चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आखिर हैं कौन? क्यों चर्चा में है उनका तीसरी बार राष्ट्रपति बनना?
शी जिनपिंग चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद पांच साल के तीसरे कार्यकाल के लिए पार्टी प्रमुख चुने वाले पहले चीनी नेता बन गए हैं.
चीन की संसद ने शुक्रवार को अभूतपूर्व रूप से राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पांच साल का तीसरा कार्यकाल देने का सर्वसम्मति से समर्थन किया, जिससे उनके ताउम्र सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो गया है. पिछले साल अक्टूबर में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की कांग्रेस की बैठक में 69 वर्षीय जिनपिंग को फिर से सीसीपी का नेता चुना गया था. सीसीपी की कांग्रेस हर पांच साल में एक बार होती है.
इसी के साथ, शी जिनपिंग सीसीपी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद पांच साल के तीसरे कार्यकाल के लिए पार्टी प्रमुख चुने वाले पहले चीनी नेता बन गए हैं.
जिनपिंग से पहले माओ ही ऐसे नेता रहे जिन्होंने 1949 से लेकर 1976 तक देश की सत्ता संभाली थी. वह एक राजनीतिक विचारक थे और उन्होंने ही चीन की एकमात्र ताकतवर राजनीतिक पार्टी सीसीपी की स्थापना की थी. आज चीन की सत्ता सीसीपी के ही हाथ में है.
इसके साथ ही, जिनपिंग के ताउम्र चीन पर हुकूमत करने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, शी का तीसरा कार्यकाल 2018 में ही तब सुनिश्चित हो गया था, जब एनसीपी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल की सीमा को हटा दिया गया था. इसका मतलब था कि शी आजीवन पार्टी के सर्वोच्च पद पर रह सकते हैं.
शी जिनपिंग कौन हैं?
शी जिनपिंग के पिता, शी झोंगक्सुन 1954-1965 तक स्टेट काउंसिल के सेक्रेटरी जनरल थे. वह आधुनिक चीन या पीपुल रिपब्लिक ऑफ चीन (PRC) के फाउंडर माओत्से तुंग के कॉमरेड थे. एक समय में वह चीन के दूसरे सर्वोच्च नेता, वाइस प्रीमियर भी थे.
हालांकि, 1966 की सांस्कृतिक क्रांति में उनके पिता को संगठन से निकाल दिया गया था और इसके साथ ही सिर्फ 15 साल की उम्र में, शी जिनपिंग को मध्य चीन के ग्रामीण इलाकों में जाने का आदेश दिया गया, जहां उन्होंने कई साल अनाज ढोने और गुफा वाले घरों में सोने में बिताए.
1976 में माओ की मौत और सांस्कृति क्रांति के खात्मे के बाद शी के पिता का पुनर्वास किया गया और जिनपिंग को नई जिंदगी मिली. हालांकि, परिवार पर लगे कलंक के कारण जिनपिंग की सीसीपी सदस्यता को कई बार खारिज कर दिया गया था.
सीपीसी की सदस्या मिलने के बाद, जिनपिंग पहली बार 1974 में गांव की एक पार्टी के लीडर बने और इसके बाद 1999 में तटीय फुजियान प्रांत के गवर्नर बन गए. साल 2002 में वह झेजियांग प्रांत में पार्टी प्रमुख बने और आखिरकार 2007 में वह शंघाई पहुंचे. 2007 में, उन्हें पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो स्थायी समिति में नियुक्त किया गया था.
साल 2012 में शी जिनपिंग ने चीनी राष्ट्रपति के रूप में हु जिंताओ की जगह ली. हु जिंताओ 2002 से लेकर 2012 तक चीन के राष्ट्रपति रहे थे.
जिनपिंग के कार्यकाल संभालते ही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने उनके बारे में उपलब्ध जानकारियों और परिवार के इतिहास को देखते हुए भविष्यवाणी की थी कि वह चीन के इतिहास में कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे उदारवादी नेता होंगे.
हालांकि, सत्ता में आते ही उन्होंने नागरिक समाज के आंदोलनों, स्वतंत्र मीडिया और अकादमिक स्वतंत्रता पर नकेल कस दी. उन्होंने उत्तर पश्चिमी झिंजियांग क्षेत्र में कथित मानवाधिकारों के हनन की निगरानी की, और अपने पूर्ववर्ती की तुलना में कहीं अधिक आक्रामक विदेश नीति को बढ़ावा दिया है.
जिनपिंग का लक्ष्य क्या है?
शी ने अपना शासनकाल कम्युनिज्म (साम्यवाद) के सिद्धांतों और विचारधारा को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित किया है. एक बार उन्होंने कहा था, "सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ? ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके सिद्धांत और विश्वास डगमगा गए थे.” उन्होंने प्रण लिया है कि चीन में ऐसा नहीं होगा.
जिनपिंग खुद को ऐसे आदमी के रूप में देखते हैं, जिसे अपने कम्युनिस्ट पूर्वजों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भेजा गया है. इनमें मामूली रूप से समृद्ध समाज (जियाओकांग शेहुई) और सबसे ऊपर ताइवान, अरुणाचल प्रदेश (दक्षिणी तिब्बत के हिस्से) और दक्षिण सागर द्वीपों सहित चीन के सभी दावा किए गए क्षेत्रों का क्षेत्रीय एकीकरण शामिल है.