जानिए शेयर गिरवी रखने के मायने, जिसकी वजह से गिरे SBI के शेयर, अडानी से जुड़ा है मामला
गौतम अडानी ने हाल ही में अपनी कुछ कंपनियों के अतिरिक्त शेयर SBI के पास गिरवी रखे हैं. इस खबर से भारतीय स्टेट बैंक के शेयर गिर गए. लोगों को लग रहा है अडानी ने और लोन ले लिया. आइए समझते हैं इसके मायने.
गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों में पिछले कई हफ्तों से गिरावट का दौर जारी है. इस हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भी अडानी के सभी शेयर गिरे. इसी बीच एक खबर आई कि गौतम अडानी ने कुछ कंपनियों के अतिरिक्त शेयर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास गिरवी (Share Pledging) रखे हैं. इस खबर का सीधा असर भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों (SBI Share Fall) पर देखने को मिला. कंपनी का शेयर हफ्ते के पहले ही कारोबारी दिन गिर गया. अब एसबीआई कैप ट्रस्टी ने इस पर सफाई दी है और बताया है कि अतिरिक्त शेयर गिरवी क्यों रखे गए हैं और इसके क्या मायने हैं.
पहले जानिए क्या है मामला
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भी अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों ने भारतीय स्टेट बैंक के पास अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे हैं. इसका पता चला है एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग से. ये कंपनियां हैं अडानी पोर्ट्स, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी ग्रीन एनर्जी. इन्होंने एसबीआई की एक यूनिट एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी के पास अपने कुछ शेयर गिरवी रख दिए हैं. बताया जा रहा है कि इसके तहत अडानी पोर्ट्स के करीब 75 लाख शेयर गिरवी रखे गए हैं. अब एसबीआई कैप के पास कंपनी के करीब 1 फीसदी शेयर गिरवी हो गए हैं. इसके अलवा कंपनी के पास अडानी ग्रीन एनर्जी के 1.06 फीसदी शेयर और अडानी ट्रांसमिशन के 0.55 फीसदी शेयर गिरवी हैं.
एसबीआई के शेयर क्यों गिरे?
सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में करीब 2.8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. मंगलवार को भी भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है. ऐसा लग रहा है कि एसबीआई के पास अडानी की कंपनियों के अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे जाने की खबर ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है. यही वजह है कि एसबीआई कैप ट्रस्टी ने कहा है कि यह शेयर लोन लेने के लिए नहीं, बल्कि टॉप-अप के तौर पर गिरवी रखे गए हैं. इसके जरिए कंपनी ने सिक्योरिटी कवरेज को मेंटेन किया है.
शेयर गिरवी रखने के बदले कुछ नहीं मिला
यह शेयर अतिरिक्त कोलेट्रल सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी रखे गए हैं, इनके बदले अडानी ग्रुप को कुछ नहीं मिला है. बता दें कि एसबीआई ने अडानी ग्रुप को ऑस्ट्रेलिया की कार्मीकेल कोल माइनिंग प्रोजेक्ट के लिए करीब 30 करोड़ डॉलर का लोन दिया था. बीच-बीच में उस लोन की समीक्षा होती है और अगर कोलेट्रल सिक्योरिटी कम लगती है तो अडानी ग्रुप अतिरिक्त शेयर गिरवी रखकर उसे पूरा करता है.
जानिए क्या होता है शेयर गिरवी रखना
शेयर गिरवी रखना कोई नई बात नहीं है, बल्कि अक्सर ही तमाम कंपनियां शेयर गिरवी रखती हैं. इसके तहत प्रमोटर अपने हिस्से के कुछ शेयर गिरवी रखते हैं और उसके बदले बैंक से लोन लेते हैं. यहां शेयर को सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी रखा जाता है, जिसके तहत अगर बैंक को लगता है कि कंपनी अपनी लोन नहीं चुका पाएगी तो बैंक उसके शेयरों को बेच कर रिकवरी कर सकता है. इस तरीके से गौतम अडानी ने भी बैंकों से काफी लोन लिया हुआ है.
शेयर गिरवी रखने में एक बात जो समझने की है वह ये है कि बैंक की तरफ से कंपनी के लोन की समय-समय पर समीक्षा की जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शेयर की वैल्यू किसी जमीन या प्रॉपर्टी या सोने जैसी नहीं होती, वह एक झटके में तेजी से गिर सकता है. ऐसे में अगर समीक्षा के दौरान लगता है कि कंपनी के शेयर की वैल्यू लोन की तुलना में कम हो रही है तो कंपनी को और शेयर गिरवी रखने को कहा जाता है, ताकि मार्जिन मेंटेन किया जा सके. इसी वजह से गौतम अडानी ने भी एसबीआई के पास अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे हैं.
शेयर गिरवी रखकर मिलता है कितना लोन?
किसी भी कंपनी की तरफ से उसके शेयर गिरवी रखने को बदले उसे कितने रुपये का लोन मिलेगा, यह इस बात कर निर्भर करेगा बैंक की नजर में कंपनी के शेयर की क्या वैल्यू है. अमूमन किसी भी शेयर की वैल्यू के करीब आधी कीमत के बराबर ही लोन मिलता है. यह वैल्यू अलग-अलग बैंकों के लिए अलग-अलग हो सकती है.
मान लीजिए कि कोई 1000 रुपये का है, तो बैंक उस पर 500 रुपये से ज्यादा लोन नहीं देंगे. यहां जो 500 रुपये बचते हैं, उसे हेयरकट कहा जाता है. यही मार्जिन होता है, जिसके जरिए बैंक अपने लोन को सुरक्षित करते हैं. अब मान लीजिए कि कंपनी का शेयर गिरने लगे और उसकी वैल्यू 800 या 700 रुपये हो जाती है, तो कंपनी को अपने लोन का 500 रुपये का मार्जिन मेंटेन करने के लिए एक और शेयर अतिरिक्त गिरवी रखना होगा.
शेयर गिरवी रखना अच्छी बात नहीं!
शेयर बाजार में तेजी से बदलते ट्रेंड में अब तो लोग शेयर गिरवी रखने को बहुत ही आम बात समझने लगे हैं, लेकिन इसे अच्छा नहीं माना जाता है. अगर किसी कंपनी के प्रमोटर्स को अपना शेयर गिरवी रखना पड़ रहा है, इसका मतलब है कि या तो उसके पास और कोई असेट या प्रॉपर्टी गिरवी रखने के लिए नहीं है या फिर कंपनी पहले ही वह सब गिरवी रख चुकी है. ऐसे में शेयर गिरवी रखना किसी भी कंपनी के लिए एक निगेटिव बात मानी जाती है. हालांकि, अगर शेयर बाजार बुलिश हो यानी तेजी से चढ़ रहा हो तो उस सूरत में अब इसे अच्छा भी समझा जाने लगा है.