Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

एफडीआई प्रवाह अगले साल भी बेहतर बने रहने की उम्मीद

सरकार देश के ढांचागत क्षेत्र के विकास के लिये जरूरी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वर्ष 2016 में किये गये सुधारों के आधार पर एफडीआई प्रवाह अगले साल भी बेहतर रहने की उम्मीद कर रही है।

एफडीआई प्रवाह अगले साल भी बेहतर बने रहने की उम्मीद

Friday December 16, 2016 , 3 min Read

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, कि ‘मुझे पूरा भरोसा है कि एफडीआई की गति बनी रहेगी। मुझे लगता है कि कई क्षेत्र हैं जहां चीजें आगे बढ़ने को तैयार हैं, आप 2017 में ठोस नतीजे देख सकते हैं।’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा, कि रक्षा और चिकित्सा उपकरण समेत प्रमुख क्षेत्रों में चीजें आगे बढ़ रही हैं।

image


इस वर्ष जनवरी से सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 21 प्रतिशत से बढ़कर 32.18 अरब डालर रहा।

निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘मुझे लगता है कि 2017 के मध्य से आप उन क्षेत्रों में भी कुछ विकास देखेंगे क्योंकि कई क्षेत्रों खासकर रक्षा और रेलवे जैसे क्षेत्रों में नीतियों को उदार बनाया गया है। इन क्षेत्रों में निवेश आने में थोड़ा वक्त लगता है क्योंकि एक तो इसमें बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होती है और साथ ही वे प्रौद्योगिकी भी लाते हैं।’ इस साल जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक एफडीआई आकर्षित हुई, उसमें कंप्यूटर हार्डवेयर और साफ्टवेयर, दूरसंचार, वाहन तथा ट्रेडिंग शामिल हैं।

भारत में एफडीआई का प्रमुख स्रोत मारीशस है। उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, ब्रिटेन, जापान, नीदरलैंड तथा अमेरिका का स्थान रहा।

सरकार ने देश में अनुकूल माहौल सृजित करने तथा निवेश आकषिर्त करने के लिये कई क्षेत्रों में एफडीआई सीमा में बदलाव किया है। इसके तहत नागर विमानन तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है, जबकि रक्षा तथा औषधि क्षेत्रों में नियमों को उदार बनाया गया है। साथ ही एकल ब्रांड खुदरा कारोबार के लिये स्थानीय खरीद नीति को कड़ा किया गया है, जबकि प्रसारण कैरिज सेवा, निजी सुरक्षा एजेंसियों तथा पशुपालन के मामले में शर्तों को उदार बनाया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को बदलते हुए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुंच की शर्त को खत्म कर 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गयी है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी शर्त की जगह आधुनिक या अन्य कारणों को जोड़ा गया है। इस कदम से विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश की गुंजाइश भी बढ़ी है।

निजी सुरक्षा एजेंसियों के मामले में स्वत: मार्ग से 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अब अनुमति है और मंजूरी मार्ग से 74 प्रतिशत तक की अनुमति है।

वहीं देश में खाद्य पदार्थों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने ऐसे उत्पादों के देश में विनर्मित या उत्पादित होने के संदर्भ में ई-कामर्स समेत कारोबार करने की स्वत: मार्ग से मंजूरी दे दी है। एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने ई-कॉमर्स खुदरा के मार्केट प्लेस प्रारूप में स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। देश में निवेशकों के लिये बेहतर कारोबारी माहौल उपलब्ध कराने के लिये औद्योगिक नीति एवं संवर्धन बोर्ड (डीआईपीपी) ने व्यापार सुगमता के लिये कई कदम उठाये हैं। हालांकि विश्वबैंक की व्यापार सुगमता पर रिपोर्ट में भारत इस साल भी 190 देशों की सूची में 130वें स्थान पर बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने इस मामले में शीर्ष 50 में आने का लक्ष्य रखा है। व्यापार सुगमता के मामले में दूसरी बार राज्यों की रैंकिंग भी तैयार की गयी।

देश के लिये एफडीआई महत्वपूर्ण है क्योंकि बंदरगाह, हवाईअड्डे और राजमार्गों समेत बुनियादी ढांचा के विकास के लिये 1,000 अरब डालर के निवेश की जरूरत है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ने गुजरात को पीछे छोड़ते हुए विश्वबैंक की भारतीय राज्यों की रैंकिंग में संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान पर हैं। यह सूची व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिये सुधार की दिशा में उठाये गये कदमों के आधार पर तैयार की गयी है।