Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

स्थानीय संसाधनों की मदद से महाराष्ट्र का एक स्कूल बच्चों को दे रहा है स्व-रोज़गार के अवसर

गिरिवनवासी एजुकेशनल ट्रस्ट (GVET) की स्थापना पद्मभूषण पूज्य कर्मशीभाई जेठाभाई सोमैया द्वारा 1991 में की गयी थी। ये ट्रस्ट नरेशवाड़ी लर्निंग सेंटर (एनएलसी) का संचालन करता है।

स्थानीय संसाधनों की मदद से महाराष्ट्र का एक स्कूल बच्चों को दे रहा है स्व-रोज़गार के अवसर

Monday April 10, 2017 , 6 min Read

नरेशवाडी लर्निंग सेंटर प्रवास को रोक कर मां और बच्चे पर ध्यान केंद्रित करते हुए दहानु तालुक (ग्रामीण महाराष्ट्र) के गांवों में जनजातीय समुदाय के लोगों के जीवन में बड़े स्तर पर बदलाव लाने में लगा हुआ है। नरेशवाडी लर्निंग सेंटर (NLC) के नेतृत्व में ग्राम सुधार कार्यक्रम (Village Improvement Plan) का शुभारंभ के जे सोमैया अस्पताल द्वारा हर साल आयोजित किये जाने वाले स्वास्थ्य शिविरों के साथ हुआ था।

image


गिरिवनवासी एजुकेशनल ट्रस्ट (GVET) की स्थापना पद्मभूषण पूज्य कर्मशीभाई जेठाभाई सोमैया द्वारा 1991 में की गयी थी। ये ट्रस्ट नरेशवाड़ी लर्निंग सेंटर (एनएलसी) का संचालन करता है। गिरीवनवासी प्रगति मंडल 12 एकड़ के प्रायोगिक फार्म (जीवीपीएम) के हरे भरे वातावरण वाले परिसर में स्थित है, जिसकी स्थापना 1974 में कर्मशीभाई द्वारा आदिवासी और वन-आधारित समुदायों के विकास, स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका के अवसर (शिक्षा व कौशल-प्रशिक्षण) प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।

1983 में वर्ली समुदाय के छात्रों के साथ-साथ आदिवासी समुदाय के छात्रों (जिनकी साक्षरता बहुत कम थी और उनमें महिलाओं की साक्षरता दर सबसे कम थी) को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के सपने के साथ कर्मशी भाई ने एक विद्यालय की स्थापना की थी। जीवन के संघर्ष में उनकी स्थिति उन्हें विद्यालय के लिए समय बर्बाद करने की अनुमति नहीं देती थी और साथ ही स्कूल भी उनके लिए सुलभ नहीं था। लगभग पूरा समुदाय खेती पर निर्भर था, लेकिन खेती की उपज से वर्ष के कुछ ही महीनों उनकी आवश्यकता पूरी हो पाती थी। इसलिए वे बड़ी संख्या में निर्माण स्थलों, ईंट भट्टों या मछली पकड़ने वाले ट्रॉलरों पर काम करने के लिए आसपास के शहरों में जाने को मजबूर थे।

इन्हीं सबको देखते हुए कर्मशी भाई ने बच्चों को स्कूल में दाखिले के लिए उनके माता-पिता को प्रोत्साहित करना शुरू किया और अपने विद्यालय में लड़कियों और लड़कों के लिए आवासीय सुविधाओं की व्यवस्था की, जहाँ शिक्षा, बोर्डिंग और लॉजिंग जैसी चीज़ें नि:शुल्क हैं। 

image


कर्मशी भाई का ये कैंपस नरेशवाडी लर्निंग सेंटर (एनएलसी) के नाम से जाना जाता है, जहाँ कक्षा 1 से 10वीं तक के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय से लेकर, लड़कियों और लड़कों के लिए सामान्य छात्रावास, बालगृह (बच्चों के घर), स्कूल फार्म, स्कूल हेल्थ सेंटर और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र (वीईटीसी) शामिल है। ये केंद्र 450 बच्चों का घर हैं, जहां वे एकसाथ रहते हुए एक साथ स्कूल जाते हैं। इन बच्चों में 98% बच्चे आदिवासी समुदायों से हैं।

नरेश वाड़ी लर्निंग सेंटर स्थानीय जनजातीय समुदाय के बच्चों और बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का कौशल विकसित करने के लिए एक व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केन्द्र भी चलाता है.

नरेश वाड़ी लर्निंग सेंटर में स्कूल के बच्चों के साथ-साथ गांव के बेरोजगार युवाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है। फरवरी 2016 से व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र (वीईटीसी) द्वारा जे जे सोमैया पॉलिटेक्निक के सहयोग से ब्यूटीशियन, कारपेंटरी और कंप्यूटर हार्डवेयर और इलेक्ट्रीशियन कोर्सिज़ को शामिल कर के व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। वारली पेंटिंग सीखने में दिलचस्पी रखने वाले 5वीं से 9वीं कक्षा तक के बच्चों को पाठ्यक्रम के लिए नामांकित किया गया है और साथ ही इन बच्चों को कृषि सम्बंधित काम भी सिखाया जाता है। ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है, ताकि इन बच्चों में अपनी ज़मीन के प्रति लगाव पैदा हो सके। स्कूल के फार्म में ये बच्चे सब्जी की खेती, डेयरी और वर्मीकल्चर सीखते हैं।

image


शिक्षा में सफलता के अलावा, नरेशवाडी लर्निंग सेंटर, बच्चों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है। विद्यालय के पुस्तकालय में लगभग 5000 मराठी, हिंदी और अंग्रेजी की पुस्तकें हैं।

नरेशवाड़ी लर्निंग सेंटर के पास एक समर्पित खेल कोच भी है, जिसके संरक्षण में बच्चे एथलेटिक्स, कबड्डी और खोखो जैसे खेलो में गहरी दिलचस्पी लेते हैं। वे हर साल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और इनमें से कुछ राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गए हैं। नरेशवाड़ी लर्निंग सेंटर में एक मल्टी-स्पोर्ट्स सुविधा स्थापित की गई है, ताकि लड़कियां और लड़के फुटबॉल, थ्रोबॉल, वॉलीबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों में भी भाग ले सकें। 2014 में कक्षा 5वीं से 9वीं तक के सभी बच्चों के लिए संगीत भी प्रशिक्षण में शामिल किया गया और जिन बच्चों में अधिक क्षमता दिखाई दी, उन्हें अलग से प्रशिक्षण के लिए चुना गया।

महिलाओं के लिए स्व-रोजगार के अवसर

बारिश पर कृषि की निर्भरता का मतलब था कि लगभग छह महीने तक, क्षेत्र की महिलाओं और पुरुषों को आजीविका के लिए शहर में पलायन करना पड़ता था। उन्हें अक्सर अपने बच्चों को गांव में छोड़ना पड़ता था और यदि वे उन्हें शहरों में निर्माण स्थलों आदि पर ले गये तो उनके साथ दुर्व्यवहार का डर बना रहता था।

2010 में एनएलसी में जे जे सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के छात्रों के सहयोग से मोगरा की खेती पर 2 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था और एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में महिलाओं को मुफ्त में मोगरे का पौधा प्रदान किया गया, जिसने एनएलसी के ग्राम सुधार कार्यक्रम को विस्तार दिया।

image


नरेशवाड़ी का विलेज इम्प्रूवमेंट प्लान खेती आधारित गतिविधियों का दो साल का व्यवधान है, जो कि एनएलसी के आसपास के गांवों की आदिवासी महिलाओं के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक आय पर केंद्रित है।

दो साल से एनएलसी के प्रोजेक्ट स्टाफ ने बेहतर कृषि पद्धतियों, अपशिष्ट प्रबंधन, विपणन और वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण दिया है। इस प्रशिक्षण के अलावा, चयनित गांवों के युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण देने के साथ-साथ नियमित रूप से स्वास्थ्य सूचना सत्र भी आयोजित किये जाते हैं।

एनएलसी के हेल्थ आउटरीच वर्कर्स द्वारा गांवों में जन्मपूर्व और प्रसवपूर्व स्वास्थ्य पर स्वास्थ्य सूचना सत्र आयोजित किए जाते हैं और जन्मपूर्व और प्रसवपूर्व स्वास्थ्य पर महिलाओं और उनके परिवारों को सलाह दी जाती है और शिशुओं की बेहतर देखभाल में बेहतर प्रथाओं और गांव सुधार कार्यक्रम में बाल स्वास्थ्य घटक से जोड़ा गया है।

image


जब दो वर्षों के बाद परियोजना समाप्त हो जाती है, तब भी एनएलसी महिलाओं, एसएचजी और समुदाय को सरकार की योजनाओं के विषय में परामर्श देने का काम करती रहती है। गिरिवनवासी एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष, समीर सोमैया कहते हैं, 

“विलेज इम्प्रूवमेंट प्लान का मुख्य लक्ष्य माइग्रेशन को रोक कर एनएलसी के आसपास आदिवासी समुदायों के लोगों के जीवन में गुणात्मक सुधार लाना है। एनएलसी, महिलाओं के लिए स्थायी, पर्यावरण अनुकूल कृषि आधारित आजीविका के अवसरों को विकसित करने की दिशा में काम करती है, जिससे कि अधिक से अधिक बच्चे स्कूल में हो और उनका स्वास्थ्य समग्र सुधार की ओर अग्रसर हो।”

-हेमा वैष्णवी

यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुंचना चाहिए...! तो आप हमें लिख भेजें [email protected] पर। साथ ही सकारात्मक, दिलचस्प और प्रेरणात्मक कहानियों के लिए हमसे फेसबुक और ट्विटर पर भी जुड़ें...