किसानों को सावधान होना ज़रूरी, हर साल बिकता है 3,475 करोड़ रू का नकली रसायन
पीटीआई
टाटा स्ट्रैटजिक मैनेजमेंट ग्रुप ने कहा है कि भारत में प्रतिवर्ष बेचे जाने 25 प्रतिशत यानी 3,475 करोड़ रपये के कृषि रसायन उत्पाद नकली होते हैं।
इस समूह ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक स्तर पर भारत फसल संरक्षण रसायनों का विशालतम उत्पादक देश है। वर्ष 2014 में फसल संरक्षण वाले रसायनों का बाजार 2.3 अरब डॉलर का होने का आकलन किया गया था और इस क्षेत्र का बाजार वित्तवर्ष 2018.19 तक 4.2 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है।
यह रिपोर्ट फिक्की के ‘पॉलिसी एडवोकेसी पेपर’ का भी हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि अवास्तविक अथवा नकली उत्पादों का बाजार प्रतिवर्ष 3,475 करोड़ रपये का है जो कुल घरेलू उत्पादन का 25 प्रतिशत है जो चिंता का विषय है। सभी अंशधारकों के द्वारा इस समस्या को हल करने के कई प्रयास किये गये हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने नकली सामान पकड़ा है और सीमा शुल्क के अधिकारियों ने कार्रवाई की है। इसके अलावा उद्योग जगत के प्रमुख लोगों द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। हालांकि ये सभी प्रयास अलगाव के शिकार रहे हैं और इनमें तालमेल की कमी रही है। टाटा स्ट्रैटजिक मैनेजमेंट ग्रुप :टीएसएमजी: के सीईओ राजू भिंगे ने एक बयान में कहा कि इस अध्ययन के जरिये हमारा प्रयास नकली कीटनाशकों के भारत की खाद्य सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव को रेखांकित करने का है। यह सभी अंशधारकों के लिए घाटे का सौदा है और इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिये।
टीएसएमजी के ‘प्रैक्टिस’ प्रमुख :रसायन: मनीष पंचाल ने कहा कि रिपोर्ट में नकली कीटनाशकों के संकट से निपटने में प्रणालीगत विफलता को उभारा गया है।
इसमें कहा गया है कि किसानों, उद्योग जगत के प्रमुख लोगों, सरकार और नियामक एजेंसियों के समन्वित प्रयास में इसे रोकने की क्षमता मौजूद है।