अब हार्ट अटैक से पहले आपको वॉर्निंग देगी यह 'इलेक्ट्रॉनिक गोली'
कहते हैं न कि रोकथाम इलाज से बेहतर होता है। और जब रोकथाम एक विकल्प न हो, तो उससे आगे बढ़ने के लिए हमेशा अग्रसर रहना चाहिए। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी भारत में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है और इस क्षेत्र में बहुत सारे शोध चल रहे हैं, और कई सारे शोध की इस क्षेत्र में गुंजाइश है।
सर एम विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू के इंजीनियरिंग छात्र निहाल कोनन को इस बीमारी ने बहुत दुख दिया है। हार्ट अटैक से परिवार के दो सदस्यों की मौत से व्याकुल, निहाल ने इसको लेकर कुछ करने का फैसला किया।
दो इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा डेवलप और वर्तमान में क्लीनिकल टेस्टिंग से गुजर रही वाली 'आयुष' नाम की यह इलेक्ट्रॉनिक पिल (गोली) आपको हार्ट अटैक से 9-11 मिनट पहले वॉर्निंग देकर आपकी जिंदगी बचाने में मदद कर सकती है। वो कहते हैं न कि रोकथाम इलाज से बेहतर होता है। और जब रोकथाम एक विकल्प न हो, तो उससे आगे बढ़ने के लिए हमेशा अग्रसर रहना चाहिए। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी भारत में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है और इस क्षेत्र में बहुत सारे शोध चल रहे हैं, और कई सारे शोध की इस क्षेत्र में गुंजाइश है।
सर एम विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू के इंजीनियरिंग छात्र निहाल कोनन को इस बीमारी ने बहुत दुख दिया है। हार्ट अटैक से परिवार के दो सदस्यों की मौत से व्याकुल, निहाल ने इसको लेकर कुछ करने का फैसला किया। निहाल बताते हैं कि इसी के चलते उन्होंने एक पाचन इलेक्ट्रॉनिक पिल तैयार की जो मरीजों को आने हार्ट अटैक की प्रारंभिक चेतावनी देती है। निहाल ने इसी साल स्नातक की डिग्री हासिल की है लेकिन वह और उनके बैचमेट पुजारी किरण साईं ने पिछले चार वर्षों में यह इलेक्ट्रॉनिक पिल- आयुष- डेवलप की है।
इलेक्ट्रॉनिक पिल इंजेस्टिव माइक्रो साइज के बायोमेडिकल सेंसर के साथ एम्बेडेड है। जब यह शरीर में प्रवेश करती है, तो यह टुकड़ों में अलग हो जाती है और एम्बेडेड इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) चिप रिलीज करती है। यह वर्चुअल असिस्टेंट हार्ट अटैक से 9-11 मिनट पहले आपको सूचना देने की क्षमता रखता है। यह निकटतम अस्पताल और जीपीएस के माध्यम से परिवार के सदस्यों को अलर्ट भेजता है। निहाल और पुजारी ने अपने कॉलेज के प्रोफेसर से मार्गदर्शन लिया, जो उनके मेंटॉर भी हैं इसके अलावा दो विशेषज्ञ सर्जन और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से भी इस प्रोटोटाइप को डेवलप करने के लिए जरूरी इनपुट लिए, जिसमें साढ़े चार साल लग गए।
वर्तमान में क्लीनिकल टेस्टिंग चल रही है, अगर मंजूरी दी जाती है तो इस इलेक्ट्रॉनिक पिल का हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर होने की संभावना है। निहाल याद करते हैं, "मेरे पास एक आइडिया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि इसके बारे में आगे कैसे जाना है, इसलिए मैंने शोध करना शुरू किया।" इलेक्ट्रॉनिक पिल डेवलप करना भौतिक विज्ञान के तत्वों को जोड़ता है, जिसे एक बेहद जटिल प्रणाली यानी की - मानव शरीर- में रखा जाना था। निहाल का कहना है कि उनका शोध हर मामूली डिटेल्स से गुजरा है। निहाल ने सर एम विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कुछ फंडिंग हासिल की, इसके अलावा इस इलेक्ट्रॉनिक पिल प्रोटोटाइप को पहले से ही 12 पुरस्कार हासिल हुए हैं, जिससे कुछ और फंडिंग और बहुत सद्भावना मिली है।
प्रोटोटाइप - यह काम कैसे करता है
यह इंजेस्टेबल इलेक्ट्रॉनिक पिल पीएच लेवल, शरीर का तापमान, हृदय गति और मायलोपेरॉक्सिडेज (एमपीओ) प्रोटीन सामग्री जैसे मीट्रिक रिकॉर्ड कर सकती है। एमपीओ प्रोटीन सफेद रक्त कोशिकाओं द्वारा इनफ्लेमेशन को सिग्नल देता है और एक ब्लीच-जैसा पदार्थ रिलीज करता है जो कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए पहले से दर्ज मेट्रिक्स ऊपरी शरीर पर पहने हुए पैच में सिगनल के रूप में ट्रांसमिट होते हैं। यह पिल सीधे गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में जाती है और टुकड़े में अलग हो जाती है और एम्बेडेड इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) चिप रिलीज करती है। इलेक्ट्रोड के रूप में काम करने वाले कॉपर और मैग्नीशियम से एम्बेडेड सेंसर बनाये जाते हैं। जब गैस्ट्रोइंटेस्टिनल एसिड धातु इलेक्ट्रोड के साथ रिएक्ट करते हैं, तो एक विद्युत प्रवाह (इलेक्ट्रिक करंट) उत्पन्न होता है, जो बदले में सेंसर को पावर देता है। निहाल कहते हैं, "हमने इसमें किसी भी प्रकार की बैटरी का उपयोग नहीं किया है और यह बिजली उत्पादन का एक नेचुरल तरीका है।"
पहनने वाले पैच का डेटा मोबाइल ऐप पर ट्रांसमिट होता है और क्लाउड में स्टोर हो जाता है। ये डाटा परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वाले एक साथ एक्सेस कर सकते हैं। इन बिल्ट वर्चुअल असिस्टेंट, आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस के साथ बनाया गया है, यह डेटा पर नजर रखता है और 9-11 मिनट पहले हार्ट अटैक की पहचान करता है, विश्लेषण करता है और भविष्यवाणी करता है। हार्ट अटैक की वॉर्निंग होने पर ये पिल पीड़ित के करीबी हॉस्पिटल या उन लोगों के करीबी हॉस्पिटल जो क्लाउड से जुड़े हैं, उन्हें जीपीएस के माध्यम से निकटतम अस्पताल में अलर्ट भेजता है।
चुनौतियों का सामना
टीम कहती है कि इलेक्ट्रॉनिक पिल डेवलप करते समय उन्हें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। निहाल का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक पिल के किसी भी सफल उदाहरण का कोई रिफरेंस नहीं था और बैटरी के बिना इलेक्ट्रॉनिक पिल को बिजली कैसे दें? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के चलते काम को थोड़े समय के लिए रोकना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौतियों में टीम के सामने गोली का डिजाइन तैयार करना था, क्योंकि इसे सूक्ष्म आकार का होना था और शरीर के अंदर मौजूद तत्वों में फिट होना था। टीम फाइनल प्रोटोटाइप पेश करने से पहले एक लंबी परीक्षण और त्रुटि प्रक्रिया के माध्यम से गुजरी है। पिल का डायमेंशन 10 मिमी × 5 मिमी × 0.4 मिमी है। कह सकते हैं कि यह एक सीएमओएस चिप है। सीएमओएस एक बैटरी से चलने वाली सेमीकंडक्टर चिप होती है जो जानकारी स्टोर करती है। इस पिल की अनुमानित बाजार लागत मात्र 153 रुपये है, और यह पिल 21 दिनों तक काम करती है। निहाल का कहना है कि वे कंपोनेंट्स की लागत को ध्यान में रखकर इस कीमत पर पहुंचे हैं।
फाइनल टेस्टिंग
अब, इलेक्ट्रॉनिक पिल कैनाइन परीक्षण से गुजर रही है क्योंकि टीम का कहना है कि कुत्तों में मनुष्यों के एक समान गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट होता है और इंसानों पर परीक्षण करने से पहले इसे हम 18 महीने तक कुत्तों पर परीक्षण करेंगे। निहाल का कहना है कि ये सभी परीक्षण अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) से अप्रूवल पाने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार परीक्षण किए गए हैं और प्रयोगशाला परीक्षणों में कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है। यह पिल कार्डियोवैस्कुलर कंडीशन्स, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर वाले लोगों को टार्गेट करती है। निहाल का कहना है कि उन्हें आगे एक लंबी यात्रा तय करनी है लेकिन उनके लिए एक्सेंचर इनोवेशन चैलेंज 2018 में ग्रैंड इनाम जीतना एक मजबूत मनोबल बूस्टर था।
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