iPhone बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी फ़ैक्टरी पर जबरन मज़दूरी कराने का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला -
चीन में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी एप्पल आईफोन (Apple iPhone) बनाने वाली फॉक्सकॉन (Foxconn) फैक्ट्री से जुड़ा विवाद थम नहीं रहा है.
फॉक्सकॉन कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के फैक्ट्री छोड़ने की हालात में iPhone Pro के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है. फॉक्सकॉन में चल रहे उथल-पुथल के कारण नवंबर के आखिर तक iPhone उत्पादन के कंपनी के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष iPhone Pro के प्रोडक्शन में करीब 60 लाख (6 million) यूनिट्स तक की गिरावट देखने को मिल सकती है.
बता दें कि iPhone 14 Pro और Pro Max का अधिकतर प्रोडक्शन फॉक्सकॉन के इसी प्लांट में होता है. इसके साथ ही ऐपल आईफोन की ये दोनों सीरीज इस साल की सबसे अधिक डिमांड में रहने वाली सीरीज में से एक हैं.
न्यूयॉर्क में सोमवार को ऐपल के शेयर 2.6% गिरकर 144.22 डॉलर पर आ गए, जो कि एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है. इस साल कंपनी ने 19% की गिरावट दर्ज की है.
कंपनी के सख्त रवैये से नाराज हैं कर्मचारी
पिछले कुछ हफ्तों से फॉक्सकॉन की इस फैक्ट्री के कर्मचारी कंपनी की नीतियों को लेकर गुस्से में हैं. गौरतलब है कि चीन में कोरोना प्रतिबंधों के चलते फॉक्सकॉन के प्लांट पर लगातार कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जो कि पिछले हफ्ते हिंसक भी हो गया था. इसी के बाद पिछले हफ्ते 20,000 हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने चीन के हेनान प्रांत के झेंगझोऊ (Zhengzhou) स्थित फॉक्सकॉन फैक्ट्री को छोड़ दिया था. इनमें से ज्यादातर कर्मचारी नए थे, जो फिलहाल प्रोडक्शन लाइन पर काम नहीं कर रहे थे. इसके बाद कंपनी ने इस्तीफा देने वाले वर्कर्स को 10,000 येन (लगभग 1,14,000 रुपये) देने की पेशकश की थी.
पिछले हफ्ते श्रमिकों से जुड़े विवाद की ख़बर दुनिया भर में सुर्खियों में थी. फॉक्सकॉन फैक्टरी के कर्मचारियों के प्रदर्शन के कई वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. उन वीडियो में लोग अपने-अपने सामान के साथ घर जाने के लिए बसों के लिए लंबी कतारें लगाए हुए दिख रहे थे. कर्मचारियों में सख्त कोविड प्रतिबंधों और वेतन नहीं मिलने को लेकर नाराजगी थी. इन कर्मचारियों में कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने से घबराहट भी थी. झेंगझोऊ इलाके में कोविड-19 के कई मामले सामने आने के बाद से ही सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है. फॉक्सकॉन फैक्ट्री में भी कर्मचारी इन प्रतिबंधों के बीच ही काम करने को मजबूर हैं.
वीदीयों में कई मजदूरों को पेमेंट के मुद्दों और साफ-सफाई की स्थिति के बारे में शिकायत करते हुए सुना जा सकता है. फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को अपर्याप्त कोविड सुरक्षा उपायों के बारे में शिकायत करते हुए भी सुना जा सकता है, जिसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि नए भर्ती किए गए मजदूरों को पुराने मजदूरों के साथ रहने और काम करने के लिए कहा जा रहा है जो कोविड पॉज़िटिव हैं.
मजदूरों द्वारा विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब कंपनी ने नए कामगारों के लिए वेतन की शर्तों में बदलाव किया और उनके बोनस भुगतान में देरी की. फॉक्सकॉन द्वारा बाद में एक बयान जारी किया गया जिसमें कंपनी ने दावा किया कि मजदूरों को दिया गया भत्ता ‘हमेशा कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार पूरा किया गया है’ और कर्मचारियों के साथ रहने के लिए किए जा रहे श्रमिकों के दावे जो COVID-पॉजिटिव हैं, 'बिल्कुल असत्य' हैं. फॉक्सकॉन द्वारा बाद में जारी एक बयान में, कंपनी ने दावा किया कि श्रमिकों को दिया जाने वाला भत्ता 'हमेशा कॉन्ट्रैक्ट के दायित्व के आधार पर पूरा किया गया' और कोविड पॉजिटिव कर्मचारियों के साथ रहने के लिए कहे जाने के दावे ‘पूरी तरह से झूठ’ हैं.
केवल कोविड का मामला नहीं है
हालांकि उपरोक्त बातें फॉक्सकॉन फैक्ट्री में मजदूरों के प्रदर्शन की वजह बना है, लेकिन इस फैक्ट्री में मजदूरों की समस्या कोविड को लेकर बरती जा रही लापरवाही तक सीमित नहीं है. मुख्य वजह फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों में मजदूरों के लिए काम करने की खराब स्थिति है, जिसमें उन्हें बंद-लूप फैक्ट्री सिस्टम में रहने और काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. 2010 की बात करें तो फॉक्सकॉन के 14 कर्मचारियों ने कथित तौर पर कंपनी के एक कारखाने में काम करने की परिस्थितियों को लेकर आत्महत्या कर ली थी.
चाइना लेबर वॉच ग्रुप द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार इन कंपनियों में कई श्रम कानूनों का उल्लंघन बेख़ौफ़ तरीके से किया जाता रहा है. कर्मचारियों को अपर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण मुहैया कराया जाना, कारखाने में मजदूरों को कम भुगतान किया जाना, उन्हें अक्सर बिना किसी अतिरिक्त वेतन के ओवरटाइम काम करने के लिए मजबूर किया जाना, कर्मचारियों को शर्त के मुताबिक बोनस नहीं दिया जाना फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों में माना हुआ चलन है.
गौरतलब है कि श्रम कानूनों का उल्लंघन फॉक्सकॉन फैसिलिटी या चीन में स्थित किसी एक कंपनी या इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है. वास्तव में जबरन मजदूरी की समस्या दुनिया की किसी भी फैक्ट्री में देखी या पाई जा सकती है.