कीम से अगर पैसा निकाला जाता है तो उस पर टैक्स लगता है. मौजूदा टैक्स कानूनों के अनुसार, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में एक साल से ज्यादा वक्त तक लगे पैसे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है- एक वित्त वर्ष में अगर ELSS म्यूचुअल फंड से गेन्स 1 लाख रुपये से ज्यादा हुआ है तो बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. 1 लाख रुपये तक का गेन्स टैक्स के दायरे में नहीं आता है.