विश्व रक्तदान दिवस: यूपी पुलिस के कांस्टेबल आशीष कुमार मिश्रा अपनी रक्तदान मुहिम 'पुलिस मित्र' के जरिये बचा चुके हैं 1500 से अधिक लोगों की जिंदगियां
कांस्टेबल आशीष मिश्रा कहते हैं, "मेरे द्वारा चलाई जा रही मुहिम 'पुलिस मित्र' एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ पुलिस और पब्लिक दोनों एक साथ मिलकर लोगों की जान की रक्षा करते हैं।"
यूपी पुलिस के कांस्टेबल आशीष कुमार मिश्रा द्वारा ब्लड डोनेशन के लिये चलाई जा रही मुहिम 'पुलिस मित्र' की अब देशभर में सराहना हो रही है। वे 'पुलिस मित्र' के जरिये रक्तदान से अब तक 1500 से अधिक लोगों की जिंदगियां बचाने में कामयाब रहे हैं। आशीष मिश्रा वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महानिरीक्षक कार्यालय (आईजी ऑफिस) में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
अपने द्वारा शुरू गई इस नेक पहल के बारे में बताते हुए कांस्टेबल आशीष कुमार मिश्रा ने कहा,
“मेरे द्वारा चलाई जा रही मुहिम 'पुलिस मित्र' एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ पुलिस और पब्लिक दोनों एक साथ मिलकर लोगों की जान की रक्षा कर रहे हैं।”
कांस्टेबल आशीष मिश्रा ने कहा,
“जब एक जवान पर जनता का भरोसा होता है तो यह सबसे संतोषजनक बात होती है।”
इस मुहिम की शुरूआत करने के पीछे उनका उद्देश्य है जरूरतमंदों को समय पर रक्त उपलब्ध करवाना। उनकी इस नेक पहल के साथ राज्य के पुलिस विभाग के आला अधिकारी जुड़े हुए हैं और समय-समय पर रक्तदान भी करते हैं।
कैसे हुई शुरूआत
कांस्टेबल आशीष कुमार मिश्रा ने 'पुलिस मित्र' की शुरूआत के बारे में बताते हुए कहा,
“साल 2017 में मैं एक मंदिर के दौरे पर था जहां मैंने एक बुजुर्ग महिला को देखा, जो कि मंदिर परिसर के बाहर बैठी रो रही थी। मैं उनके पास गया और उनसे पुछा कि वह क्यों रो रही है? इस पर उन्होंने बताया कि वे समय पर खून का इंतजाम नहीं कर पाईं जिससे उनके बेटे की मौत हो गई। इस बात ने मुझे झकझोर दिया।”
कांस्टेबल आशीष मिश्रा के दिल में उस बुजुर्ग महिला का दर्द घर कर गया। तब अगले ही दिन वे खुद ब्लड बैंक गए और वहां उन्होंने रक्तदान किया।
आशीष ने आगे बताया, जब वह ब्लड बैंक से बाहर निकल रहे थे, तब एक व्यक्ति उनके पास आया और आश्चर्य से पूछा कि क्या उन्होंने रक्तदान किया है? उसने आगे पूछा कि क्या वह अपने बच्चे के लिए उनका रक्त ले सकता है?
इन दो घटनाओं के बाद आशीष मिश्रा ने रक्तदान के लिये 'पुलिस मित्र' नाम से एक पहल शुरू की। हालांकि शुरू में यह जरूरतमंद लोगों के साथ संभावित रक्तदाताओं को जोड़ने के लिए एक छोटे से व्हाट्सएप ग्रुप के रूप में शुरू हुई। लेकिन, आज, पुलिस मित्र के पास यूपी के आठ क्षेत्रों में 1000 से अधिक सदस्य हैं - और समय-समय पर रक्तदान के माध्यम से 1500 से अधिक लोगों की जान बचाई है।
अगर किसी जरूरतमंद को रक्त की आवश्यकता होती है तो वे उनसे व्हाट्सएप (9415107242), फेसबुक और
ट्वीटर के जरिये संपर्क कर सकते हैं।
अधिकारियों से मिला सहयोग
कांस्टेबल आशीष कुमार मिश्रा को इस मुहिम में उनके वरिष्ठ अधिकारियों का बहुत सहयोग मिला, जिसमें पूर्व डीजीपी ओ पी सिंह का नाम भी शामिल है।
अधिकारियों से मिले सहयोग के बारे में बताते हुए आशीष ने कहा,
“आईजी प्रयागराज कवीन्द्र प्रताप सिंह, जिनके अधीनस्थ मैं सेवा कर रहा हूँ, द्वारा इस मुहिम में मुझे बहुत सहयोग मिलता है। हर 3 महीने में सर खुद रक्तदान करते है। समय-समय पर हम सभी पुलिसकर्मियों को और आमजनो का हौसला बढ़ाते हुए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते हैं।”
इनके अलावा आईजी मुरादाबाद रमित शर्मा, आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल, आईपीएस आकाश तोमर, आईपीएस अजयपाल, आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, आईपीएस विनीत जैसवाल, आईपीएस सुकीर्ति माधव, आईपीएस जुगुल किशोर तिवारी का भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने में बहुत सहयोग मिला है।
आशीष ने आगे कहा,
“इस पहल के लिये मुझे पूर्व डीजीपी ओ पी सिंह सर द्वारा सिल्वर मैडल और "पुलिस प्रशंसा चिन्ह" प्रदान किया गया। पूर्व परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह द्वारा मुझे सम्मानित किया गया।”
परिवार के सदस्यों द्वारा मिले समर्थन के बार में उन्होंने बताया कि इस मुहिम में उनकी पत्नी निधि और भाई मनीष का बहुत सहयोग मिलता है और वो भी अब उनके साथ रक्तदान करते हैं।
ब्लड डोनर्स 'महाकुंभ'
पिछले साल 2019 में उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था जो 23 से 25 नवंबर के बीच बिहार के रोहतास जिले में संपन्न हुआ। उन्होंने रक्तदाताओं के 'महाकुंभ' में उत्तर प्रदेश पुलिस का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों सहित फ्रांस, केन्या, जापान और नेपाल से आए कई रक्त दाताओं ने भाग लिया।
आशीष कहते हैं,
“मुझे सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था क्योंकि आयोजक कभी भी किसी पुलिसकर्मी के पास नहीं आए थे जो बड़े पैमाने पर रक्तदान शिविर आयोजित करने में सक्रिय थे, और साथ ही सहयोगियों को गरीब रोगियों के जीवन को बचाने के लिए प्रेरित करते थे।”