चुनाव प्रचार सामग्री से होने वाली गंदगी का क्या होगा? केरल के लोग बता रहे उपाय
देश में आम चुनाव हो रहे हैं और इसलिए सभी राजनीतिक दल जोर शोर से अपने प्रचार में जुटे हुए हैं। शहरों से लेकर कस्बों और गांव तक चुनाव का असर देखा जा सकता है। कहीं सड़कों को जामकर सभाएं की जा रही हैं तो कहीं पोस्टर और बैनर से दीवारों को पाट दिया गया है। चुनाव में किसी को फिक्र नहीं है कि प्रचार सामग्री से पर्यावरण को कितना नुकसान हो रहा है। किसी भी जनसभा के बाद वहां पर बिखरे पड़े प्लास्टिक के पोस्टर और बैनर इस बात की तस्दीक करते हैं।
हालांकि केरल की कुछ पार्टियां इस पर भी ध्यान दे रही हैं। केरल में पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने राज्य में चुनाव संपन्न होने के बाद इस प्रचार सामग्री का सही निपटान करने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। केरल के एर्णाकुलम से लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के उम्मीदवार पी राजीव ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि मतदान संपन्न होने के दो दिन के भीतर सभी पोस्टरों को नीचे उतारें।
राजीव ने सभी मतदाताओं को भी ऐसा करने का आग्रह किया है। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया पर #LetsCleanErnote नाम से एक अभियान शुरू किया है। इसके बाद लोगों ने दीवारों पर लगे राजनीतिक दलों के पोस्टर और बैनर हटाने शशुरू किये। लोगों ने पोस्टर और बैनर उतारते हुए अपनी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।
राजीव के साथ ही तिरुवनंतपुरम से एनडीए के उम्मीदवार और मिजोरम के पूर्व गवर्नर कुम्मनम राजशेखरन ने भी इस अभियान को आगे बढ़ाया है। उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान प्रयोग हुई प्रचार सामग्री को पुन: उपयोग करने की पहल की है। कुम्मनम को उपहारस्वरूप एक लाख से भी अधिक कपड़े मिले हैं। वे इन्हें बैग, थैले और तकिया कवर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कपड़े को रिसाइकिल करने का काम शुरू हो चुका है।
कुम्मनम कहते हैं, 'हमारा उद्देश्य प्लास्टिक बैग के उपयोग को कम करना है और लोगों को पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।' इस अनूठी पहल को करने के लिए कुम्मनम को काफी सराहना मिली। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 'ग्रो बैग' बनाने की भी योजना बनाई है, जिसका इस्तेमाल पौधों को उगाने के लिए किया जाएगा। यह भी दिलचस्प है कि केरल में कई उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार के लिए ऐसा रास्ता अपनाया जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो। इसके लिए प्लास्टिक की जगह कपड़े के बैनर इस्तेमाल में लाए गए थे।
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