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तगड़ी गिरावट के साथ Wipro के शेयर ने छुआ 52 सप्ताह का निचला स्तर, ये हैं मुख्य कारण

तगड़ी गिरावट के साथ Wipro के शेयर ने छुआ 52 सप्ताह का निचला स्तर, ये हैं मुख्य कारण

Thursday October 13, 2022 , 3 min Read

गुरुवार सुबह सेंसेक्स खुलने के साथ ही विप्रो (Wipro) सबसे अधिक 7.03 प्रतिशत नुकसान में रहा. इसके अलावा SBI, L&T, ICICI Bank, Asian Paints, Bajaj Finance, HDFC Bank और HDFC Limited भी नुकसान में रहे. दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में HCL Tech, Sun Pharma, Doctor Reddy, Reliance Industry और Ultra Tech Cement शामिल हैं. Bombay Stock Exchange (BSE) पर सबसे ज्यादा 3.19 प्रतिशत की तेजी HCL Technology ने दर्ज की. सेंसेक्स पर लिस्टेड 30 कं​पनियों में से केवल 8 कंपनियों के ही शेयर चढ़े.

Wipro Limited का शेयर (Wipro Stock Price) सेंसेक्स पर 7.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 379.10 रुपये पर बंद हुआ है. कारोबार के दौरान कंपनी का शेयर बीएसई पर गिरकर 52 सप्ताह के निचले स्तर 378.10 रुपये पर आ गया था. लेकिन बाद में यह मामूली तौर पर संभलकर 379.10 रुपये पर बंद हुआ.

विप्रो के शेयर में गिरावट का मुख्य कारण 

विप्रो के शेयरों में आई इस बड़ी गिरावट की एक वजह कंपनी के दूसरी तिमाही ​के वित्तीय नतीजे हैं. विप्रो लिमिटेड का चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में शुद्ध लाभ 9.6 प्रतिशत घट गया. गैर-अमेरिकी बाजारों में आय घटने के चलते कंपनी के शुद्ध लाभ में कमी हुई. 

विप्रो के शेयरों में आई गिरावट की एक अन्य प्रमुख वजह (Moonlighting)  का मुद्दा भी बताया जा रहा है. दरअसल पिछले महीने ही विप्रो ने अपने यहां काम करने वाले 300 कर्मचारियों को प्रतिद्वंदी संस्थान के साथ भी काम करते हुए पाया था और उसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया. हालांकि, Tata Group की कंपनी TCS द्वारा Moonlighting को गलत बताने के बावजूद कर्मचारियों को निकालने से इनकार करने बाद Wipro Ltd ने भी अपना रुख नरम कर लिया है.

Rishad Premji मूनलाइटिंग को धोखाधड़ी मानते हैं 

'मूनलाइटिंग' (एक कंपनी के फुल टाइम कर्मचारी रहते हुए पार्ट टाइम काम करने की आजादी) को लेकर पारंपरिक टेक कंपनियों और नई कंपनियों के बीच मतभेद पैदा हो गया है. देश की दिग्गज टेक कंपनी विप्रो Wipro Ltd के चेयरमैन Rishad Premji ने मूनलाइटिंग को धोखाधड़ी करार दिया था. ऋषद प्रेमजी ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि टेक इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग को लेकर काफी चर्चा हो रही है. यह साफ तौर पर धोखाधड़ी है.

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बता दें कि, अधिकतर पारंपरिक कंपनियां कमर्शियल टर्म्स पर बाहरी काम करने की इजाजत नहीं देती हैं. एचआर प्रोफेशनल्स और लीगल एक्सपर्ट्स का मानना है कि मूनलाइटिंग करते पाए जाने पर कोर्ट्स ने कंपनियों को कर्मचारी को टर्मिनेट करने की मंजूरी दी है. फैक्टरिज एक्ट के तहत दोहरी नौकरी करने पर पाबंदी है लेकिन कई राज्यों की आईटी कंपनियों पर यह कानून लागू नहीं होता है. कई कंपनियों का मानना है कि दूसरी जॉब औऱ पार्ट टाइम जॉब में अंतर करना जरूरी होता है.