महिला उद्यमियों को बैंक आसानी से लोन नहीं देते : स्टडी
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की इस स्टडी में यह तथ्य सामने आया है कि 85 फीसदी महिला आंत्रप्रेन्योर्स को बैंकों से बिजनेस लोन लेने में अड़चनों का सामना करना पड़ता है.
महिला सशक्तिकरण के तमाम वादों और दावों के बीच एक साल पहले भारत सरकार के एक सर्वे ने भारत में महिला आंत्रप्रेन्योर्स की एक कड़वी हकीकत को सामने रख दिया था. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के छठे इकोनॉमिक सेंसस के डेटा के मुताबिक भारत में कुल आंत्रप्रेन्योर्स में महिलाओं की संख्या महज 13.76 फीसदी है. हमारे देश में 58.5 मिलियन यानि 5.85 करोड़ आंत्रप्रेन्योर्स हैं और उनमें महिला आंत्रप्रेन्योर्स सिर्फ 80.5 लाख हैं. इतना ही नहीं, नए यूनीकॉर्न बनाने के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर के सबसे बड़े देश भारत में सिर्फ 15 फीसदी यूनीकॉर्न ही ऐसे हैं, जिनकी फाउंडर महिलाएं हैं.
इन तमाम तथ्यों और आंकड़ों से जो सवाल खड़े होते हैं, उनका कुछ हद तक जवाब इस नई स्टडी में है, जो कह रही है कि भारत में महिला उद्यमियों को बिजनेस लोन लेने में पुरुष उद्यमियों के मुकाबले ज्यादा बाधाओं का सामना करना पड़ता है. भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की इस स्टडी में यह तथ्य सामने आया है कि भारत में 85 फीसदी महिला आंत्रप्रेन्योर्स को अपने बिजनेस के लिए सरकारी बैंकों से लोन लेने में अड़चनों का सामना करना पड़ा.
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन और एक सामाजिक-आर्थिक पहल है, जो युवा उद्यमियों को अपने बिजनेस आइडिया को एक सफल बिजनेस में तब्दील करने में मदद करता है. यह संगठन खासतौर पर पिछड़े तबकों और समूहों से आने वाले लोगों की मदद करता है. राहुल बजाज और केसी बिरला जैसे सफल बिजनेसमैन इस ट्रस्ट के बोर्ड मेंबर्स में से एक हैं.
भारत में महिला उद्यमियों की जमीनी हकीकत को जानने के लिए किया गया भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट का यह सर्वे तीन साल तक चला, जो उनके एक प्रोग्राम विमेन आंत्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (Women Entrepreneurship Development Programme) के तहत किया गया. इस प्रोग्राम का मकसद चेन्नई, पुणे और दिल्ली-एनसीआर में महिला आंत्रप्रेन्योर्स को प्रेरित करना और उनका एक मजबूत नेटवर्क तैयार करना था. फरवरी 2019 में शुरू हुआ यह प्रोग्राम अगस्त, 2022 तक चला.
इस प्रोग्राम के तहत औसतन 34 आयु वर्ष तक की तकरीबन 450 महिला उद्यमियों को बिजनेस की ट्रेनिंग दी गई. इस प्रोग्राम के लिए उन महिलाओं को चुना गया, जिनकी सालाना औसत हाउसहोल्ड इनकम 2 लाख रुपए से कम है. लक्ष्य ये था कि इस महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण देकर उनके जरिए तकरीबन साढ़े दस हजार रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं.
इस प्रोग्राम से जुड़ने और उसके तहत प्रशिक्षण पाने वाली महिलाओं को सरकारी बैंकों जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक आदि से बिजनेस लोन मिलने में आसानी हुई.
लेकिन इसी प्रोग्राम के तहत किए गए सर्वे में अध्यनकर्ताओं को यह बात भी समझ में आई कि स्वतंत्र रूप से बिजनेस लोन लेने की कोशिश कर रही 85 फीसदी महिलाओं पर सरकारी बैंक आसानी से भरोसा नहीं करते और उन्हें लोन लेने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. तकरीबन 60 फीसदी महिलाओं को दूसरे निजी फायनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट के इस प्रोग्राम का एक फायदा यह हुआ कि इससे जुड़ी महिलाओं के लिए अपना बिजनेस खड़ा करने और बैंकों के जरिए लोन लेने की प्रक्रिया तकरीबन 93 फीसदी तक आसान हो गई.
Edited by Manisha Pandey