काज़ीरंगा नेशनल पार्क में रात्रि प्रवेश के मामले में चल रहे विवाद पर क्या कहते हैं क़ानूनी प्रावधान
क्या कहते हैं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधान?
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा (Assam chief minister Hemant Viswa), सद्गुरु जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev), राज्य के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ (Jayant Malla Barua) के काजीरंगा (Kaziranga National Park) में गैंडों को बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर के दौरान देर रात सफारी को लेकर विवाद और चर्चा के केंद्र में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 है जिसके उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
दो ऐनिमल राइट्स कार्यकर्ताओं ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर यह आरोप लगाया गया है कि शाम के बाद वाहन की हेडलाइट्स वाली जीप सफारी “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972” का उल्लंघन है और यह वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा कर सकता है.
मुख्यमंत्री बिस्वा ने एक बयान जारी करके कहा है किसी क़ानून का उल्लंघन नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो लोगों को रात में पार्क में जाने से रोकता हो. उनका कहना है कि अगर वाइल्ड लाइफ वार्डेन अनुमति देते हैं तो जाया जा सकता है.
आइए जानते हैं क्या है इस संदर्भ में “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972” (Wild Life Protection Act 1972) के प्रावधान और नेशनल पार्कों में प्रवेश का समय निर्धारित क्यूँ रखा जाता है?
क्या कहते हैं वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधान?
अधिनियम का अनुछेद 28 चीफ़ लाइफ़ वॉर्डन को विशेष अनुमति अधिकार देता है. अनुच्छेद के मुताबिक़ चीफ़ लाइफ़ वॉर्डन, आवेदन किए जाने पर, फ़ीस लेकर वन्य जीवन और उससे संबंधित अनुसंधान, फ़ोटोग्राफ़ी, वैज्ञानिक रिसर्च, पर्यटन और क़ानून सम्मत बिज़नेस के लिए विशेष अनुमति दे सकते हैं.
अधिनियम में रात्रि प्रवेश, और वाहनों के बारे में उल्लेख नहीं है.
क्यूँ बंद रखे जाते हैं नेशनल पार्क साल के कुछ महीनों में ?
काजीरंगा एक राष्ट्रीय उद्यान है जो पर्यटकों के लिए एक निर्धारित समय तक ही खुला रहता है. हर साल, खासकर मानसून के मौसम में भारत के ज्यादातर राष्ट्रीय उद्यान चार से पांच महीने के लिए बंद रखे जाते हैं जिसके कारण इलाक़े के हिसाब से अलग होते हैं. जैसे देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में सबसे ज्यादा बारिश होती है और हर साल पार्कों में पानी भर जाता है. देश के अन्य हिस्सों में भी, भले ही बाढ़ की स्थिति न हो, मानसून के मौसम में जंगलों में पानी इकट्ठा हो जाता है और किसी भी वाहन के लिए आवाजाही पर रोक लग जाती है. इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान क्यूंकि वन्य प्राणियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से चलाये जाते हैं इसलिए मनुष्यों को निर्धारित समय में आवाजाही की ही अनुमति होती है. निर्धारित समय के बाद नेशनल पार्क में सफारी टूर पर प्रतिबन्ध रखा जाता है ताकि वन्यजीव और उनके हैबिटेट को सुरक्षित रखा जा सके.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @himantabiswa twitter)