अडानी स्टॉक क्रैश: NPS जमा के इक्विटी में निवेश पर उठे सवाल, कितना हिस्सा लगता है शेयरों में
NPS एक पेंशन स्कीम है और सरकारी व प्राइवेट सेक्टर दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए है.
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg research) की रिपोर्ट के कारण गौतम अडानी (Gautam Adani) के अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों के शेयरों पर आई आंच की लपटें नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) तक आती दिख रही हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अडानी की कंपनियों के शेयरों में हालिया गिरावट का जिक्र करते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए उस शेयर बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, जहां NPS का पैसा निवेश किया जा रहा है.
इसके साथ ही गहलोत ने देशभर में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की फिर से वकालत की. वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि हिंडनबर्ग द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिरने के बाद भी सरकारी LIC और SBI उसमें निवेश करते रहे. क्या राष्ट्रीय पेंशन योजना में सरकारी कर्मचारियों द्वारा जमा की गई रकम भी गौतम अडानी ग्रुप में लगा दी गयी?
NPS के पैसों के शेयर मार्केट में निवेश पर हो रही इस चर्चा के बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर NPS है क्या और इसमें जमा की जाने वाली रकम का शेयर मार्केट से किस तरह से कनेक्शन है. आइए जानते हैं इस बारे में डिटेल में...
NPS एक पेंशन स्कीम
NPS एक पेंशन स्कीम है और सरकारी व प्राइवेट सेक्टर दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए है. इसमें NRI भी निवेश कर सकते हैं. साल 2004 में NPS को केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था. इसे 2009 में सभी कैटगरी के लोगों के लिए खोल दिया गया. NPS के अंतर्गत दो तरह के खाते खुलते हैं- Tier-I और Tier-II. Tier-I एक रिटायरमेंट अकाउंट होता है, वहीं Tier-II एक वॉलंटरी अकाउंट है. Tier-II खाते में कोई भी वेतनभोगी अपनी तरफ से निवेश शुरू कर सकता है.
NPS में 18 वर्ष की उम्र से लेकर 65 वर्ष का होने तक या फिर रिटायरमेंट तक निवेश किया जा सकता है. अकाउंट को 70 वर्ष की उम्र तक जारी रखने का भी विकल्प है. NPS के तहत रिटायरमेंट के बाद या मैच्योरिटी के वक्त या 60 वर्ष की उम्र पर पहुंचने पर, कर्मचारी को कुल फंड के मिनिमम 40 प्रतिशत से एन्युइटी प्लान लेना होता है, जो रेगुलर इनकम का जरिया बनता है. एन्युइटी इनकम ही पेंशन कहलाती है. 60 प्रतिशत फंड एकमुश्त निकाला जा सकता है.
मिनिमम व मैक्सिमम इन्वेस्टमेंट
NPS में ऐसे सभी सरकारी कर्मचारी जिन्होंने 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सर्विस जॉइन की है, उन्हें बेसिक सैलरी+DA का 10 प्रतिशत योगदान देना होता है. राज्य कर्मचारियों के मामले में इतना ही योगदान राज्य सरकार करती है, हालांकि केन्द्रीय कर्मचारियों के मामले में केन्द्र सरकार का योगदान 14 प्रतिशत है. कॉरपोरेट सेक्टर में कर्मचारी की ओर से NPS में योगदान 50,000 रुपये है, एंप्लॉयर की ओर से कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ D का 10 प्रतिशत योगदान किया जाता है. टीयर 2 खाते यानी वालंटरी NPS खाते में कर्मचारी की ओर से योगदान सालाना आय के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. Tier I NPS खाते में हर वित्त वर्ष मिनिमम 1000 रुपये का योगदान करना जरूरी है. Tier-II खाते के लिए कोई मिनिमम योगदान अनिवार्य नहीं है.
किन चीजों में लगाए जाते हैं NPS के पैसे
निवेशक का NPS में लगाया जाने वाला पैसा कहां इन्वेस्ट किया जाए, इसका चुनाव निवेशक खुद कर सकता है. साथ ही यह भी कि किस निवेश विकल्प या एसेट क्लास में कितना हिस्सा लगाया जाएगा. एनपीएस में जमा किए जाने वाले पैसे के लिए 4 तरह के एसेट क्लास रहते हैं- इक्विटी व संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स, कॉरपोरेट डेट व संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी बॉन्ड व संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स और CMBS, MBS, REITS, AIFs, Invlts जैसे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स. एनपीएस में निवेश करने वाले को सबसे पहले पेंशन फंड मैनेजर (PFM) का चुनाव करना होता है और उसके बाद निवेश विकल्पों का.
NPS के तहत PFM इस तरह हैं-
1. बिरला सनलाइफ पेंशन मैनेजमेंट लिमिटेड
2. HDFC पेंशन मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
3. ICICI प्रूडेंशियल पेंशन फंड्स मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
4. कोटक महिन्द्रा पेंशन फंड लिमिटेड
5. LIC पेंशन फंड लिमिटेड
6. रिलायंस कैपिटल पेंशन फंड लिमिटेड
7. SBI पेंशन फंड्स प्राइवेट लिमिटेड
8. UTI रिटायरमेंट सॉल्युशंस लिमिटेड
अक्टूबर 2022 में आए नए नियमों के तहत एनपीएस के तहत निवेशक, इक्विटी एसेट में 51 वर्ष की उम्र के बाद भी कुल जमा का 75 प्रतिशत तक अलोकेट कर सकते हैं. पहले यह सीमा उम्र के आधार पर घटती जाती थी. इसके अलावा अब टीयर-2 अकाउंट वाले इक्विटी में, अपने यानी सब्सक्राइबर के योगदान का 100% तक एलोकेट कर सकते हैं.
प्राइवेट सेक्टर में टीयर-1 सब्सक्राइबर्स और सभी टीयर-2 सब्सक्राइबर्स, किस एसेट क्लास में कितना पैसा अलोकेट कर सकते हैं, उसकी डिटेल इस तरह है...
टैक्स बेनिफिट
पुरानी परंपरागत आयकर व्यवस्था के तहत NPS में जमा पर टैक्स डिडक्शन लिया जा सकता है, जिसकी लिमिट 1.5 लाख रुपये सालाना तक है. NPS पर सेक्शन 80CCD1 के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन के अलावा 50000 रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन सेक्शन 80CCD(1B) के तहत भी मिलता है. मैच्योरिटी अमाउंट में से जो 60 प्रतिशत तक एकमुश्त मिलता है, वह टैक्स फ्री है लेकिन मंथली एन्युइटी इनकम टैक्सबेल है.
यह योजना, एक्युमुलेशन के दौरान और साथ ही मैच्योरिटी के समय विभिन्न आयकर लाभ प्रदान करती है. एक्युमुलेशन फेज के दौरान, एक व्यक्ति एनपीएस के माध्यम से 9.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकता है. इन डिडक्शंस का दावा आयकर कानूनों के तहत निर्दिष्ट 3 अलग-अलग सेक्शंस के माध्यम से किया जाता है. ये सेक्शंस हैं-
1. सेक्शन 80CCD (1) (सेक्शन 80C के ओवरऑल अंब्रैला के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन)
2. सेक्शन 80CCD (1b) (50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन)
3. सेक्शन 80CCD (2) (NPS खाते में नियोक्ता का योगदान)
1 अप्रैल 2020 से प्रभावी नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी कर्मचारी, अपने NPS खाते में एंप्लॉयर की ओर से किए जाने वाले योगदान पर Section 80CCD(2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है.
कहां खोल सकते हैं खाता
NPS अकाउंट के मामले में अगर आप सैलरी के हिस्से के तौर पर निवेश कर रहे हैं तो खाता एंप्लॉयर के माध्यम से खुलेगा. वहीं वॉलंटरी यानी टीयर 2 अकाउंट बैंकों, ब्रोकरेज हाउसेज व अन्य वित्तीय संस्थानों में खुल जाता है.