आतंक की इन 5 घटनाओं ने दुनिया को हिलाकर रख दिया, आज भी नहीं भरे जख्म
आज संयुक्त राष्ट्र, आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजलि के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का पांचवां स्मरणोत्सव आयोजित करेगा. इस दिन को 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नामित किया गया था और पहली बार 2018 में यह दिन मनाया गया था.
आज 21 अगस्त है और इसे ‘आतंकवाद के पीड़ितों को अंतर्राष्ट्रीय स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस’ (International Day of Remembrance of and Tribute to the Victims of Terrorism) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन दुनियाभर में उन व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन पर आतंकवादी हमले किए गए, उन्हें घायल किया गया या जिन्होंने अपनी जान गंवाई.
आज संयुक्त राष्ट्र, आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजलि के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का पांचवां स्मरणोत्सव आयोजित करेगा. इस दिन को 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नामित किया गया था और पहली बार 2018 में यह दिन मनाया गया था.
आज पूरी दुनिया आतंकवाद के साये में जी रही है. एक सामान्य आपराधिक गतिविधि के विपरीत आतंकवाद एक राजनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हिंसा का उपयोग है. ऐसा माना जाता है कि आतंकवाद की शुरुआत आज से करीब 150 साल पहले हुई थी.
हाल के सालों में, आतंकवादियों ने अधिक क्रूर और सामूहिक रूप से लोगों को निशाना बनाने और उनकी जान लेने वाले हमलों की ओर रुख किया है. उन्होंने राजनीतिक या सैन्य महत्व वाले नेताओं या इमारतों पर हमलों की रणनीति बदल दी है और नागरिकों को नुकसान पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया है.
आज हम आपको दुनिया के ऐसे पांच आतंकी हमलों के बारे में बताएंगे जिन्होंने दुनिया को हिला कर रख दिया था और उनके जख्मों के निशान आज भी नहीं भरे हैं.
1. 9/11 आतंकी हमला
11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर अलकायदा द्वारा आत्मघाती हमला किया गया था, जिसे 9/11 के नाम से जाना जाता है. 9/11 का हमला विश्व के इतिहास का सबसे खतरनाक, बड़ा और खूंखार आतंकवादी हमला माना जाता है. इसमें लगभग 3000 लोग मारे गए और 8900 लोग घायल हो गए थे.
अलकायदा के आतंकवादियों ने चार यात्री जेट विमानों का अपहरण कर लिया था. अपहरणकर्ताओं ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया. अपहरणकर्ताओं ने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर पेंटागन में टकरा दिया था. चौथा विमान एक खेत में जा गिरा था. किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बचा था. 2 मई, 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारकर अमेरिका ने बदला लिया था.
2. म्यूनिख ओलंपिक, 1972 आतंकी हमला
9/11 के हमलों से पहले, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का सबसे कुख्यात उदाहरण जर्मनी के म्यूनिख में 1972 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 11 इजरायली एथलीटों का अपहरण और हत्या थी.
5 सितंबर की सुबह फिलीस्तीनी आतंकवादी समूह ब्लैक सितंबर के आठ सदस्यों ने इजराइली एथलेटिक टीम के हॉस्टल पर हमला किया. आतंकवादियों ने दो एथलीटों को मार डाला और 9 और को बंधक बना लिया. आतंकवादियों से बातचीत के बीच दिन में खेल चल रहा था. संकट का समाधान तब हुआ जब बंधकों को मुक्त करने के लिए जर्मनी द्वारा तैयार एक खराब योजना के कारण गोलीबारी में आतंकवादियों ने सभी नौ बंधकों की हत्या कर दी और एक जर्मन पुलिसकर्मी भी मारा गया.
3. मुंबई में 26/11 आतंकी हमला
26 नवम्बर, 2008 देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक साथ कई जगह आतंकवादी हमले हुए थे. भारतीय इतिहास में इस हमले को सबसे उग्र हमला माना जाता है.
आतंकियों ने ताज होटल, ओबरॉय होटल, नरीमन हाऊस, कामा अस्पताल और सीएसटी समेत कई जगह एक साथ हमला किया था. आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच 60 घंटे से भी ज्यादा समय तक मुठभेड़ चलती रही. इसमें 160 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई. 9 आतंकियों को मौके पर मार गिराया गया था जबकि जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद फांसी की सजा दी गई थी.
4. इंदिरा गांधी की हत्या
देश की चौथी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही दो बॉडीगॉर्ड्स ने 31 अक्टूबर, 1984 को हत्या कर दी थी. दोनों बॉडीगॉर्ड्स देश में धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय से आते थे, जिसमें से एक को गांधी 10 सालों से जानती थीं.
1981 के बाद से एक स्वतंत्र खालिस्तान देश बनाने की उम्मीद में सिख आतंकवादी तेजी से हिंसक हो गए थे. 1981 की जून में इंदिरा गांधी ने अमृतसर के गोल्डन टेंपल में छिपे आतंकियों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार की मंजूरी दी थी. ऑपरेशन ब्लूस्टार नामक इस छापे में सत्तर हजार भारतीय सैनिक शामिल थे और इसके परिणामस्वरूप कम से कम 1,000 लोग मारे गए थे.
इंदिरा गांधी की हत्या के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार की प्रतिक्रिया को जिम्मेदार माना जाता है. हालांकि, गांधी की मौत के बाद सिख अलगाववादियों के खिलाफ भी जवाबी हिंसक कार्रवाई बढ़ गई, जिसके कारण 1985 और 1991 के बीच पंजाब में आतंकवाद से संबंधित 15,000 मौतें हुईं.
5. मोसुल पर ISIS का कब्जा
जून 2014 की शुरुआत में, आतंकी संगठन अलकायदा के बाद बेहद खूंखार माने जाने वाले आतंकी संगठन ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया) के सैकड़ों लड़ाकों ने इराकी सेना को हरा दिया था और इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल शहर पर कब्जा कर लिया था. मोसुल समेत इराक की 65 फीसदी जमीन पर कब्जा करने वाले आईएसआईएस का प्रमुख अबु बकर अल बगदादी ने मोसुल की मस्जिद से खुद को खलीफा (दुनिया के 1.6 अरब मुसलमानों का नेता) घोषित किया था.
मानवाधिकार संगठनों ने 10 जून को शहर के पतन के बाद के दिनों में कम से कम 500-800 लोगों की फांसी की पुष्टि की थी. दो साल की सुनियोजित योजना के बाद मोसुल पर कब्जा करने वाले आईएस के साथ इराकी सेना की तीन साल तक लड़ाई चली. अमेरिका और नाटो सैनिकों के सहयोग से हजारों बम बरसाने के बाद जुलाई 2017 में मोसुल पर इराकी सैनिकों को दोबारा कब्जा हो गया लेकिन उस वक्त तक मोसुल में शहर जैसा कुछ भी नहीं बचा था.
Edited by Vishal Jaiswal