World Diabetes Day: बच्चों को डायबिटीज की वजह से आंखों को होने वाले नुकसान से बचाएं
क्या डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को भी आंखों की बीमारी होने के अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है? यदि आपका बच्चा डायबिटीज से पीड़ित है तो उनकी आंखों की सुरक्षा के लिये यहां कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं.
डायबिटीज को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह किसी की रेटिना की सेहत को प्रभावित कर सकता है? अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि डायबिटीज से पीड़ित 3 में से 1 व्यक्ति को डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या होती है. युवा आबादी में आंखों की रोशनी1 जाने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. क्या डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को भी आंखों की बीमारी होने के अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है? यदि आपका बच्चा डायबिटीज से पीड़ित है तो उनकी आंखों की सुरक्षा के लिये यहां कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं.
डॉ. एन एस मुरलीधर, प्रेसिडेंट, विट्रियो रेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया, का कहना है, “भारत में डायबिटिक रेटिनोपैथी, अंधेपन और आंखों की खराब रोशनी के प्रमुख कारणों में से एक है. यह बेहद ही चिंता का विषय है, क्योंकि समय पर उपचार से इसे बचाया जा सकता है. ज्यादातर लोगों में समय पर इसकी पहचान नहीं हो पाती है, क्योंकि आंखों की रोशनी आखिरी स्टेज तक ठीक रहती है. हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि वे सालाना डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच जरूर कराएं और आंखों की रोशनी से जुड़ी परेशानी होने का इंतजार ना करें.”
डॉ. राजा नारायणन, जनरल सेक्रेटरी, विट्रोरेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया, का कहना है, “जुवेनाइल डायबिटीज (टाइप 1 डायबिटीज) से पीड़ित युवाओं को डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा रहता है, खासकर जब उन्हें 10 सालों से ज्यादा समय से डायबिटीज हो. आज, डायबिटीज से पीड़ित युवाओं को सक्रिय रूप से अपने शुगर के स्तर को नियंत्रित करने की शुरूआत कर देनी चाहिए और साल में एक बार रेटिना की जांच जरूर करवानी चाहिए, भले ही उन्हें आंखों की कोई समस्या ना हो.”
आंखों की बीमारियों को रखें दूर: यदि आपके बच्चे को डायबिटीज है तो एक पेरेंट के तौर आपको क्या करना चाहिए
नियमित चेक-अप में आगे रहें
डायबिटीज और रेटिना से जुड़ी सेहत के मैनेजमेंट के लिये नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच करवाना जरूरी है. साल मे एक बार जरूर बच्चों की आंखों की पूरी जांच होनी चाहिए, ताकि आंख की किसी भी बीमारी का पता चल जाए और समय पर उसका उपचार किया जा सके, इससे अंतत: आंख की रोशनी बचाई जा सकती है. थोड़ी बहुत क्षति हो जाने की स्थिति में, बीमारी के सुरक्षित और प्रभावी प्रबंधन के लिये थैरेपी के ढेरों विकल्प हैं.
सेहतमंद आदतों और लाइफस्टाइल को बढ़ावा दें
यह बहुत जरूरी है कि पेरेंट अपने बच्चों में सेहतमंद आदतें शुमार करें और उन्हें एक अनुशासित लाइफस्टाइल के महत्व के बारे में समझाएं. इसमें सेहतमंद खाना, नियमित रूप से एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद लेना शामिल है. यह ना केवल डायबिटीज को नियंत्रित करता है, बल्कि आंखों का तनाव कम करके उसकी रोशनी को खोने से भी बचाता है.
खुद को जागरूक करें और अपने बच्चे से बात करें
डायबिटीज के प्रभावों और किस तरह यह आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकता है, उसके बारे में जागरूक रहें . इस रोग के लक्षणों को जानना और इसे मैनेज करने के तरीकों के बारे में जानना, काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. बच्चों को अपने पेरेंट्स से बात करनी चाहिए और यदि उन्हें धुंधला दिख रहा है, धब्बे या फ्लैश नजर आ रहे हैं, आंखों में दर्द महसूस हो रहा है, रंगों को पहचानने में कठिनाई हो रही हो, या किसी प्रकार के अनिश्चित लक्षण नजर आ रहे हैं तो उन्हें सावधान करें. इस तरह के कोई भी लक्षण नजर आने पर, तुरंत ही नेत्र रोग विशेषज्ञ या रेटिना स्पेशलिस्ट से सलाह लें.
डायबिटीज का इलाज संभव है, लेकिन रेटिना से जुड़ी क्षति शायद ही कभी ठीक की जा सकती है. इसलिए, डायबिटीज का पता लगाने के लिये नियमित रूप से जांच और आंखों की सेहत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. एक बार इसका पता लगने पर, डायबिटिक रेटिनोपैथी का प्रभावी प्रबंधन करने के लिये उपचार का पालन करना जरूरी है. पेरेंट्स यह सुनिश्वित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं कि उनका बच्चा प्रभावी डायबिटीज प्रबंधन के साथ एक सेहतमंद लाइफस्टाइल जिए ताकि आंखों के रोग होने या उन्हें आगे बढ़ने से रोका जा सके- उनके उज्जल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं!
(आलेख में व्यक्त विचार विशेषज्ञों के हैं. योरस्टोरी का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
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