क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसकी एक रिपोर्ट से Gautam Adani के डूब गए अरबों डॉलर
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयर ताश के पत्तों से बने महल की तरह गिरते जा रहे हैं. इस रिपोर्ट में गौतम अडानी पर कई सारे गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
भारत के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) के लिए बुधवार का दिन सबसे बुरा साबित हुआ. शुक्रवार को जब मार्केट (Share Market) दोबारा खुला तो एक बार फिर से गौतम अडानी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. सिर्फ बुधवार की गिरावट में ही गौतम अडानी को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. शुक्रवार की गिरावट में भी उनको भारी नुकसान हो रहा है. इस गिरावट की वजह है अमेरिकी रिसर्च ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट. इस रिपोर्ट में गौतम अडानी पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
क्या है हिंडनबर्ग?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी निवेश कंपनी है, जिसे Nathan Anderson नाम के एक बिजनेसमैन ने शुरू किया था. इसकी स्थापना 2017 में की गई थी. कंपनी दावा करती है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है और इसके पास दशकों का अनुभव है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी असामान्य सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर शोध करती है, जिसे ढूंढना बेहद मुश्किल होता है. इस कंपनी की शुरुआत करने से पहले वह Harry Markopolos के साथ भी काम चुके हैं, जिन्होंने Bernie Madoff की पोंजी स्कीम का पर्दाफाश किया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने पहले भी कई कंपनियों को लेकर ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं. इन रिपोर्ट की वजह से उन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट भी आई थी. 2020 में इस कंपनी ने अमेरिकी ट्रक निर्माता कंपनी निकोला और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपना स्टेक बेचा था. इससे उन दोनों कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. Nikola एक इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी, जिसने निवेशकों को अपने नए व्हीकल्स के बारे में बताते हुए ठगा था, जबकि हकीकत में उसके पास गाड़ियां थीं ही नहीं. 2016 से लेकर अब तक हिंडनबर्ग रिसर्च ऐसी दर्जनों रिपोर्ट जारी कर चुका है, जिसमें उसने किसी न किसी तरह का खुलासा किया है, जिससे कई कंपनियों के शेयर बुरी तरह टूटे हैं. यह रिसर्च फर्म WINS Finance, China Metal Resources Utilization, HF Foods और Riot Blockchain के खिलाफ भी रिसर्च रिपोर्ट जारी कर चुकी है.
हिंडनबर्ग रिसर्च नाम क्यों?
इस कंपनी के नाम के पीछे भी एक खास वजह है. इसका नाम हिंडनबर्ग रिसर्च एक खास मकसद से रखा गया था. कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार यह एक डिजास्टर यानी त्रासदी पर आधारित है. कंपनी का मानना है कि उस डिजास्टर को टाला जा सकता है. 6 मई 1937 को लगभग 100 लोगों को लेकर जा रहा हिंडनबर्ग एयरलाइंस का विमान अमेरिका से न्यू जर्सी के मैनचेस्टर में हादसे का शिकार हुआ था. इसमें करीब 37 लोगों की मौत हुई थी. इसके तहत हाइड्रोजन से भरे एयरशिप में करीब 100 लोगों को बैठाया गया था, जो बहुत ही ज्वनलशील गैस है. यह भी तब किया गया, जबकि इसी तरह के दर्जनों छोटे-मोटे हादसे पहले भी हो चुके थे.
क्या आरोप लगाए गए हैं अडानी ग्रुप पर?
अडानी ग्रुप पर आरोप है कि कंपनी ने शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट किया है और अकाउंटिंग फ्रॉड किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज है, जिसके कारण उनकी कंपनियों पर संदेह की स्थिति है. आरोप ये भी है कि अडानी ग्रुप ने टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है और शेयरों की कीमतों को मैनिपुलेट किया है. यह रिसर्च ‘अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नाम से छापी गई है. इसे 27 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ आने से सिर्फ 2 दिन पहले जारी किया गया. इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपये के एफपीओ पर संकट मंडरा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने विदेशों में कई कंपनियां बनाकर टैक्स बचाने का काम किया है. मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हैवन देशों में कई बेनामी कंपनियां हैं, जिनकी अडानी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी है. एक आरोप भी है कि अडानी की लिस्टेड कंपनियों पर भारी कर्ज है, जिसने पूरे ग्रुप को एक 'अस्थिर वित्तीय स्थिति' में डाल दिया है. ऊंचे मूल्यांकन की वजह से कंपनी के शेयरों की कीमत 85 फीसदी तक अधिक बताई जा रही है. इस रिसर्च फर्म का दावा है कि उसने करीब 2 सालों तक कड़ी रिसर्च के बाद ये रिपोर्ट बनाई है. इसे तैयार करने के लिए कंपनी ने अडानी ग्रुप के पूर्व अधिकारियों और कुछ अन्य लोगों से बात की और कई दस्तावेज भी खंगाले.
रिसर्च फर्म के खिलाफ केस करेगा अडानी ग्रुप
अडानी ग्रुप के लीगल हेड जतिन जालुंधवाला ने कहा है कि कंपनी पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद है. यह भी कहा है कि रिसर्च फर्म ने ये रिपोर्ट अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के दौरान जारी की है, ताकि कंपनी के शेयरों को नुकसान पहुंचाया जा सके. अब अडानी ग्रुप ने फैसला किया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च पर केस करेगी. वहीं हिंडनबर्ग ने भी अडानी ग्रुप को चुनौती दे दी है.
अडानी ग्रुप ने क्या कहा है?
अडानी ग्रुप के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने कहा है कि Hindenburg Research की 24 जनवरी 2023 को पब्लिश हुई रिपोर्ट को छापने से पहले ना तो कपनी से संपर्क किया गया ना ही फैक्ट्स को वेरिफाई करने की कोशिश की गई. इस रिपोर्ट में बहुत सारी गलत बातें कही गई हैं, जिनका कोई आधार नहीं है. इस रिपोर्ट में जो आरोप अडानी ग्रुप पर लगाए गए हैं, उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है.
कंपनी के अनुसार यह रिपोर्ट अडानी ग्रुप की छवि को खराब करने की कोशिश है. इस रिपोर्ट के जरिए कंपनी के आने वाले एफपीओ को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ होगा. कंपनी के अनुसार निवेशकों ने अडानी ग्रुप में हमेशा भरोसा किया है. उनके इस भरोसा का आधार हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की तरफ से विस्तार में की गई एनालिसिस और उसके बाद बनाई गई रिपोर्ट. हमारे जागरूक निवेशक किसी भी एकतरफा रिपोर्ट से प्रभावित नहीं होते हैं. अडानी ग्रुप ने हमेशा कानून का पालन किया है और उसी के हिसाब से काम करता है. ये कंपनी तमाम कॉरपोरेट और गवर्नेंस स्टैंडर्ड का भी पूरा पालन करती है.