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क्या होता है ‘सम एश्योर्ड’ और ‘सम इंश्योर्ड’ का अंतर, इंश्योरेंस खरीदने से पहले जान लेना है फायदेमंद

इंश्योरेंस लेने वाले हर व्यक्ति को इन टर्म्स के अर्थ की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए ताकि आगे चलकर कोई कन्फ्यूजन न रहे.

क्या होता है ‘सम एश्योर्ड’ और ‘सम इंश्योर्ड’ का अंतर, इंश्योरेंस खरीदने से पहले जान लेना है फायदेमंद

Thursday November 24, 2022 , 3 min Read

जब भी इंश्योरेंस (Insurance) की बात चलती है तो दो टर्म जरूर सुनने को मिलते हैं- ‘सम एश्योर्ड’ (Sum Assured) और ‘सम इंश्योर्ड’ (Sum Insured). दोनों टर्म सुनने में भले ही एक जैसे लगें लेकिन सैद्धांतिक रूप से दोनों के मतलब में काफी अंतर है. सम एश्योर्ड यानी बीमित राशि...यह आपको होने वाले लाभ के बारे में बताता है. वहीं सम इंश्योर्ड यानी बीमाकृत राशि...यह बीमाकृत नुकसान की क्षतिपूर्ति से जुड़ा है. इंश्योरेंस लेने वाले हर व्यक्ति को इन टर्म्स के अर्थ की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए ताकि आगे चलकर कोई कन्फ्यूजन न रहे.

सम इंश्योर्ड

सम इंश्योर्ड क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर आधारित है. क्षतिपूर्ति या हर्जाने से अर्थ है- इंश्योरेंस लेने वाले के चोटिल/बीमार हो जाने या उसकी किसी संपत्ति जैसे व्हीकल, प्रॉपर्टी, महंगे सामान आदि को नुकसान होने/चोरी की स्थिति में उस राशि की पूर्ति करना. गैर-जीवन बीमा पॉलिसी जैसे हेल्थ, मोटर आदि बीमा पॉलिसी क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर काम करती हैं. इस तरह की पॉलिसीज में इंश्योरेंस लेने वाले को हुए नुकसान को कवर किया जाता है. इसे ही सम इंश्योर्ड कहते हैं.

इसे एक उदाहरण से समझें. एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में किसी को 1 लाख रुपये का सम इंश्योर्ड किया गया है. यानी अगर बीमा पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति बीमार होकर अस्पताल में एडमिट होता है तो उसका 1 लाख रुपये तक का खर्च बीमा कंपनी उठाएगी. ध्यान रहे कि सम इंश्योर्ड, मॉनेटरी बेनिफिट नहीं है. यह बीमा लेने वाले को उसके खर्च का मुआवजा है. अगर खर्च, सम इंश्योर्ड से अधिक रहता है तो बाकी का खर्च इंश्योरेंस लेने वाले को वहन करना होता है.

सम एश्योर्ड

अब आते हैं सम एश्योर्ड पर. यह बीमा लेने वाले और देने वाले के बीच पहले से तय लाभ है. सम एश्योर्ड, आमतौर पर लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा से जुड़ा होता है. सम एश्योर्ड की राशि, पॉलिसी लेते समय ही तय हो जाती है. इसलिए सम एश्योर्ड के पॉलिसी लेने से पहले तय किए गए अमाउंट में ही ​मिलने की पूरी गारंटी होती है. दरअसल जीवन बीमा पॉलिसी में बीमाकर्ता, पॉलिसी टर्म के दौरान बीमा लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति में नॉमिनी को पूर्व निर्धारित राशि भुगतान करने का वादा करता है. इसे ही सम एश्योर्ड कहा जाता है. मैच्योरिटी बेनिफिट वाली जीवन बीमा पॉलिसी में पॉलिसी की अवधि के खत्म होने पर बोनस के साथ सम एश्योर्ड को पॉलिसीधारक को वापस कर दिया जाता है.

कुछ पॉलिसी में रहते हैं दोनों फायदे

सम इंश्योर्ड और सम एश्योर्ड दोनों के मामले में एक बात समान है और वह यह कि सम एश्योर्ड और सम इंश्योर्ड जितना ज्यादा होगा, बीमा का प्रीमियम उतना ही अधिक होगा. कई ऐसी बीमा पॉलिसी भी हैं, जो सम एश्योर्ड और सम इंश्योर्ड दोनों तरह के फायदे देती हैं. उदाहरण के लिए कुछ बीमा कंपनियों की ऐसी पॉलिसी भी मौजूद हैं जो मेडिकल ​खर्च तो कवर करती ही हैं, साथ ही प्रीडिफाइंड बेनिफिट भी देती हैं. यह बेनिफिट, पॉलिसी में पहले से उल्लिखित मेडिकल ईवेंट घटित होने पर मिलता है. इस तरह के ड्युअल बेनिफिट प्लान की पेशकश लाइफ इंश्योरेंस और नॉन लाइफ इंश्योरेंस दोनों तरह की कंपनियां करती हैं.