हाई वैल्यूएशन देखकर Adani, Vedanta जैसे शेयरों में पैसे लगाने वाले निवेशकों को Nithin Kamath की ये है सलाह
ज्यादातर निवेशक हाई वैल्यूएशन के पीछे वाजिब वजह ढूंढने की बजाय मार्केट सेंटिमेंट को देखते हुए स्टॉक्स में पैसे लगा देते हैं. ऐसे निवेशकों के लिए जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने कुछ जरूरी सबक साझा किए हैं, जिन्हें हर निवेशक को एक बार जरूर देखना चाहिए.
शेयर मार्केट में कोई अच्छा दमदार स्टॉक चुनकर उसमें निवेश करने से पहले प्री-इनवेस्टमेंट स्टेज पर ढेर सारी रिसर्च करना बेहद जरूर हो जाता है.
ज्यादातर स्टॉक मार्केट निवेशक किसी शेयर को चुनते समय उसके वैल्यूएशन और निवेश के समय मार्केट में उस स्टॉक विशेष को लेकर लोगों के बीच सेंटिमेंट को देखकर फैसला करते हैं.
कई बार ऐसा होता है कि अगर मार्केट किसी शेयर पर बुलिश है तो ज्यादातर निवेशक ऊंचे वैल्यूएशन (High Valuation)) पर सवाल करने के बजाय मार्केट सेंटिमेंट के भरोसे निवेश कर देते हैं.
कोविड खत्म होने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में यही ट्रेंड देखने को मिला था. मगर इससे पहले भी वेदांता, टाटा पावर, डीएलएफ, एवेन्यू सुपरमार्ट जैसे कई ओवर वैल्यूएड स्टॉक्स में निवेशक अक्सर पैसे लगाते आ रहे हैं.
ऐसे निवेशकों के लिए ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (
) के फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने कुछ जरूरी इनवेस्टमेंट से जुड़े सबक साझा किए हैं, जिन्हें हर निवेशक को एक बार जरूर देखना चाहिए.उन्होंने निवेशकों के बीच स्टॉक्स चुनते समय हाई वैल्यूएशन का क्रेज देखते हुए इस शब्द को समझाने की कोशिश की है. अपने लिंक्डइन अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि कई बार अलग-अलग परिस्थितियां बिजनेसेज के लिए खास तरह के मौके बना देती हैं, जो उनके लिए फायदेमंद हो जाते हैं.
कई बार इन मौकों को उनके वास्तविक असर से कहीं बढ़ा चढ़ाकर कर आकलन कर लिया जाता है और इस तरह कंपनियों का वैल्यूएशन भी ऊंचा आंक लिया जाता है. उन्होंने कहा कि हाई वैल्यूएशन स्टॉक निवेशकों के लिए नुकसानदायक होते हैं और ऐसे फैक्टर्स को अपवाद की तरह ही देखना चाहिए ना की किसी पक्के नियम की तरह.
नितिन कामथ ने हाई वैल्यूएशन वाली कंपनियों पर अपने व्यू सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट से साझा किए. उन्होंने लिखा, ''हम वैल्यूएशन को लेकर बड़ी चर्चा करते हैं, गुणगान करते हैं, बखान करते हैं, लेकिन मैं जितने ही फाउंडर्स के साथ बात करता हूं उतना मुझे भरोसा होता जाता है कि वैल्यूएशन हानिकारक हैं. किसी मौके को जितना बढ़ा चढ़ाकर एनालाइज किया जाए उतनी ही ज्यादा वैल्यूएशन नजर आती है. हां ये हाई वैल्यूएशन एक्सटर्नल फैक्टर्स की तरह काम करते हैं मैं मानता हूं लेकिन ये अपवाद भर हैं, कोई नियम नहीं."
बेतरतीब वैल्यूएशन की बात को अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अन्य अडानी ग्रुप के निवेशकों के लिए अहम माना जा सकता है. जीरोधा फाउंडर और सीईओ ने कहा कि ये देखकर बड़ा बुरा लगता है कि जिन बिजनेसेज में अच्छा करने की क्षमता थी आज वो संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने अवास्तविक वैल्यएशन पर पैसे जुटाए. हाई वैल्यूएशन होने से आपके ऊपर ज्यादा खर्च करने का दबाव आता है, ज्यादा लोगों को हायर करने का दबाव आता है और ऐसे फैसले लेने के लिए प्रेरित करते हैं जिनकी कोई जरूरत नहीं होती.
अगर टोटल अड्रेसेबल मार्केट (TAM) से उम्मीद के मुताबिक रेवेन्यू नहीं मिलता तो फाउंडर्स की दिलचस्पी खत्म होने लगती है और इसके अलावा सिर्फ वैल्यूएशन को सही साबित करने के लिए उतनी तेजी से ग्रो करना मुमकिन भी नहीं होता."
नितिन कामथ ने आगे कहा कि TAM के संबंध में अवास्तविक अनुमान इंडिया में बहुत बड़ी परेशानी हैं क्योंकि रेवेन्यू देने वाला आबादी पूरी जनसंख्या की महज 1.5 फीसदी यानी करीबन टॉप 2 करोड़ लोगों तक ही सीमित है.
इस परेशानी से कैसे निपटा जा सकता है पर जीरोधा फाउंडर ने कहा, "....कम वैल्यूएशन के साथ संतुष्ट रहना है अब वाकई जरूरत पड़ने पर फंड जुटाना वो तरकीब है जो फाउंडर्स को फोकस रहने में काम आ सकती है और अंत में इस तरह वो एक टिकाऊ बिजनेस बना पाएंगे."
Edited by Upasana