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भारत के न्यू एनर्जी लक्ष्य के लिए क्यों जरूरी है लिथियम की खोज?

देश में पहली बार बेशकीमती लिथियम के भंडार का पता चला है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर पैनल बनाने में अहम धातु लिथियम के 59 लाख टन भंडार का पता जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में लगाया है.

भारत के न्यू एनर्जी लक्ष्य के लिए क्यों जरूरी है लिथियम की खोज?

Monday February 13, 2023 , 4 min Read

देश में पहली बार बेशकीमती लिथियम के भंडार का पता चला है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर पैनल बनाने में अहम धातु लिथियम के 59 लाख टन भंडार का पता जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में लगाया है.

सामान्य श्रेणी में लिथियम का ‘ग्रेड’ 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) का होता है, जबकि जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार का लिथियम 550 पीपीएम से अधिक ग्रेड का है और यह भंडार करीब 59 लाख टन है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस खोज के बाद भारत लिथियम की उपलब्धता के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा.

हमें लिथियम की जरूरत क्यों है?

इलेक्ट्रिक व्हिकल्स बनाने के लिए लिथियम-ऑयन बैटरियों की आवश्यकता होती है, और उसे बनाने के लिए लिथियम सबसे महत्वपूर्ण तत्व है. फिलहाल, देश में लिथियम-ऑयन बैटरियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर होना पड़ता है.

साल 2020-21 में भारत ने 8881 करोड़ रुपये की लिथियम-ऑयन बैटरियां आयात की थीं. इसमें से 95 फीसदी माल हांगकांग और चीन से आयात होता है.

भारत लिथियम की जरूरत को कैसे पूरा करता है?

भारत ने साल 2030 के लिए ईवी विजन तय किया है कि और इसके तहत साल 2030 तक 30 फीसदी इलेक्ट्रिक व्हिकल का लक्ष्य तय किया गया है. सिंगल इलेक्ट्रिक कार वाली लिथियम-ऑयन बैटरी के लिए अनुमानित तौर पर 8 किलो लिथियम की आवश्यकता होती है.

इस साल के आर्थिक सर्वे में स्ट्रैटेजिक मिनरल रिजर्व की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. इसलिए न्यू एनर्जी सिक्योरिटी के नजरिए लिथियम बहुत ही महत्वपूर्ण है.

लिथियम की कमी को पूरी करने के लिए भारत ने दोहरा रवैया अपनाया हुआ है. पहला तो भारत इसे घरेलू तौर पर खोजने करने की कोशिश कर रहा है और दूसरा अंतरराष्ट्रीय मार्केट से आयात कर रहा है.

घरेलू मोर्चे पर, जीएसआई ने अपने फील्ड सीजन प्रोग्राम 2022-23 के दौरान अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मेघालय, नागालैंड और राजस्थान में लिथियम और संबंधित तत्वों पर 18 परियोजनाएं शुरू की हैं. लिथियम खोज इसकी पहली सफलता है.

सरकार ने आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण और रणनीतिक प्रकार की विदेशी खनिज संपत्तियों की पहचान करने और अधिग्रहण करने के लिए खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी भी स्थापित की है. KABIL ने लिथियम सहित विदेशों में खनिज संपत्ति हासिल करने के लिए अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कई सरकारी स्वामित्व वाले संगठनों के साथ जुड़ाव शुरू किया है.

कौन से देश सबसे अधिक लिथियम का उत्पादन करते हैं?

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे (USGS) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 तक दुनिया में मौजूद कुल लिथियम का 90 फीसदी उत्पादन ऑस्ट्रेलिया, चिली और चीन करते हैं. लिथियम रिजर्व के मामले में चिली, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेटीना शीर्ष पर हैं जिनके पास क्रमश: 9.3 मीट्रिक टन, 6.2 मीट्रिक टन और 2.7 मीट्रिक टन रिजर्व है. हाल में मिला 5.9 मीट्रिक टन लिथियम रिसोर्स भारत को टॉप-3 रिजर्व वाले देशों में खड़ा करता है.

डिमांड-सप्लाई का अंतर कितना है?

एक ऐसे समय में जब दुनिया नेट-जीरो टारगेट्स और उत्सर्जन के टारगेट को हासिल करने की ओर बढ़ रही है, तब ऐसे समय में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और लिथियम-ऑयन बैटरियों की मांग तेजी से बढ़ रही है.

विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार, साल 2021 में वैश्विक तौर पर लिथियम उत्पादन एक लाख टन के मार्क को पार कर गया.

अंतरराष्ट्रीय निकाय को उम्मीद है कि लिथियम की डिमांड 2025 तक 1.5 मीट्रिक टन लिथियम कार्बोनेट समतुल्य (LCE) और 2030 तक 3 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगी.

उपरोक्त डिमांड अनुमानों के आधार पर, उत्पादन को 2025 तक तीन गुना और 2030 तक लगभग छह गुना बढ़ाने की जरूरत है. डिमांड-सप्लाई अनुमानों से पता चलता है कि डिमांड में वृद्धि सप्लाई साइड पर जबरदस्त दबाव बनाएगी.


Edited by Vishal Jaiswal