क्या है यंग इंडियन-नेशनल हेराल्ड केस? किसलिए राहुल गांधी की ED के समक्ष पेशी
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL को बनाया. लेकिन AJL पर कभी नेहरू का मालिकाना हक नहीं रहा.
नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष दिल्ली में पेशी है. इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी को ED ने समन जारी किया था. सोनिया गांधी को 8 जून को और राहुल गांधी को 2 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. लेकिन राहुल गांधी उन दिनों देश में नहीं थे, इसलिए उन्होंने ईडी से समय बढ़ाने की मांग की थी. इस मांग को स्वीकार करते हुए ईडी ने उन्हें 13 जून को बुलाया. वहीं सोनिया गांधी कोविड पॉजिटिव होने के चलते अस्पताल में भर्ती हैं. लिहाजा वह ईडी के समक्ष पेश नहीं हो सकीं.
ईडी, ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald) मामले में मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) संबंधी जांच कर रहा है. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) की शिकायत पर नेशनल हेराल्ड केस की जांच शुरू की गई थी. साल 2012 से यह मामला चल रहा है. आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी (Young Indian Limited Company) के माध्यम से नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स (AJL) का अधिग्रहण, घालमेल के साथ पूरा किया और करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति अपनी बना ली. आइए जानते हैं क्या है यह पूरा मामला..
एसोसिएटेड जर्नल्स से हुई शुरुआत
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL को बनाया. लेकिन AJL पर कभी नेहरू का मालिकाना हक नहीं रहा. इसे 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे. इनमें से कई बड़े नेता भी थे. AJL का गठन एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में भारतीय कंपनी अधिनियम 1913, के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्रों के प्रकाशन के लिए किया गया था. AJL ने अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित करने शुरू किए. इनमें से नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 1938 में शुरू हुआ. 1962-63 में 0.3365 एकड़ जमीन दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर AJL को आवंटित की गई. 10 जनवरी 1967 को प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण के लिए भूमि और विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) द्वारा AJL के पक्ष में स्थायी लीज डीड बनाई गई. इसमें कहा गया कि बिल्डिंग का और कोई इस्तेमाल नहीं होगा.
2008 में 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज
साल 2008 आते-आते AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया. इसके बाद AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं होगा. अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL ने प्रॉपर्टी बिजनेस में एंट्री की. वह दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में बिजनेस कर रही थी. 22 मार्च 2022 से मोतीलाल वोरा इसके चेयरमैन व एमडी हैं. इसके बाद साल 2010 में यंग इंडियन नामक कंपनी का गठन हुआ और 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को यंग इंडियन का डायरेक्टर बनाया गया. 22 जनवरी 2011 को इसके बोर्ड में सोनिया गांधी शामिल हुईं.
यंग इंडियन में सोनिया और राहुल की कितनी हिस्सेदारी
दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि पहले कांग्रेस ने AJL को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज फ्री लोन दिया. इस लोन को चुकाया नहीं गया. उसके बाद नवंबर 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड नाम की एक कंपनी शुरू की गई. 50 लाख रुपये की पूंजी के साथ शुरू की गई इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी है. कंपनी को खड़ा करने का मकसद AJL पर मौजूद 90.25 करोड़ रुपये की देनदारियां उतारना था. यंग इंडियन ने साल 2011 में एजेएल के लगभग सभी शेयर और प्रॉपर्टी खरीद लिए और इस तरह 5000 करोड़ रुपये के एसेट कांग्रेस के हो गए. AJL के कमर्शियल एसेट्स का अधिग्रहण यंग इंडियन का गठन होने के तीन माह के भीतर कोई टैक्स और स्टैंप ड्यूटी चुकाए बिना ही पूरा कर लिया गया था.
सुब्रमण्यम स्वामी ने क्या लगाए हैं आरोप
साल 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की. नवंबर 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने जो आरोप लगाए, उनमें एक आरोप यह भी था कि सोनिया और राहुल गांधी ने जालसाीजी करके AJL को अपना बना लिया. साथ ही नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज के पब्लिकेशन राइट्स भी हासिल कर लिए. इसके लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी भी पा लीं, जबकि ये प्रॉपर्टी सरकार द्वारा केवल अखबारों की पब्लिशिंग के मकसद से दी गई थीं. लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इनका इस्तेमाल लाखों रुपयों की किराया आय के साथ पासपोर्ट कार्यालय चलाने के लिए किया.
स्वामी की शिकायत में यह भी का गया है कि 26 जनवरी 2011 को AJL ने 90 करोड़ रुपये के अनसिक्योर्ड लोन को जीरो ब्याज पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से यंग इंडियन को ट्रान्सफर करने को मंजूरी दी. साथ में 10 रुपये प्रति शेयर की कीमत वाले कंपनी के सभी 9 करोड़ शेयर भी यंग इंडियन को ट्रान्सफर कर दिए गए. स्वामी का कहना है कि किसी राजनीतिक पार्टी के लिए किसी कमर्शियल उद्देश्य को लेकर उधार देना, आयकर कानून के नियमों के तहत गैरकानूनी है. लिहाजा स्वामी ने सीबआई से मामले की जांच की अपील की.
कांग्रेस की सफाई और ED की जांच
2 नवंबर 2012 को कांग्रेस की ओर से कहा कि दिया गया लोन, केवल नेशनल हेराल्ड न्यूजपेपर के रिवाइवल के लिए था. इस चीज में कोई वाणिज्यिक हित नहीं था. 2014 में ED ने इस केस की जांच शुरू की. ED यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. ED की जांच चलती रही. 26 जून 2014 को अदालत ने सोनिया और राहुल को आरोपी के रूप में अदालत में समन किया. इसके बाद सितंबर 2015 में ED ने फिर से इस मामले की जांच शुरू की. 19 दिसंबर 2015 को सोनिया और राहुल गांधी इस मामले में पटियाला कोर्ट में पेश हुए और उन्हें जमानत मिल गई. मामले की सुनवाई चलती रही. अक्टूबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया, यह कहते हुए कि इस बिल्डिंग का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए हो रहा है. इसमें न तो कोई प्रिटिंग हो रही है और न ही पब्लिशिंग, जबकि 1962 में यह जमीन इसी मकसद से आवंटित की गई थी.
5 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी. साल 2019 में ही कोर्ट ने फैसला दिया कि यंग इंडियन मामले में 100 करोड़ रुपये टैक्स का मामला फिर खुलेगा. यंग इंडियन को नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी बताया गया था और इस पर इनकम टैक्स छूट रजिस्ट्रेशन लिया गया था. लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि जिस चैरिटेबल मकसद से कंपनी को टैक्स में छूट मिल रही है वह मकसद पूरा नहीं हो रहा। एजेएल की गतिविधियां चैरिटेबल ट्रस्ट की श्रेणी में नहीं आती हैं. 1 जून 2022 को ED ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी को हाजिर होने का नोटिस भेजा. ईडी ने कुछ समय पहले ही इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी.